फिक्स्ड डिपॉजिट (FD)
फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) एक निवेश विकल्प हैं जिसमें एक तय अवधि और ब्याज दरों पर रकम जमा की जाती है। एफडी में 7 दिन से लेकर 10 साल तक की अवधि के लिए निवेश किया जा सकता है। डिपॉज़िट सिर्फ एक बार किया जाता है। अवधि पूरी हो जाने पर मूल राशि और उस पर मिलने वाला ब्याज आवेदक के बैंक अकाउंट में जमा कर दिया जाता है।
दो प्रकार की फिक्स्ड डिपॉज़िट योजनाएँ उपलब्ध हैं:-
- नॉन क्युमुलेटिव एफडी योजना: नॉन क्युमुलेटिव फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) में, मूलधन निवेशक द्वारा चुने गई अवधि के लिए निवेश किया जाता है और ब्याज का भुगतान मासिक, तिमाही (तीन महीनों में) या वार्षिक आधार पर किया जाता है। यह पारंपरिक एफडी योजना है जिसे लोग तब चुनते हैं अगर वे अतिरिक्त आय का एक नियमित स्रोत उत्पन्न करना चाहते हैं और पूरी एफडी योजना के दौरान लगातार ब्याज प्राप्त करना चाहते हैं।
- क्युमुलेटिव एफडी योजना: क्युमुलेटिव फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) में, जमा किये गए मूलधन पर ब्याज हर तीन महीनों में लगता है लेकिन निवेशक को मिलने के बजाए इस ब्याज को मूलधन के साथ जोड़कर फिर से निवेश कर दिया जाता है। इस तरह लम्बे समय में अधिक लाभ होता है। एफडी योजना की मैच्योरिटी पूरी होने पर निवेशक को मूलधन के साथ ब्याज दे दिया जाता है।
रेकरिंग डिपॉज़िट (RD)
रेकरिंग डिपॉज़िट (आरडी) लोगों को हर महीने एक निर्धारित राशि आरडी अकाउंट में जमा करने की अनुमति देता है। एक बार जब निवेशक अकाउंट खोलते हैं, तो उन्हें अपने आरडी अकाउंट में हर महीने पूर्व निर्धारित राशि जमा करनी होगी है। अवधि के अंत में, वे ब्याज के साथ अपनी जमा राशि प्राप्त करते हैं।
फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) और रेकरिंग डिपॉज़िट (RD) में क्या अंतर है?
विवरण | फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) | रेकरिंग डिपॉज़िट (RD) |
डिपॉज़िट कब-कब कर सकते हैं | एक बार में | मासिक तौर पर |
अवधि | 7 दिन से 10 साल | 6 महीने से 10 साल |
न्यूनतम डिपॉज़िट | ₹100 | ₹1,000 |
TDS |
अगर एक फाइनेंशियल ईयर में इनकम ₹40,000/वरिष्ठ नागरिकों के मामले में ₹50,000 से ज़्यादा होने पर 10% (अगर पैन जमा नहीं किया जाता तो 20%) |
|
इनके लिए उपयुक्त | नौकरीपेशा व्यक्ति और पेंशनर्स आदि | गृहिणी, स्टूडेंस्ट और प्रिलांसर्स आदि |
इनकम टैक्स में बचत का विकल्प | 5 साल की लॉक-इन अवधि के साथ उपलब्ध | उपलब्ध नहीं |
डिपॉज़िट इंश्योरेंस | कवर है | कवर नहीं है |
अगर आप भी सोच रहे हैं कि एफडी व आरडी में से कौन सा विकल्प आपके लिए बेहतर है, तो उनकी तुलना यहां की गई है:-
