अधिकांश बैंक/ लोन संस्थान लोन या क्रेडिट कार्ड को मंज़ूरी देते समय आवेदक के सिबिल स्कोर का मूल्यांकन करते हैं। यह सिबिल स्कोर भारत के चार क्रेडिट ब्यूरो में से एक ट्रांसयूनियन सिबिल द्वारा जनरेट किया जाता है।
आमतौर पर, 750 से अधिक के क्रेडिट स्कोर को क्रेडिट कार्ड या लोन आवेदन मंज़ूर होने के लिए अच्छा माना जाता है। 750 से कम का स्कोर होने पर आपके लिए लोन लेना मुश्किल हो सकता है। अगर आपका आवेदन मंज़ूर हो भी जाता है, तो आपके लिए ब्याज दरें अधिक होने की संभावना है। इसके अलावा, 650 से कम का सिबिल स्कोर होने पर बहुत ही कम संभावना है कि कोई भी बैंक या एनबीएफसी आपके लोन या क्रेडिट कार्ड के आवेदन को मंज़ूरी देगा।
यदि आपने पहले अपने अपनी ईएमआई/ क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान समय पर नहीं किया है या उसे अच्छे से मैनेज नहीं किया है, तो इस बात की पूरी संभावना है कि आपका क्रेडिट स्कोर कम होगा। और अगर क्रेडिट स्कोर कम होगा तो आपकी क्रेडिट योग्यता नकारात्मक ढंग से प्रभावित होगी और अधिकांश बैंक/ लोन संस्थान आपके लोन/ क्रेडिट कार्ड आवेदन को मंज़ूर नहीं करेंगे। सिबिल स्कोर कम होने के कारण और इसमें सुधार करने के तरीके नीचे दिए गए हैं:
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सिबिल स्कोर कम होने के 5 कारण
कम सिबिल स्कोर के 5 मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
ख़राब पेमेंट रिकॉर्ड
- आपका पेमेंट रिकॉर्ड आपका सिबिल स्कोर तय करने में मुख्य भूमिका निभाता है। अगर आपने अपनी लोन ईएमआई/ क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान समय पर नहीं किया है, तो आपका स्कोर कम हो जाएगा।
- आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में डिफॉल्ट होने से आपके क्रेडिट स्कोर पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि लंबे समय तक अगर लोन की छोटी राशि भी बकाया रहती है तो आपके क्रेडिट स्कोर को काफी नुकसान पहुंच सकता है।
कम समय में कई बार नए क्रेडिट के लिए अप्लाई करना
- अगर आप कम समय में ही कई बैंक/ लोन संस्थानों के साथ नए लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए कई बार अप्लाई करते हैं, तो इससे आपके बारे में की जाने वाली हार्ड-इन्क्वायरी की संख्या भी बढ़ जाती है।
- इन सभी हार्ड-इन्क्वायरी की जानकारी आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में रिकॉर्ड होती है। इससे बैंक/ लोन संस्थानों के सामने आपकी छवि ऐसे आवेदक की बन जाती है जो किसी भी हालत में लोन लेना चाहता है और जिसके आवेदन को मंज़ूरी देने में जोखिम होगा।
- आपके आवेदन के खारिज़ होने से आपका स्कोर काफी कम हो जाता है।
क्रेडिट रिपोर्ट में गलत जानकारी
- कई बार आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में गलत जानकारी आ जाती है जैसे, कोई लोन जो आपने कभी लिया नहीं, भुगतान में डिफॉल्ट की गलत जानकारी और कोई फ्रॉड ट्रांजेक्शन आदि। इससे आपका सिबिल स्कोर काफी हद तक गिर सकता है।
- ये गलतियां किसी बैंक या एनबीएफसी की तरफ से हो सकती हैं या पहचान की चोरी जैसी धोखाधड़ी का मामला भी हो सकता है।
- इसलिए, समय-समय पर अपनी सिबिल रिपोर्ट चेक करें और कोई भी गलत जानकारी मिलने पर उसमें सुधार के लिए CIBIL को उसकी सूचना दें।
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ज़्यादा क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो होना
- अपनी क्रेडिट लिमिट का जितना प्रतिशत आप खर्च करते हैं, वही आपका क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो होता है।
- क्रेडिट यूटिलाईज़ेशन रेश्यो के ज़्यादा होने (30% से ज़्यादा) से यह पता चलता है कि आप अपने खर्चों के लिए क्रेडिट पर अधिक निर्भर हैं और आप पर भुगतान का बोझ भी अधिक है।
- क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो के अक्सर ज्यादा होने से माना जाता है कि आप भुगतान में डिफॉल्ट करते रहते हैं जिससे आपका सिबिल स्कोर भी कम होता है।
अनसिक्योर्ड क्रेडिट ज़्यादा लेना
- यदि आपने पहले भी अलग- अलग तरह के क्रेडिट/ लोन को सही तरीके से मैनेज किया है, तो इससे आपकी क्रेडिट योग्यता भी बढ़ती है और पता चलता है कि आप एक विश्वसनीय उधारकर्ता हैं।
- अगर आपने सिक्योर्ड क्रेडिट (होम लोन, कार लोन, गोल्ड लोन) की तुलना में अन-सिक्योर्ड क्रेडिट (पर्सनल लोन, क्रेडिट कार्ड) अधिक लिया है तो ये आपके सिबिल स्कोर को प्रभावित कर सकता है।
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अपना सिबिल स्कोर कैसे सुधारें?
