क्रेडिट रेटिंग के प्रकार
क्रेडिट रेटिंग को मुख्यत दो कैटेगरी में बांटा गया है- इंवेस्टमेंट ग्रेड और स्पेक्युलेटिव ग्रेड। हालांकि, किसी कॉर्पोरेट इकाई से जुड़े जोखिम को भारत में प्रत्येक CRA द्वारा परिभाषित क्रेडिट रेटिंग के अनुसार मापा जाता है। क्रेडिट रेटिंग को मुख्य रूप से उच्चतम (AAA) से न्यूनतम (D) में बांटा जाता है, जो एजेंसी और कंपनी की प्रोफ़ाइल के अनुसार अलग-अलग होगी।
a) इंवेस्टमेंट ग्रेड
इंवेस्टमेंट ग्रेड क्रेडिट रेटिंग से पता चलता है कि कंपनी ने सही निवेश फैसले लिया और वर्तमान में समय से कर्ज भुगतान करने में सक्षम है। इस कैटेगरी की कंपनियों को आसानी से और कम ब्याज दर पर लोन मिल जाता है।
b) स्पेक्युलेटिव ग्रेड
इस कैटेगरी के कंपनियों ने रिस्की बिजनेस निवेश किया है और इसलिए लोन का भुगतान समय से करने में असफल हो सकते हैं। इसलिए इस कैटेगरी की कंपनियों को अधिक ब्याज दर पर लोन मिलता है।
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कौन-सी संस्थाएं क्रेडिट रेटिंग चेक कर सकते हैं
कंपनी और एंटरप्राइज़ेज की क्रेडिट रेटिंग को चेक करने वाली संस्थाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- लोन संस्थान (बैंक, एनबीएफसी और अन्य वित्तीय संस्थान)
- निवेश बैंक
- कर्ज देने वाले
- रिटेल और संस्थागत निवेशक
- अन्य बिज़नेस संस्थान
क्रेडिट रेटिंग का महत्व
क्रेडिट रेटिंग के लाभ इस प्रकार हैं:
लोन देने वाले बैंक या NBFC के लिए
- बेहतर निवेश का फैसला: कोई भी बैंक या उधार देने वाली कंपनियां किसी जोखिम भरे ग्राहक को पैसा नहीं देना चाहेंगी। क्रेडिट रेटिंग से बैंक या NBFC को उधार लेने वाले व्यक्ति या कंपनी की क्रेडिट योग्यता और उनसे जुड़े जोखिम के बारे में जान पाती है। इसका मूल्यांकन करके वे एक बेहतर निवेश करने का फैसला ले सकते हैं।
- लोन राशि की सुरक्षा: ज़्यादा क्रेडिट रेटिंग लोन राशि की सुरक्षा का आश्वासन देती है कि उसका समय पर ब्याज के साथ वापस भुगतान किया जाएगा।
उधारकर्ताओं के लिए
- लोन को आसान मंज़ूरी: ज़्यादा क्रेडिट रेटिंग मिलने पर आपको कम / बिना जोखिम वाले ग्राहक के रूप में देखा जाएगा। इसलिए बैंक आपके लोन आवेदन को जल्दी मंज़ूर करेंगे।
- कम ब्याज दर: आपको इस तथ्य के बारे में जानकारी होनी चाहिए कि हर बैंक ब्याज दरों की एक विशेष कैटेगरी में लोन प्रदान करता है। आपके द्वारा लिए गए लोन पर ब्याज की दर निर्धारित करने वाले प्रमुख कारकों में से एक आपका क्रेडिट रिकॉर्ड भी है। क्रेडिट रेटिंग जितनी ज़्यादा होगी ब्याज दर उतनी ही कम होगी।
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भारत में क्रेडिट रेटिंग कैसे काम करती है?