- उद्देश्य: फिक्स्ड डिपॉज़िट्स (एफडी) और रेकरिंग डिपॉज़िट्स (आरडी) दोनों वित्तीय साधन हैं जो लोगों को उनकी निवेश की गई राशी पर ब्याज देते हैं| रिटर्न की गारंटी होने के कारण दोनों सुरक्षित निवेश हैं। हालांकि, एडी योजना में आपको एक ही बार निश्चित राशि तय समय के लिए जमा करनी होती है वहीं आरडी में आप तय अवधि के लिए हर महीने पूर्व-निर्धारित राशि जमा कर सकते हैं|
- अवधि: चुनी गई FD की अवधि और प्रकार के आधार पर ब्याज दर बदलती रहती है। लोग एफडी में कम से कम 7 दिन से लेकर अधिकतम 10 साल तक निवेश कर सकते हैं। एक आरडी अकाउंट क्रमशः 6 महीने और 10 साल की न्यूनतम और अधिकतम अवधि के लिए खोला जा सकता है।
- ब्याज दर: एफडी और आरडी पर ब्याज दर एक बैंक से दूसरे बैंक में भिन्न होती है और यह निवेश के समय निवेशक द्वारा चुनी गई एफडी / आरडी योजना के जमा अवधि और प्रकार पर भी निर्भर करती है। एफडी और आरडी के लिए आवश्यक न्यूनतम मूल जमा भी अलग-अलग बैंकों के लिए अलग-अलग होती है। लोगों के लिए विभिन्न रेकरिंग डिपॉज़िट योजनाएं उपलब्ध हैं। कुछ छात्रों, वरिष्ठ नागरिकों आदि के लिए विशिष्ट हैं और ब्याज दर आरडी योजना के आधार पर भी भिन्न होती है। समान समय अवधि और मूलधन के लिए, FD पर प्राप्त ब्याज RD से थोड़ा अधिक होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पूरी राशि एफडी के मामले में हर महीने ब्याज प्राप्त करती है, लेकिन आरडी में किस्तों में पैसा निवेश किया जाता है इसलिए शुरुआत में आरडी अकाउंट में कम राशि होने पर कम ही ब्याज मिलता है और जैसे-जैसे राशि बढ़ती है वैसे-वैसे ब्याज बढ़ता है|
- मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालना: बैंक द्वारा निर्धारित जुर्माने का भुगतान करने के बाद लोग अपने फिक्स्ड डिपॉज़िट (एफडी) से मैच्योरिटी से पहले पैसे निकाल सकते हैं, आमतौर ये जुर्माना मूलधन का 2% होता है। 20,000 रु. से अधिक की निकासी के लिए, पैसा जमाकर्ता के बैंक अकाउंट में जमा किया जाता है। एफडी और आरडी के फोरक्लोजर के लिए, जमाकर्ताओं को बैंक द्वारा निर्धारित मानदंडों के आधार पर उनके निवेश को निकालने से पहले जुर्माने का भुगतान करना होगा।
- टैक्स: फिक्स्ड डिपॉज़िट या रेकरिंग डिपॉज़िट से प्राप्त ब्याज पर टैक्स लगता है। अगर किसी एफडी पर एक वित्तीय वर्ष में सालाना ब्याज 10,000 रुपये से अधिक है, तो बैंक उन निवेशकों के लिए टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) के रूप में 10% की कटौती करता है, जिन्होंने अपना पैन जमा किया है और 20% उन लोगों के लिए जिन्होंने बैंक में अपना पैन जमा नहीं किया है। जो लोग टीडीएस के लिए योग्य नहीं हैं, वे टीडीएस कटौती से बचने के लिए फॉर्म 15G (वरिष्ठ नागरिकों के लिए फॉर्म 15H) जमा कर सकते हैं। हालाँकि रेकरिंग डिपॉज़िट से प्राप्त ब्याज से टीडीएस नहीं काटा जाता है, लेकिन व्यक्ति को इसे अपने इनकम टैक्स में दर्ज करना होता है।
फिक्स्ड डिपॉज़िट बनाम रेकरिंग डिपॉज़िट- किस में होगी अधिक कमाई
