Paisabazaar app Today!
Get instant access to loans, credit cards, and financial tools — all in one place
Our Advisors are available 7 days a week, 9:30 am - 6:30 pm to assist you with the best offers or help resolve any queries.
Get instant access to loans, credit cards, and financial tools — all in one place
Scan to download on
एफडी दो तरह की होती हैं- कुमुलेटिव और नॉन-कुमुलेटिव, जिन्हें संचयी या गैर-संचयी एफडी के नाम से भी जाना जाता है। इस लेख में एफडी के इन दोनों प्रकारों के बारे में बताया गया है, जिसकी मदद से आप यह तय कर सकते हैं कि इनमें से किसमें निवेश करना आपके लिए उपयुक्त है।
Compare and choose from trusted banks and NBFCs
Manage all FDs in one place
No Bank A/c Required
Investments of up to Rs. 5L insured by DICGC
FD खोलें और लाइफटाइम-फ्री स्टेप अप क्रेडिट कार्ड पाएं
अभी अप्लाई करेंकुमुलेटिव एफडी में मूल राशि पर आपको जो ब्याज मिलता है, उसे हर साल कंपाउंड किया जाता है। इसका मतलब है कि एफडी पर मिलने वाले ब्याज को वापस मूल राशि में जोड़ दिया जाता है, जिससे मूल राशि बढ़ जाती है और उस पर मिलने वाले ब्याज में भी बढ़ोतरी होती है।
इसे एक उदाहरण से समझते हैं, आपने 5 साल के लिए 7% की ब्याज दर पर एफडी में 1,00,000 रु. निवेश किए, तो पहले साल में आपको 7,000 रु. का ब्याज मिलेगा जिससे कुल राशि 1,07,000 रु. हो जाएगी। अगले साल जो ब्याज मिलेगा वो 1,00,000 रु. के बजाय 1,07,000 रु, पर दिया जाएगा यानी ब्याज पर ब्याज का लाभ।
Manage all FDs in one place
No Bank A/C Required
इस प्रकार की फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) उनके लिए उपयुक्त होती है जो इंटरेस्ट इनकम पर निर्भर नहीं है। ये ऐसे लोग हो सकते हैं जिनकी सैलरी स्टेबल है या जो अपने बिज़नेस में अच्छा लाभ कमा रहे हैं। अगर आप भविष्य में एक भविष्य के लिए एक निश्चित राशि बचाना चाहते है तो आपको कुमुलेटिव फिक्स्ड डिपॉज़िट लेने पर विचार करना चाहिए।
यह भी पढ़ें: कंपनी/कॉरपोरेट फिक्स्ड डिपॉज़िट क्या होती है?
नॉन–कुमुलेटिव FD ब्याज का भुगतान मैच्योरिटी के बजाय मासिक, क्वाटरली (तीन महीने में), अर्ध-वार्षिक या वार्षिक आधार पर किया जाता है। इस तरह की एफडी में कुमुलेटिव एफडी की तरह ब्याज कंपाउंड नहीं होता, इसलिए इसमें मिलने वाला ब्याज कम होता है।
नॉन–कुमुलेटिव एफडी में वे लोग निवेश कर सकते हैं जिन्हें नियमित आय की ज़रूरत होती है जैसे रिटायर्ड व्यक्ति, फ्रीलांसर और हाउस वाइफ।
आइए जानते हैं इन दोनों के बीच प्रमुख अंतर क्या हैं–
| कुमुलेटिव FD | नॉन–कुमुलेटिव FD | |
| परिभाषा | ब्याज पूरी FD अवधि के लिए जमा रहती है | ब्याज़ जमा नहीं होता |
| ब्याज़ का भुगतान | मैच्योरिटी पर | मासिक, क्वाटरली (तीन महीने में), अर्ध–वार्षिक या वार्षिक आधार पर |
| इनकम फ्लो | एफडी की अवधि पूरी होने तक कोई इनकम नहीं | एफडी की अवधि के दौरान रेगुलर इनकम |
| री–इंवेस्टेमेंट |
|
|
| किसके लिए उपयुक्त | नौकरीपेशा व्यक्ति और लंबी अवधि के लिए निवेश करना चाहते हैं | रिटायर्ड लोग, हाउस वाइफ और फ्रीलांसर |
कुमुलेटिव एफडी में अधिक ब्याज मिलता है। इसमें जो ब्याज मिलता है उसे वापस एफडी में इंवेस्ट किया जाता है जिससे मूल राशि में बढ़ोतरी होती है और ब्याज उस बढ़ी रकम पर दिया जाता है। यानी कंपाउंडिंग की वजह से ब्याज पर ब्याज दिया जाता है और रिटर्न बढ़ता जाता है। यह तब तक चलता है जब तक कि एफडी की अवधि पूरी नहीं हो जाती। ऐसे में आप कुमुलेटिव एफडी खुलवाकर अधिक ब्याज प्राप्त कर सकते हैं।
इन दोनों एफडी में से एक का चुनाव आप अपनी आवश्यकता और ब्याज भुगतान के विकल्प के आधार पर कर सकते हैं। अगर आप अपनी मौजूदा आय में वृद्धि करना चाहते हैं या रिटारमेंट के बाद पेंशन प्राप्त करना चाहते हैं तो आप नॉन–कुमुलेटिव एफडी चुन सकते हैं। लेकिन अगर आप एक निश्चित अवधि के लिए जमा करना चाहते हैं तो आप कुमुलेटिव एफडी को चुन सकते हैं। इस तरह से हम कह सकते हैं कि इन दोनों की अपनी-अपनी खासियत है और जो एफडी आपकी आवश्यकता के अनुरूप है, वही बेस्ट है।