- क्रेडिट रेटिंग का मूल्यांकन करने के लिए हर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के पास अपना तरीका है। हालांकि, क्रेडिट रेटिंग के प्रमुख कारक क्रेडिट रिकॉर्ड, क्रेडिट प्रकार और अवधि, क्रेडिट का इस्तेमाल, क्रेडिट एक्सपोज़र आदि हैं।
- ये क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां हर महीने अपने पार्टनर बैंकों और अन्य लोन संस्थानों से क्रेडिट जानकारी इकट्ठा करती हैं।
- एक बार क्रेडिट रेटिंग के लिए अनुरोध किए जाने के बाद ये एजेंसियां पूरी जानकारी इकट्ठा कर लेती हैं और कई कारकों के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार करती हैं।
- उस रिपोर्ट के आधार पर वे हर व्यक्ति या कंपनी को ग्रेड देती हैं और उन्हें क्रेडिट रेटिंग देती हैं। इस रेटिंग का इस्तेमाल बैंकों, आर्थिक संस्थानों और निवेशकों द्वारा पैसा निवेश करने, बॉन्ड खरीदने, लोन या क्रेडिट कार्ड देने का फैसला लेने के लिए किया जाता है।
- अच्छी क्रेडिट रेटिंग होने पर कम ब्याज दरों पर लोन मिलने की ज़्यादा संभीवना होती है।
भारत की टॉप-7 क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां
क्रेडिट रेटिंग एजेंसी एक ऐसी संस्था है जो ऐसे किसी व्यक्ति, व्यवसाय या कंपनी की लोन योग्यता का मूल्यांकन करती है जो लोन लेना चाहता है या बैंक में क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करता है।
- क्रेडिट रेटिंग इंफॉर्मेशन सर्विसेज ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL)
- भारतीय निवेश सूचना और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (आईसीआरए) लिमिटेड
- क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च (CARE) लिमिटेड
- इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड
- ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
- इन्फोमेरिक्स वैल्यूएशन एंड रेटिंग प्राइवेट लिमिटेड
- एक्यूइटे रेटिंग्स एंड रिसर्च लिमिटेड
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आइए भारत में क्रेडिट एजेंसियों के बारे में नीचे विस्तार से जानते हैं:
1. क्रिसिल
क्रेडिट रेटिंग इनफॉर्मेशन सर्विस ऑफ इंडिया लिमिटेड (CRISIL) देश की पहली क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है जिसे 1987 में स्थापित किया गया था। यह कंपनियों की क्रेडिट योग्यता को कंपनी की ताकत, बाज़ार में उनकी हिस्सेदारी, बाज़ार में उनकी प्रतिष्ठा और बोर्ड के आधार पर कैलकुलेट करती है।
यह कंपनियों, बैंकों और ऑर्गेनाइजेशन को भी रेट देता है, साथ ही निवेशकों को कंपनियों के बॉन्ड में निवेश करने से पहले बेहतर फैसला लेने में मदद करता है। क्रिसिल कई तरह की रेटिंग सर्विस प्रदान करता है
जैसे- स्वतंत्र क्रेडिट मूल्यांकन, कॉर्पोरेट और वित्तीय क्षेत्र की रेटिंग, फंड रेटिंग, रिकवरी जोखिम रेटिंग, अपेक्षित हानि (EL) रेटिंग आदि। एजेंसी द्वारा दी जाने वाली रेटिंग ‘AAA’ से ‘D’ होती है। जिसमें ‘AAA’ हाई रेटिंग या लोन भुगतान में सक्षम को दर्शाता है और ‘D’ न्यूनतम को यानी लोन भुगतान में असक्षम या डिफॉल्टर को दर्शाता है।
2. ICRA
इस एजेंसी की स्थापना वर्ष 1991 में हुई थी और इसका मुख्यालय मुंबई में है। पहले इसका नाम इंवेस्टमेंट इनफॉर्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एंजेसी (IICRA) था। वहीं अप्रैल 2007 में इसका नाम बदलकर ICRA Limited कर इसको बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज की लिस्ट में शामिल कर दिया गया। यह पारदर्शी रेटिंग सिस्टम के जरिए से कॉर्पोरेट्स को व्यापक रेटिंग प्रदान करता है। ICRA द्वारा दी गई क्रेडिट रेटिंग के प्रकार इस प्रकार हैं:
