NGO रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने से पहले ये करें
डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) प्राप्त करें
ऑनलाइन फॉर्म भरने से पहले रजिस्ट्रेशन फॉर्म को डायरेक्टर्स द्वारा डिजिटल रूप से साइन किया जाता है। भारत सरकार के अधीन प्रमाणन एजेंसियां डिजिटल सिग्नेचर सर्टिफिकेट (DSC) जारी करती हैं। आवेदकों को डीएससी की क्लास 2 या क्लास 3 कैटेगरी प्राप्त करने की आवश्यकता होती है। डीएससी प्राप्त करने की फीस अलग–अलग होती है और प्रमाणन एजेंसी पर निर्भर करती है।
डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर (DIN) के लिए आवेदन करें
कंपनी के प्रस्तावित डायरेक्टर्स के लिए आवेदकों को डीआईएन के लिए आवेदन करना आवश्यक है। आवेदन फॉर्म DIR-3 भरने से डीआईएन के अलॉटमेंट में मदद मिलती है। पैन की सेल्फ–अटेस्ट कॉपी, पहचान और निदेशकों के पते के प्रमाण जैसे स्कैन किए गए दस्तावेज़ एप्लीकेशन फॉर्म के साथ जमा करने होते हैं। एप्लीकेशन फॉर्म को मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स (MCA) के पोर्टल पर ऑनलाइन जमा किया जा सकता है। दस्तावेजों को एक पेशेवर चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सचिव या कॉस्ट अकाउंटेंट द्वारा वेरिफाई किया जाना आवश्यक है।
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NGO के रूप में रजिस्टर करने का तरीका
- स्टेप 1: आवेदक को एनजीओ के प्रस्तावित निदेशकों का DSC प्राप्त करना होता है। डीएससी प्राप्त करने के बाद, DIN प्राप्त करने के लिए ROC के पास फॉर्म DIR-3 जमा करें।
DIN एप्लीकेशन के साथ इन दस्तावेज़ों को लगाना होता है:
पहचान और पता प्रमाण: पासपोर्ट, वोटर आईडी कार्ड, आधार कार्ड, बिजली बिल, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, हाउस टैक्स रिसीट, बिज़नेस एड्रेस प्रूफ, सोसायटी का नाम आदि।
- स्टेप 2: DIR-3 के अप्रूव्ल के बाद, संबंधित ROC प्रस्तावित डायरेक्टर्स को एक DIN प्रदान करेगा।
- स्टेप 3: इसके बाद आवेदक को कंपनी के नाम के लिए आवेदन करने के लिए ROC के साथ फॉर्म INC-1 जमा करना होगा। 6 नाम दिए जा सकते हैं, जिनमें से एक ROC द्वारा दिया जाएगा।
- स्टेप 4 – ROC के अप्रूव्ल के बाद, NGO के लाइसेंस के आवेदन के लिए फॉर्म INC-12 जमा करें
INC-12 के साथ लगाए जाने वाले आवश्यक दस्तावेज़:
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- डिक्लरेशन, फॉर्म INC-14 के अनुसार (CA से डिक्लरेशन)
- डिक्लरेशन, फॉर्म INC-15 के अनुसार
- फॉर्म INC-13 के अनुसार ड्राफ्ट आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन (AOA) और मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MOA)
- अगले 3 वर्षों के लिए अनुमानित आय और व्यय
- स्टेप 5 – फॉर्म के अप्रूव्ल के बाद फॉर्म INC-16 में एनजीओ का लाइसेंस जारी किया जाएगा।
- स्टेप 6 – NGO लाइसेंस प्राप्त करने के बाद आवेदक को SPICE फॉर्म 32 के साथ ROC ऑफ इनकॉर्पोरेशन फाइल करना होगा। ROC द्वारा दस्तावेज़ों की जांच और वेरिफिकेशन के बाद यूनिक कॉर्पोरेट आइडेंटिफिकेशन नंबर (CIN) के साथ इनकॉर्पोरेशन सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा।
इन आसान स्टेप्स को फॉलो करने के बाद आवेदक अपनी कंपनी को NGO के रूप में रजिस्टर कर पाएंगे।
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NGO खोलने के लिए योग्यता शर्तें
