सभी प्रमुख बैंक और वित्तीय संस्थान फिक्स्ड डिपॉज़िट और रेकरिंग डिपॉज़िट दोनों की पेशकश करते हैं। दोनों योजनाओं में आप एक विशेष राशि निवेश कर सकते हैं और निवेश की गई राशि पर आपको तय ब्याज मिलेगा। आपको अवधि के अंत में निवेश की गई राशि और ब्याज दोनों मिलेंगे। लेकिन कई बार यह देखा जाता है कि निवेशक भ्रमित हो जाते हैं कि फिक्स्ड डिपॉज़िट स्कीम में निवेश करें या अपने निवेश के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए रेकरिंग डिपॉज़िट में निवेश करें। लेकिन जब आप दो दोनों में तुलना करते हैं, रेकरिंग डिपॉ़ज़िट की तुलना में आपको फिक्स्ड डिपॉज़िट अधिक रिटर्न देता है। आइए चर्चा करें कि दोनों डिपॉज़िट कैसे अलग हैं और आपको कौन सा विकल्प चुनना चाहिए।
फिक्स्ड डिपॉजिट
फिक्स्ड डिपॉज़िट एक निवेश साधन है जिसके माध्यम से लोग कुछ समय के लिए अपनी राशि को जमा करते हैं वो तय ब्याज लाभ के रूप में कमाते हैं| दो प्रकार की फिक्स्ड डिपॉज़िट योजनाएँ उपलब्ध हैं:
नॉन क्युमुलेटिव एफडी योजना: नॉन क्युमुलेटिव फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) में, मूलधन निवेशक द्वारा चुने गई अवधि के लिए निवेश किया जाता है और ब्याज का भुगतान मासिक, तिमाही (तीन महीनों में) या वार्षिक आधार पर किया जाता है। यह पारंपरिक एफडी योजना है जिसे लोग तब चुनते हैं अगर वे अतिरिक्त आय का एक नियमित स्रोत उत्पन्न करना चाहते हैं और पूरी एफडी योजना के दौरान लगातार ब्याज प्राप्त करना चाहते हैं|
क्युमुलेटिव एफडी योजना: क्युमुलेटिव फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) में, जमा किये गए मूलधन पर ब्याज हर तीन महीनों में लगता है लेकिन निवेशक को मिलने के बजाए इस ब्याज को मूलधन के साथ जोड़कर फिर से निवेश कर दिया जाता है| इस तरह लम्बे समय में अधिक लाभ होता है| एफडी योजना की मैच्योरिटी पूरी होने पर निवेशक को मूलधन के साथ ब्याज दे दिया जाता है।
रेकरिंग डिपॉज़िट (आरडी) लोगों को हर महीने एक निर्धारित राशि की बचत और आरडी अकाउंट में जमा करने की अनुमति देता है। एक बार जब निवेशक अकाउंट खोलते हैं, तो उन्हें अपने आरडी अकाउंट में हर महीने पूर्व निर्धारित राशि जमा करनी होगी है| अवधि के अंत में, वे ब्याज के साथ अपनी जमा राशि प्राप्त करते हैं।
फिक्स्ड डिपॉज़िट और रेकरिंग डिपॉज़िट में क्या अंतर है?
अगर आप भी सोच रहे हैं कि एफडी व आरडी में से कौन सा विक्लप आपके लिए बेहतर है, तो उनकी तुलना यहां की गई है:
उद्देश्य: फिक्स्ड डिपॉज़िट्स (एफडी) और रेकरिंग डिपॉज़िट्स (आरडी) दोनों वित्तीय साधन हैं जो लोगों को उनकी निवेश की गई राशी पर ब्याज देते हैं| रिटर्न की गारंटी होने के कारण दोनों सुरक्षित निवेश हैं। हालांकि, एडी योजना में आपको एक ही बार निश्चित राशि तय समय के लिए जमा करनी होती है वहीं आरडी में आप तय अवधि के लिए हर महीने पूर्व-निर्धारित राशि जमा कर सकते हैं|
अवधि: चुनी गई FD की अवधि और प्रकार के आधार पर ब्याज दर बदलती रहती है। लोग एफडी में कम से कम 7 दिन से लेकर अधिकतम 10 साल तक निवेश कर सकते हैं। एक आरडी अकाउंट क्रमशः 6 महीने और 10 साल की न्यूनतम और अधिकतम अवधि के लिए खोला जा सकता है।
ब्याज दर: एफडी और आरडी पर ब्याज दर एक बैंक से दूसरे बैंक में भिन्न होती है और यह निवेश के समय निवेशक द्वारा चुनी गई एफडी / आरडी योजना के जमा अवधि और प्रकार पर भी निर्भर करती है। एफडी और आरडी के लिए आवश्यक न्यूनतम मूल जमा भी अलग-अलग बैंकों के लिए अलग-अलग होती है। लोगों के लिए विभिन्न रेकरिंग डिपॉज़िट योजनाएं उपलब्ध हैं। कुछ छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों आदि के लिए विशिष्ट हैं और ब्याज दर आरडी योजना के आधार पर भी भिन्न होती है। समान समय अवधि और मूलधन के लिए, FD पर प्राप्त ब्याज RD से थोड़ा अधिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरी राशि एफडी के मामले में हर महीने ब्याज प्राप्त करती है, लेकिन आरडी में किस्तों में पैसा निवेश किया जाता है इसलिए शुरुआत में आरडी अकाउंट में कम राशि होने पर कम ही ब्याज मिलता है और जैसे-जैसे राशि बढ़ती है वैसे-वैसे ब्याज बढ़ता है|
मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालना: बैंक द्वारा निर्धारित जुर्माने का भुगतान करने के बाद लोग अपने फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) से मैच्योरिटी से पहले पैसे निकाल सकते हैं, आमतौर ये जुर्माना मूलधन का 2% होता है। 20,000 रु. से अधिक की निकासी के लिए, पैसा जमाकर्ता के बैंक अकाउंट में जमा किया जाता है। एफडी और आरडी के फोरक्लोजर के लिए, जमाकर्ताओं को बैंक द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर उनके निवेश को निकालने से पहले जुर्माने का भुगतान करना होगा।
टैक्स: फिक्स्ड डिपॉज़िट या रेकरिंग डिपॉज़िट से प्राप्त ब्याज पर टैक्स लगता है। अगर किसी एफडी पर एक वित्तीय वर्ष में सालाना ब्याज 10,000 रुपये से अधिक है, तो बैंक उन निवेशकों के लिए टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) के रूप में 10% की कटौती करता है, जिन्होंने अपना पैन जमा किया है और 20% उन लोगों के लिए जिन्होंने बैंक में अपना पैन जमा नहीं किया है। जो लोग टीडीएस के लिए योग्य नहीं हैं, वे टीडीएस कटौती से बचने के लिए फॉर्म 15G (वरिष्ठ नागरिकों के लिए फॉर्म 15H) जमा कर सकते हैं। हालाँकि रेकरिंग डिपॉज़िट से प्राप्त ब्याज से टीडीएस नहीं काटा जाता है, लेकिन व्यक्ति को इसे अपने इनकम टैक्स में दर्ज करना होता है।