- बैंक लोन क्रेडिट रेटिंग
- कॉर्पोरेट लोन रेटिंग
- कॉर्पोरेट गवर्नेंस रेटिंग
- फाइनेंशियल सेक्टर रेटिंग
- इशुअर रेटिंग
- इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर रेटिंग
- बीमा सेक्टर की रेटिंग
- म्यूचुअल फंड रेटिंग
- पब्लिक फाइनेंस रेटिंग
- प्रोजेक्ट फाइनेंस रेटिंग
- स्ट्रक्चर फाइनेंस रेटिंग
- एसएमई रेटिंग
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3. CARE
क्रेडिट एनालिसिस एंड रिसर्च लिमिटेड (CARE) लोन, बैंक लोन, कॉर्पोरेट गवर्नेंस , वसूली, फाइनेंशियल सेक्टर और ज़्यादा क्षेत्रों में क्रेडिट रेटिंग सर्विस की एक सीरीज प्रदान करता है। इसकी रेटिंग के पैमाने में दो श्रेणियां शामिल हैं पहला लॉन्ग टर्म डेट साधन और दूसरा शॉर्ट टर्म लोन रेटिंग।
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4. ONICRA
ओनिडा इंडिविजुअल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया वर्ष 1993 में स्थापित की गई, जो व्यक्तियों और व्यवसायों दोनों को क्रेडिट मूल्यांकन और क्रेडिट स्कोर सर्विस सेवाएं प्रदान करती है। इसके साथ ही यह व्यक्तियों, छोटे और मध्यम व्यवसायों और कॉर्पोरेट के लिए जोखिम मूल्यांकन रिपोर्ट भी प्रदान करता है। इसकी रेटिंग दो कारकों आर्थिक स्तिथि और प्रदर्शन पर आधारित है ।
5. SMERA
स्मॉल मीडियम एंटरप्राइजेज रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (SMERA) लिमिटेड के SME रेटिंग और बॉन्ड रेटिंग दो भाग है। यह वर्ष 2011 में स्थापित किया गया था और यह वित्तीय पेशेवरों का एक केंद्र है। यह निम्नलिखित रूप में क्रेडिट रेटिंग प्रदान करता है:
- AAA, AA, A – कमक्रेडिट जोखिम
- BBB, BB – मध्यमक्रेडिट जोखिम
- B, C – ज़्यादा क्रेडिट जोखिम
- D- डिफॉल्टेड
6. ब्रिकवर्क रेटिंग्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड
यह क्रेडिट रेटिंग एजेंसी बैंक लोन, नगर निगम, कैपिटल बाज़ार साधन और एसएमई को रेट करने की ज़िम्मेदार है। इसके अलावा यह रियल स्टेट इंवेस्टमेंट, अस्पताल, गैर सरकारी संगठनों, MFI, आदि को भी ग्रेड देती है। यह विभिन्न वित्तीय साधन के आधार पर विभिन्न रेटिंग प्रणाली प्रदान करता है। इसका मुख्यालय बैंगलोर में है।
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क्रेडिट रेटिंग और क्रेडिट स्कोर के बीच अंतर क्या है?
क्रेडिट स्कोर | क्रेडिट रेटिंग |
क्रेडिट स्कोर 300-900 के बीच की संख्या होती है | क्रेडिट रेटिंग अल्फाबेटिक कोड में होता, जो AAA से D में दिया हुआ होता है |
क्रेडिट स्कोर व्यक्तिविशेष को दिया जाता है | क्रेडिट रेटिंग कंपनियों, एंटरप्राइज़ेज, कॉर्पोरेट्स, सरकारी इकाई को प्रदान किया जाता है |
क्रेडिट स्कोर संभावित लेंडर, सरकारी और निजी क्षेत्र के बैंक, NBFCs, स्मॉल फाइनेंस बैंक, माइक्रो फाइनेंस संस्थान आदि चेक करते हैं | क्रेडिट रेटिंग विभिन्न बिज़नेस और इंवेस्टमेंट बैंक और स्टॉक मार्केट निवेशकों द्वारा चेक किया जाता है |
क्रेडिट रेटिंग से संबंधित सवाल
प्रश्न. भारत में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के लिए क्रेडिट रेटिंग स्केल क्या है?
उत्तर: क्रेडिट रेटिंग स्केल अल्फाबेटिक सिम्बोल होता है, जिससे बिज़नेस इकाई की जोखिम और भुगतान क्षमता का पता चलता है। क्रेडिट रेटिंग स्केल को उच्चतम से न्यूनतम में (AAA, AA, A, BBB, BB, B, CCC, CC, C, और D) में वर्गीकृत किया गया है। AAA का मतलब अच्छा है यानी लोन डिफॉल्ट होने की संभावना कम है। जबकि BB से नीचे की रेटिंग को खराब माना जाता है, यह अधिक जोखिम वाले आवेदक को इंगित करता है।
प्रश्न. किसी कंपनी के लिए क्रेडिट रेटिंग क्यों ज़रूरी है?