जब आप फिक्स्ड डिपॉज़िट और रेकरिंग डिपॉज़िट की तुलना करने पर यह पता चलता है कि एफडी पर रेकरिंग डिपॉज़िट की तुलना में अधिक लाभ मिलता है, चलिए इसे एक उदाहरण से समझते हैं:-
नीचे दिए गए टेबल में 5 अलग-अलग उदाहरण दिए गए हैं। उसके आधार पर इंवेस्टमेंट और उस पर मिलने वाले ब्याज की जानकारी दी गई है:-
अवधि | फिक्स्ड डिपॉज़िट राशि (a) | FD में मिलने वाला ब्याज (7.2%) (b) | मैच्योरिटी रकम | मासिक रेकरिंग डिपॉज़िट राशि (d) | RD पर मिलने वाला ब्याज (7.2%) (e) | RD मैच्योरिटी राशि (f) | अंतर (c-f) |
1 साल | ₹24000 | ₹1786 | ₹25786 | ₹ 2000 | ₹ 957 | ₹ 24957 | ₹ 829 |
2 साल | ₹48000 | ₹7410 | ₹55410 | ₹ 2000 | ₹ 3771 | ₹ 51771 | ₹ 3639 |
3 साल | ₹72000 | ₹17301 | ₹89301 | ₹ 2000 | ₹ 8581 | ₹ 80581 | ₹ 8720 |
4 साल | ₹96000 | ₹31930 | ₹127930 | ₹ 2000 | ₹ 15535 | ₹ 111535 | ₹ 16395 |
5 साल | ₹120000 | ₹51814 | ₹171814 | ₹ 2000 | ₹ 24793 | ₹ 144793 | ₹ 27021 |
* ऊपर दिए गए टेबल में 7.2% का अनुमानित ब्याज लिया गया है, जो मासिक तौर पर कंपाउंड होता है।
इस तरह से आप देख सकते हैं कि आपको एक साल बाद एफडी में जहां 25786 रु. मिलेंगे, वहीं आरडी में 24957 रु. मिलेंगे। ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि आरडी के मुकाबले एफडी में 829 का अतिरिक्त लाभ मिलेगा।
एफडी या आरडी में से किसे चुनें?
ऐसे लोग जिनके पास निवेश के लिए बड़ी राशि नहीं है लेकिन हर महीने थोड़ी-थोड़ी रकम जमा कर सकते हैं, उनके लिए रेकरिंग डिपॉजिट (RD) बेहतर विकल्प है। इसमें आपको हर महीने एक तय राशि जमा करनी होती है और आरडी की अवधि पूरी होने पर आपकी कुल जमा राशि (मूलधन + ब्याज) आपके लिंक किए गए सेविंग्स या करंट अकाउंट में जमा कर दी जाती है।
लेकिन अगर आपके पास एकमुश्त (लंप सम) राशि है जिसे आप एक बार में निवेश करना चाहते हैं, तो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) आपके लिए बेहतर विकल्प है। इसमें आपको अधिक ब्याज मिलता है क्योंकि शुरुआत से ही आपका मूलधन ज़्यादा होता है।
अच्छे रिटर्न पाने के लिए आप क्यूम्युलेटिव एफडी (Cumulative FD) का विकल्प चुन सकते हैं। इसमें हर महीने, तीन महीने, छह महीने या सालाना मिलने वाला ब्याज आपके खाते में नहीं आता, बल्कि उसे फिर से उसी FD में जोड़ दिया जाता है। जिससे मूल राशि बढ़ती है और कंपाउंडिंग का लाभ मिलता है, जिससे कुल रिटर्न भी ज़्यादा हो जाता है।
अगर देखा जाए तो फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और रेकरिंग डिपॉजिट (RD) — दोनों ही बिल्कुल सुरक्षित निवेश विकल्प हैं। लेकिन, फिक्स्ड डिपॉजिट पर मिलने वाला ब्याज आमतौर पर रेकरिंग डिपॉजिट से ज़्यादा होता है, लेकिन कुछ लोग फिर भी RD को तरजीह देते हैं क्योंकि उनके पास एक बार में बड़ी राशि निवेश करने के लिए उपलब्ध नहीं होती। इसलिए, आपको कौन-सा विकल्प चुनना चाहिए, यह पूरी तरह आपकी वित्तीय स्थिति और सहूलियत पर निर्भर करता है।