किसी भी आवेदक को लोन या क्रेडिट कार्ड देने से पहले बैंक व एनबीएफसी सबसे पहले उसका क्रेडिट या सिबिल स्कोर चेक करते हैं। अगर आवेदक का क्रेडिट स्कोर अच्छा होता है तो उसके लोन या कार्ड मिलने की संभावना अधिक होती है, वो भी कम ब्याज दर पर। साथ ही उन्हें प्री-अप्रूव्ड ऑफर्स भी मिलते हैं।
लेकिन जिन आवेदकों का क्रेडिट स्कोर कम होता है तो उन्हें लोन या कार्ड मिलने में मुश्किल होती है। कुछ बैंक तो ऐसे भी हैं जो 650 या इससे कम क्रेडिट स्कोर वालों को लोन या क्रेडिट कार्ड ऑफर ही नहीं करते हैं।
अगर ऐसे आवेदकों को लोन मिल भी जाता है तो ब्याज दरें अधिक व लोन की शर्तें कठोर होती है। अगर आपका सिबिल स्कोर कम हैं और आप उसे बढ़ाना चाहते हैं, तो चलिए इस लेख में जानते हैं सिबिल या क्रेडिट स्कोर बढ़ाने के तरीकों के बारे में-
सिबिल स्कोर में सुधार के 7 तरीके
सिबिल स्कोर रातों-रात ठीक नहीं हो सकता है। लेकिन कुछ तरीकों का पालन करके आप स्कोर में धीरे-धीरे सुधार कर सकते हैं। एक बार जब सिबिल स्कोर में सुधार होने लगे, आप भविष्य में कभी भी ज़रूरत पड़ने पर लोन या कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। यहां कुछ तरीके बताएं गए है, जिन्हें फॉलो करके आप सिबिल या क्रेडिट स्कोर में सुधार कर सकते हैं-
1. समय से ईएमआई भरने के लिए रिमाइंड सेट करें
ईएमआई भुगतान में चूक या देरी होने से न सिर्फ आपको पेनल्टी भरनी होती है बल्कि इसका सीधा असर आपके क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ता है। ईएमआई भुगतान में एक भी देरी या चूक से आपका क्रेडिट स्कोर कुछ अंकों से नीचे गिर सकता है। ईएमआई भुगतान में चूक या देरी न हो इसके लिए आप ऑटो पे या फिर रिमाइंडर सेट कर सकते हैं। इससे ईएमआई राशि ड्यू डेट पर लिंक बैंक अकाउंट से अपने आप कट जाएगी।
2. सभी क्रेडिट कार्ड का बकाया समय पर चुकाएं
अपने क्रेडिट कार्ड का बकाया समय पर चुकाने की रणनीति बनाएं। अगर आप समय पर भुगतान नहीं करते हैं, तो इसका सीधा असर आपके सिबिल स्कोर पर पड़ता है। बार-बार डिफॉल्ट करने से आपका स्कोर 600 से नीचे भी जा सकता है, जिससे भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड मिलना मुश्किल हो सकता है।
अगर आप ड्यू डेट पर भुगतान नहीं करते हैं, तो यह जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में DPD (डेज़ पास्ट ड्यू)सेक्शन में दिखती है। यह जानकारी आपके क्रेडिट रिपोर्ट में 36 महीनों तक दर्ज रह सकती है।
इसलिए अगर आप कार्ड का पूरा बिल नहीं चुका सकते तो कम से कम “मिनिमम अमाउंट” का भुगतान ज़रूर करें। ताकि क्रेडिट ब्यूरो के पास ये जानकारी न जाए कि आपने भुगतान ही नहीं किया।
भले ही बाकी बची बकाया राशि पर चालू बिलिंग साइकल में ब्याज लगना शुरू हो जाए, लेकिन आपको अगली बिलिंग साइकल तक का अतिरिक्त समय मिलता है ताकि आप अपना बकाया चुका सकें और अपना क्रेडिट स्कोर गिरने से बचा सकें।
3. नियमित रूप से सिबिल रिपोर्ट चेक करते रहें
हो सकता है कि आपकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी हो लेकिन रिपोर्ट में किसी तरह की गलत जानकारी (Error) से आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है। इन गलत जानकारियों में आपकी पर्सनल डिटेल्स, गलत अकाउंट, डुप्लीकेट अकाउंट, गलत डीपीडी या फिर कोलैटरल संबंधी जानकारी हो सकती है।
उदाहरण के लिए- आपने अपने लोन का पूरा भुगतान कर दिया है और उस अकाउंट को बंद करवा दिया है। लेकिन प्रशासनिक या लेंडर की गलती से वो लोन अकाउंट अब भी आपके नाम पर चालू दिख रहा है। इससे आपका क्रेडिट स्कोर गिर सकता है। इसलिए समय-समय पर अपना क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते रहना चाहिए और किसी तरह की गलती मिलने पर सुधार के लिए बैंक व ब्यूरो को संपर्क करना चाहिए। एक बार जब गलती में सुधार हो जाता है तो स्कोर में सुधार होने लगता है।