उत्तर: किसी लोन को मंजूर करने से पहले बैंक व एनबीएफसी सबसे पहले उसकी क्रेडिट रेटिंग ही चेक करते हैं। और इस रेटिंग के आधार पर ही निर्धारित करते हैं कि आवेदक को लोन देने में कितना जोखिम है, क्या उसे देना चाहिए या नहीं आदि।
प्रश्न. अच्छा क्रेडिट रेटिंग होना क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: क्रेडिट रेटिंग अच्छा होने के कई फायदे हैं जैसे- आप बेस्ट लोन या क्रेडिट कार्ड ले सकते हैं वो भी कम ब्याज दर पर। इसके अलावा रेटिंग के आधार पर लोन संस्थान को पता चल जाता है कि आपको लोन देने में कितना जोखिम है और वह सही निर्णय ले पाते हैं।
प्रश्न. क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को कौन रेगुलेट करता है?
उत्तर: क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (सीआरए) भारतीय वित्तीय प्रणाली का एक अभिन्न अंग है। इसलिए सभी प्रमुख CRAs को सेबी (क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां) विनियम, 1999 के माध्यम से भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा विनियमित यानी रेगुलेट किया जाता है।
प्रश्न. क्या क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को रेगुलेट किया जाता है?
उत्तर: हां भारत में क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों (CRAs) को सिक्योरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) रेगुलेट करता है। यह नियमित तौर पर CRAs को रिव्यू और मॉनिटर करता है।
प्रश्न. किस तरह से अच्छा क्रेडिट रेटिंग बनाएं?
उत्तर: निम्न तरीकों से क्रेडिट रेटिंग अच्छी बना सकते हैं:
- अच्छा क्रेडिट रेटिंग बनाने के लिए सबसे पहले अपने बकाया लोन या क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान करें।
- हो सके तो क्रेडिट लिमिट का कम से कम इस्तेमाल करें या फिर क्रेडिट लिमिट बढ़ाने के लिए बैंक में आवेदन करें।
- समय-समय पर अपना क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें और गलती होने पर उसमें सुधार के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेसियों से संपर्क करें।
- एक लंबा क्रेडिट इतिहास बनाए रखें और अपना बिज़नेस रजिस्टर्ड कराएं।
प्रश्न. क्या मैं अपना क्रेडिट हिस्ट्री डिलिट कर सकता हूं?
उत्तर: न आप और ना ही क्रेडिट ब्यूरो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री डिलिट कर सकते हैं। क्योंकि ये आपके पिछले लोन भुगतान को दर्शाता है। यह देश के 4 क्रेडिट ब्यूरो- ट्रांसयूनियन सिबिल, एक्सपिरियन, इक्विपैक्स और CRIF हाई मार्क द्वारा मैनेज किया जाता है। इन्हें रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) द्वारा लाइसेंस प्राप्त होता है। इसलिए क्रेडिट रिपोर्ट में छेड़छाड़ की संभावना नहीं होती है।
प्रश्न. क्रेडिट रिपोर्ट में क्रेडिट रेटिंग किस तरह से दी हुई होती है?
उत्तर: आमतौर पर क्रेडिट रिपोर्ट में क्रेडिट रेटिंग अल्फाबेटिक रूप में होता है जैसे- ”AAA”, ”AA”, ”A”, “BBB” और इसी तरह। इसमें ”AAA” को उच्चतम यानी कम जोखिम वाला माना जाता है। जबकि ”D” को न्यूनतम यानी अधिक जोखिम वाला या डिफॉल्ट माना जाता है।
प्रश्न. क्या ‘AA’ क्रेडिट रेटिंग अच्छा होता है?
उत्तर: ‘AA’ द्सरा उच्चतम क्रेडिट रेटिंग होता है। इसका मतलब है कि इस कैटेगरी के आवेदकों समय से लोन भुगतान करने में सक्षम हैं यानी इन्हें लोन देने में कम जोखिम है।