- अगर NGO को एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रूप में शामिल किया जाना है तो न्यूनतम 2 डायरेक्टर्स की आवश्यकता है
- पब्लिक लिमिटेड कंपनी के रूप में निगमन के मामले में न्यूनतम 3 निदेशकों की आवश्यकता है
- प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के मामले में सदस्यों की अधिकतम संख्या 200 है
- पब्लिक लिमिटेड कंपनी के मामले में कोई सदस्य सीमा नहीं
- एनजीओ के रूप में रजिस्टर कराने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाता है
एनजीओ रजिस्ट्रेशन के लिए आवश्यक फॉर्म
- DIR 12 अपॉइंटमेंट ऑफ डायरेक्टर्स
- DIR 2 कंसेंट ऑफ डायरेक्टर्स
- DIR 3 DIN प्राप्त करने के लिए एप्लीकेशन टू ROC
- INC 1 बिज़नेस नेम अप्रूव्ल
- INC 12 एप्लीकेशन फोर लाइसेंस
- INC 13 मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन
- INC 14 डिक्लेरेशन फ्रॉम ए प्रैक्टिसिंग CA
- INC 15 डिक्लेरेशन फ्रॉम इच पर्सनल मेंकिंग द एप्लीकेशन
- INC 16 एनजीओ के रूप में शामिल करने के लिए लाइसेंस
- INC 22 सिचुएशन ऑफ रजिस्टर्ड ऑफिस
- INC 7 कंपनी के निगमन के लिए आवेदन
- INC 8 डिक्लरेशन्स
- INC 9 प्रत्येक डायरेक्टर और सब्सक्राइबर द्वारा एफिडेविट
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NGO रजिस्ट्रेशन के लाभ
कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत अपनी कंपनी को NGO के रूप में रजिस्टर करने के कई फायदें हैं, जिनके बारे में नीचे बताया गया है:-
टैक्स में बचत
कंपनी को NGO के रूप में रजिस्टर करने से गैर–सरकारी संगठनों (NGO) के कई तरह के टैक्स माफ कर दिए जाते हैं। इस तरह से वे टैक्स में बचत कर सकते हैं और अपने पैसों को अन्य प्रोजेक्ट्स में निवेश कर लाभ कमा सकते हैं।
कम पूंजी की आवश्यकता
सभी कंपनियों को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए मिनिमम शेयर पूंजी की आवश्यकता होती है। गैर–सरकारी संगठनों के मामले में ऐसा नहीं है क्योंकि उन्हें डोनेशन के ज़रिए डाइरेक्ट फंड मिलता है। इसका मतलब है कि एनजीओ को स्वतंत्र रूप से काम करने के लिए अधिक पैसों की जरूरत नहीं पड़ती।
टाइटल का उपयोग
अधिकांश कंपनियां अपनी लिमिटेड लायबिलिटी स्टेटस को सार्वजनिक करने को बाध्य हैं। हालांकि, कंपनी अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड कंपनियों के मामले में ऐसा नहीं है। इन रजिस्टर्ड कंपनियों को किसी भी टाइटल के उपयोग से छूट दी गई है। वे अपनी सीमित लिमिटेड लायबिलिटी स्टेट्स को सार्वजनिक किए बिना कार्य कर सकते हैं।
स्वामित्व/टाइटल को ट्रांसफर करने का अधिकार
आयकर अधिनियम, 1961 के तहत एनजीओ के रूप में रजिस्टर्ड कंपनियां अपने स्वामित्व या टाइटल को ट्रांसफर करने के लिए प्रतिबंधित नहीं हैं। हालाँकि, अन्य कंपनियाँ अपने स्वामित्व को इतनी आसानी से ट्रांसफर नहीं कर सकती हैं, जिसका लाभ NGOs को मिलता है।
स्टाम्प ड्यूटी माफ़
आयकर अधिनियम 2013 के तहत NGO के रूप में रजिस्टर्ड सभी कंपनियों की स्टांप ड्यूटी माफ की गई है। स्टांप ड्यूटी के माध्यम से बचाए गए सभी टैक्स को कंपनी द्वारा निवेश किया जाता है। स्टांप ड्यूटी में मिलने वाले इस लाभ से कंपनी का फंड सुरक्षित रहता है, जिससे कंपनी का कामकाज सुचारू होता है और कंपनी की उत्पादकता बढ़ती है।
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