जब आप अपनी एफडी को समय से पहले तोड़ते हैं, तो आप उस पैसे को खो देते हैं जिसे ब्याज के रूप में कंपाउंड किया जा सकता था। FD का प्रीमैच्योर क्लोज़र करने पर पेनेल्टी भी लगाई जाती है जो मूल राशि के 1% तक होती है, लेकिन यह दर एक बैंक से दूसरे में अलग हो सकती है।
उदाहरण– मान लीजिए, आपने 10 साल तक की अवधि के लिए 6.8% की ब्याज़ दर पर 1,00,000 रु. की एफडी शुरू की। एफडी के मैच्योर होने पर आपको 1,93,009 रु. मिलेंगे। अब अगर आप अपनी एफडी को 4 साल बाद तोड़ देते हैं तो आपको लागू ब्याज़ से 1% कम ब्याज़ यानी 6.80%-1%= 5.80% ब्याज़ दिया जाएगा और 1,26,041 रु. मिलेंगे। इस तरह आपको प्रीमैच्योर विड्रॉल करने पर आपको 66,968 रु. का नुकसान होगा।
इसलिए प्रीमैच्योर विड्रॉल करना घाटे का सौदा साबित हो सकता है। ऐसे में हम आपको कुछ ऐसे तरीकों के बारे में बताएंगे जिसकी मदद से आप प्रीमैच्योर विड्रॉल किए बिना अपनी अल्पकालिक ज़रूरतों को पूरा कर सकते हैं।
विभिन्न बैंकों द्वारा FD तोड़ने पर ली जाने वाली पेनेल्टी
एफडी का प्रीमैच्योर विड्रॉल करने पर जो पेनेल्टी ली जाती है, वो एक बैंक से दूसरे बैंक में भिन्न होती है:-
बैंक | पेनेल्टी दरें |
SBI | 1% |
HDFC बैंक | 1% |
ICICI बैंक | 1.50%* तक |
पंजाब नेशनल बैंक | 1% |
एक्सिस बैंक | 1% |
केनरा बैंक | 1%** |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 1%*** |
यूनियन बैंक | शून्य |
IDBI बैंक | 1% |
बैंक ऑफ इंडिया | 1% |
* एक वर्ष से कम अवधि के लिए 0.50%, एक वर्ष से अधिक के लिए 1% अगर जमा राशि 5 करोड़ से कम है; 5 करोड़ से अधिक जमा के लिए, 5 वर्ष तक की अवधि के लिए 1%, और 5 वर्ष और उससे अधिक के लिए 1.50%
** 1 करोड़ रु. तक की डिपॉज़िट पर लागू
*** अगर 5 लाख रु. से कम की राशि न्यूनतम 12 महीने के लिए रखी जाती है तो कोई पेनेल्टी नहीं ली जाएगी।
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