4. कम समय में बार- बार लोन आवेदन करने से बचें
दो तरह की क्रेडिट इन्क्वायरी होती है- सॉफ्ट और हार्ड इन्क्वायरी। जब आप खुद से क्रेडिट स्कोर चेक करते हैं तो इसे सॉफ्ट इन्क्वायरी कहते हैं। इसका आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ता है।
लेकिन वहीं जब आप लोन या कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, और उसके संबंध में बैंक/NBFC या कार्ड जारीकर्ता द्वारा आपका क्रेडिट स्कोर चेक किया जाता है तो इसे हार्ड इन्क्वायरी कहते हैं। एक-दो बार की हार्ड इंक्वायरी से आपके क्रेडिट स्कोर पर ज़्यादा असर नहीं पड़ता।
लेकिन अगर आप थोड़े समय में बार-बार लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते हैं, तो यह माना जाता है कि आप क्रेडिट के लिए बहुत ज़्यादा इच्छुक हैं, यानी आपको “क्रेडिट हंगर” माना जाता है और यह आपके क्रेडिट स्कोर को नुकसान पहुंचा सकता है।
ऐसे आवेदकों को बैंक व एनबीएफसी वित्तीय रूप से अस्थिर मानते हैं और समझते हैं कि उनके डिफॉल्ट की संभावना अधिक होगी। इस नतीजा ये हो सकता है कि लेंडर या कार्ड प्रदाता आपकी क्रेडिट आवेदन खारिज़ कर दे।
अगर आपका क्रेडिट कम है और आप कुछ समय के लिए लोन लेना टाल सकते हैं तो बेहतर होगा कि सबसे पहले अपना सिबिल स्कोर सुधारें फिर लोन या कार्ड के लिए आवेदन करें।
5. सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड लें
सेटेल्ड क्रेडिट अकाउंट्स और समय पर भुगतान न करने से क्रेडिट स्कोर पर गंभीर असर तो पड़ता ही है। साथ ही ऐसे आवेदकों को बैंक/NBFC या कार्डप्रदाता भी लोन या क्रेडिट कार्ड देना पसंद नहीं करते हैं।
इसलिए अपनी साख बनाने के लिए सबसे पहले आपको अपना क्रेडिट स्कोर बढ़ाना चाहिए। जिसके लिए आप एफडी के बदले सिक्योर्ड क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं। इस कार्ड को देने से पहले कार्डदाता आपका क्रेडिट स्कोर नहीं देखता बल्कि फिक्स्ड डिपाज़िट (एफडी) की आवश्यकता होती है। यानी एफडी होने पर यह कार्ड आसानी से मिल सकता है।
कार्ड मिलने के बाद इसका जिम्मेदारी से इस्तेमाल करें समय से बिल का पूरा भुगतान करें और अपने क्रेडिट स्कोर में सुधार करें। आपका क्रेडिट स्कोर तुरंत ठीक नहीं होगा लेकिन लंबे समय में मददगार हो सकता है।
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6. सबसे पुराने क्रेडिट अकाउंट को बंद करें से बचें
बैंक व एनबीएफसी उन आवेदकों को भरोसेमंद मानते हैं जिनकी क्रे़डिट हिस्ट्री लंबी/पुरानी होती है और जिन्होंने समय से बिल का भुगतान किया हो। तो अगर आपके पास भी कोई पुराना क्रेडिट कार्ड अकाउंट है लेकिन अब आप उसका इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो उस अकाउंट को बंद करने से बचें।
इसका असर आपके क्रेडिट स्कोर पर तुरंत नहीं दिखता है लेकिन भविष्य में लेंडर द्वारा आपकी क्रेडिट आवेदन चेक करते समय यह जानकारी उपयोगी साबित हो सकता है। आपके पुराने खाते से लेंडर को आपके क्रेडिट व्यवहार और स्थिरता के बारे में पता चलता है। जिससे भविष्य में लोन या नए क्रेडिट कार्ड के मंजूरी की संभावना बढ़ जाती है।
7. अपने ज्वॉइंट लोन अकाउंट/गारंटर नियमित रूप से चेक करें
अगर कोई लोन आवेदक लोन की योग्यता शर्तों को पूरा नहीं करता है तो बैंक व एनबीएफसी उससे बेहतर साख वाले को-साइनर, गारंटर या को-एप्लीकेंट लाने को कहते हैं। ताकि भविष्य में अगर मुख्य आवेदक लोन का भुगतान न कर पाए तो गारंटर या को-एप्लीकेंट से लोन की बकाया राशि का भुगतान करवाया जाए।