समय पर क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि और लोन ईएमआई का भुगतान करें
- अपनी ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल का समय पर व पूरा भुगतान करने से आपके सिबिल स्कोर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। बस ऐसा करते रहें और समय के साथ आपका सिबिल स्कोर बढ़ने लगेगा।
अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करते रहें
- समय-समय पर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट चेक करें, ताकि रिपोर्ट में किसी भी तरह की गलत जानकारी या क्रेडिट स्कोर गिरने पर आपको पता चल जाए। और क्रेडिट ब्यूरो को संपर्क इस गलत जानकारी को सही करने का अनुरोध करें।
नए क्रेडिट के लिए आवेदन समझदारी से करें
जब तक कि आपको वास्तव में इसकी ज़रूरत न हो, नए क्रेडिट के लिए आवेदन करने से बचें। नए लोन/ क्रेडिट कार्ड के लिए ज्यादा बार आवेदन न करने से आपकी रिपोर्ट पर भी कम हार्ड इंक्वायरी होगी जिससे आपका सिबिल स्कोर भी कम नही होगा।
केवल अंतिम उपाय के रूप में अपने कर्ज का सैटलमेंट करें
- अपने लोन का सैटलमेंट तब ही करें जब आपके पास कोई अन्य विकल्प ना बचे। इसका कारण यह है कि लोन का सैटलमेंट करने से आपके कर्ज का बोझ कम हो जाएगा लेकिन इससे यह पता चलता है कि आप अपने आर्थिक मामलों को सही तरीके से अमंगे नहीं कर पाते हैं।
- यह आपके सिबिल स्कोर को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।
क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो को कम बनाए रखें
- क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो ये दर्शाता है कि आप क्रेडिट पर किस हद तक निर्भर हो सकते हैं।
- क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो को आमतौर पर आपकी कुल उपलब्ध क्रेडिट लिमिट का 30% या उससे कम बनाए रखने की सलाह दी जाती है।
- यह रेश्यो कम होने से यह पता चलता है कि आप अपने खर्चों के लिए क्रेडिट पर कम निर्भर हैं और आप पर भुगतान का भी कम बोझ है।
- यह ज़िम्मेदार क्रेडिट व्यवहार को दर्शाता है जिसका आपके सिबिल स्कोर पर सकरात्मक प्रभाव पड़ता है। अगर आपका क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो कभी- कभार ही अधिक रहता है तो ब्यूरो बमुश्किल ही आपका स्कोर घटाएगा।
इसे भी पढ़ें: अपना क्रेडिट स्कोर कैसे बढ़ाए, इसके लिए 9 टिप्स
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संबंधित प्रश्न (FAQs)
प्रश्न. क्रेडिट स्कोर और सिबिल स्कोर में क्या अंतर है?
उत्तर: क्रेडिट स्कोर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट की 3 डिजिट की समरी होती है। भारत में चार क्रेडिट ब्यूरो हैं जो क्रेडिट स्कोर जनरेट करते हैं, ट्रांसयूनियन सिबिल, एक्स्पीरियन, क्रिफ हाईमार्क और इक्वीफैक्स। सिबिल स्कोर को विशेष रूप से ट्रांसयूनियन सिबिल नामक क्रेडिट ब्यूरो द्वारा कैलकुलेट किया जाता है।
प्रश्न. क्या मेरा सिबिल स्कोर के आधार पर ही लोन मिलता है?
उत्तर: CIBIL स्कोर उन पहले कारकों में से एक है, जिस पर बैंक/ लोन संस्थान किसी आवेदक को पैसा उधार देते समय विचार करते हैं। हालांकि, यह एकमात्र कारक नहीं है| बैंक लोन देने से पहले आवेदक की अन्य जानकारी पर भी विचार करते हैं जैसे उम्र, इनकम, रोजगार, लोन राशि आदि।
प्रश्न. यदि मेरा सिबिल स्कोर कम है, तो क्या किसी अन्य क्रेडिट ब्यूरो द्वारा उत्पन्न मेरा क्रेडिट स्कोर भी कम होगा?
उत्तर: सिबिल स्कोर में थोड़ा बहुत बदलाव हो सकता है क्योंकि प्रत्येक क्रेडिट इंफॉर्मेशन कंपनी का खुद का एल्गोरिद्म होता है और क्रेडिट स्कोर कैलकुलेट करते समय कंपनी प्रत्येक कारक को अपने फॉर्मूले के हिसाब से प्राथमिकता देती है।
प्रश्न. हार्ड और सॉफ्ट इंक्वायरी में क्या अंतर है? क्या सॉफ्ट इंक्वायरी मेरे सिबिल स्कोर को नुकसान पहुंचा सकती है?
उत्तर: जब आप नए लोन/ क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई करते हैं तो बैंक/ लोन संस्थान क्रेडिट ब्यूरो से उतनी ही बार आपकी क्रेडिट रिपोर्ट मांगते हैं, इसे हार्ड- इन्क्वायरी कहा जाता है। सॉफ्ट इंक्वायरी वो होती है जब आप खुद क्रेडिट ब्यूरो की वेबसाइट या किसी ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केट पोर्टल पर जाकर अपनी क्रेडिट रिपोर्ट डाउनलोड कर सकते हैं। सॉफ्ट इंक्वायरी का क्रेडिट स्कोर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है, भले ही ऐसी सॉफ्ट इंक्वायरी कितनी ही बार क्यों न की जाए।
दूसरी ओर, हार्ड इंक्वायरी अधिक होने पर आपका सिबिल स्कोर कम हो सकता है क्योंकि इससे पता चलता है कि आप अपने खर्चों के लिए क्रेडिट पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं और भविष्य में आप पर भुगतान का भी अधिक बोझ हो सकता है।
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