ऐसे मामलों में अगर मुख्य आवेदक समय से ईएमआई का भुगतान नहीं करता है तो इसका असर गारंटर या को-साइनर के क्रेडिट स्कोर पर भी पड़ता है। इसलिए अगर आप किसी के को-साइनर या गारंटर हैं तो सुनिश्चित करें कि मुख्य आवेदक समय से लोन की ईएमआई भर रहा हो।
अन्य तरीके जो क्रेडिट स्कोर सुधार में हैं मददगार
अगर आप ऊपर बताए गए तरीकों के अलावा अन्य तरीकों के बारे में जानना चाहते हैं जो क्रेडिट स्कोर सुधार में मददगार है, तो नीचे बताए गए कारकों को देखें-
लोन भुगतान के लिए लंबी अवधि चुनें
लोन भुगतान अवधि लंबी होने से आपकी EMI कम हो जाती है, जिससे आप बिना किसी परेशानी के मासिक किस्त का भुगतान कर सकते हैं। हालांकि लोन अवधि बढ़ाने से आपका ओवरऑल इंटरेस्ट कॉस्ट बढ़ जाता है। लेकिन ईएमआई भरने में आसानी होती है साथ ही EMI/NMI रेश्यो भी कम हो जाता है। इससे अन्य लोन या कार्ड के लिए आपकी योग्यता बढ़ जाती है।
दरअसल लोन आवेदन का मूल्यांकन करते समय बैंक व एनबीएफसी आपका EMI/NMI रेश्यो भी चेक करते हैं। EMI/NMI रेश्यो यानी आप अपनी मासिक आय का कितना प्रतिशत लोन या कार्ड बिल भुगतान पर खर्च करते हैं। ये रेश्यो जितना कम होता है उतना आपके लिए फायदेमंद माना जाता है। आपके लोन या कार्ड मंजूरी की संभावना अधिक होती है। लोन भुगतान में कठिनाई का सामना करने पर आप लंबी भुगतान अवधि का विकल्प चुन सकते हैं।
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अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का प्रयास करें
आपके क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के तरीके के आधार पर कार्ड प्रदाता समय-समय पर क्रेडिट लिमिट बढ़ाने का विकल्प देते हैं। अगर आपको ऐसा मौका मिलता है तो आपको अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ा लेनी चाहिए। इससे ज़रूरत पड़ने पर आप अधिक क्रेडिट खर्च कर सकते हैं।
हालांकि इसका ये बिल्कुल भी मतलब नहीं है कि आप हर माह ज़रूरत से ज्यादा खर्च करें। बल्कि आपको अपने खर्चों को स्मॉर्ट तरीके से मैनेज करना चाहिए। इसका आसान तरीका है- क्रेडिट लिमिट का अधिक होना लेकिन उपयोग कम से कम करना।
अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो 30% से कम रखने से क्रेडिट स्कोर पर सकारात्मक असर पड़ता है। हालांकि अगर आप कभी-कभी इस रेश्यो से अधिक भी खर्च कर लेते हैं लेकिन समय से पूरे बिल का भुगतान कर देते हैं तो इससे स्कोर पर बुरा असर नहीं पड़ता।
एक हेल्दी क्रेडिट मिक्स बनाए रखें
क्रेडिट मिक्स यानी आपकी लोन में कितना सिक्योर्ड लोन है और कितना अनसिक्योर्ड। सिक्योर्ड लोन में- होम लोन, ऑटो लोन आता है जबकि अनसिक्योर्ड लोन में क्रेडिट कार्ड या पर्सनल लोन आदि शामिल होता है। सलाह दी जाती है कि एक हेल्दी क्रेडिट मिक्स बनाएं रखें। इससे बैंक व एनबीएफसी को पता चलता है कि आप सभी तरह के लोन को मैनेज कर सकते हैं। हालांकि केवल क्रेडिट मिक्स न होने की वजह से आपका लोन या कार्ड आवेदन खारिज़ नहीं किया जा सकता है।
अगर आपको अपनी क्रेडिट प्रोफाइल को समझने में कठिनाई हो रही है और आप किसी एक्सपर्ट की मदद लेना चाहते हैं, तो आप पैसाबाज़ार की क्रेडिट+ (Credit+) प्रोग्राम की सदस्यता ले सकते हैं। इस प्रोग्राम के तहत आप क्रेडिट स्कोर सुधारने के लिए एक्सपर्ट से मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं।
अगर कोई ऊपर बताए गए तरीकों को जिम्मेदारी से फॉलो करें तो कुछ ही महीनों में क्रेडिट स्कोर में सुधार देखा जा सकता है। हालांकि यह पूरी तरह से किसी व्यक्ति की स्थिति पर निर्भर करता है कि उसके स्कोर के सुधार में कितना समय लगेगा। क्रेडिट स्कोर सुधारने के लिए समझदारी, धैर्य और अनुशासन से काम लेना ज़रूरी होता है।