फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) और पब्लिक प्रोविडेंट फण्ड (PPF) भारतीय निवेशकों के लिए उपलब्ध सबसे सुरक्षित निवेश विकल्पों में से दो हैं। ये दोनों ही, उन निवेश निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प हैं जो निवेश में कम से कम जोखिम लेना चाहते हैं। लेकिन हम दोनों के बीच चुनाव कैसे करें? इसी सवाल के जवाब में हमनें यहाँ FD और PPF के बीच के अंतर को समझाया है और दोनों की तुलना की है।
FD क्या है?
FD एक निवेश विकल्प है, आप बैन में FD अकाउंट खोलकर उसमें एक राशि तय अवधि के लिए रख सकते हैं। इस दौरान आपको ब्याज मिलता है। FD पर मिलने वाला ब्याज हमेशा सेविंग अकाउंट से अधिक होता है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि FD अकाउंट में जमा राशि और लागू ब्याज दर पूरी अवधि के लिए समान रहती है। FD नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों के साथ-साथ सभी बैंकों, कॉमर्शियल और स्मॉल फाइनेंस बैंको में उपलब्ध है।
FD में किसे निवेश करना चाहिए?
कोई भी व्यक्ति जो बिना जोखिम वाले निवेश विकल्प की तलाश में है, उनके लिए FD अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। रिटर्न की कैल्कुलेशन पूर्व-निर्धारित ब्याज दरों पर की जाती है और बाज़ार की स्थितियों में बदलाव आने से मौजूदा ग्राहक के ऊपर कोई बाधा नहीं आती है।
COVID-19 के बीच, जहां बाज़ार इतना अस्थिर और जोखिम भरा है, यदि आप अधिक जोखिम के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप बैंक या कंपनी की FD में निवेश करने पर विचार कर सकते हैं। हालांकि, बैंक FD पर डीआईसीजीसी द्वारा 5 लाख रु. का जमा बीमा कवरेज प्रदान किया जाता है। इसलिए, वर्तमान हालातों को देखते हुए, हम आपको सलाह देते हैं कि आप अपना पैसा बैंक में रखें (बेहतर है, स्मॉल फाइनेंस बैंकों में से एक में, क्योंकि वे अभी भी लगभग 8-9% ब्याज दे रहे हैं)। FD में निवेश करने से आपको 1.5 लाख रु. तक का अपना इनकम टैक्स बचाने में भी मदद मिलेगी।
PPF या पब्लिक प्रोविडेंट फंड क्या है?
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) भारत सरकार द्वारा समर्थित एक निवेश योजना और टैक्स-बचत विकल्प है। यह योजना वित्त मंत्रालय द्वारा 50 साल से अधिक समय पहले शुरू की गई थी और यह अभी भी उन निवेशकों के बीच लोकप्रिय है जो बाज़ार से जुड़े जोखिमों से दूर रहना पसंद करते हैं। चूंकि PPF की गारंटी सरकार देती है, इसलिए यह 100% सुरक्षित है। भारत के कुछ प्रमुख बैंकों में PPF अकाउंट खोलना जा सकता है। इन बैंकों द्वारा PPF के लिए ब्याज दरें भिन्न हो सकती हैं और बैंकों की PPF ब्याज दरें आमतौर पर भारतीय डाक द्वारा ऑफर PPF दरों से अधिक होती है।
PPF में किसे निवेश करना चाहिए?
यदि आपके पास वर्तमान में निवेश करने के लिए बड़ी राशि नहीं है और जोखिम रहित निवेश चाहते हैं तो, PPF आपके लिए अच्छा विकल्प रहेगा। हालांकि, FD के विपरीत, PPF 15 साल की लॉक-इन अवधि के साथ आता है।
इसलिए, यदि आप नियमित रूप से अपनी बचत के एक हिस्से को 15 साल के लिए निवेश कर सकते हैं, तो ही PPF को चुनें। इसमें मिलने वाला रिटर्न गरंटीड है और ब्याज दरें प्रमुख बैंकों की FD ब्याज दरों से अधिक हैं।
वर्तमान कोरोना-संकट के दौरान, हाथ में पैसा रखने की सलह दी जाती है। इसलिए ऐसा हो सकता है कि अभी आप नए सिरे से PPF में निवेश शुरू न करना चाहें। आपको इस समय को अपनी प्राथमिकताओं को तौलना चाहिए और बाद में निवेश करना चाहिए जब स्थिति थोड़ी स्थिर हो जाए।
FD और PPF में अंतर
निम्नलिखित लिस्ट से स्पष्ट रूप से भारतीय निवेशकों के लिए उपलब्ध दो निवेश विकल्पों के बीच के अंतर को बताया गया है:
विषय | FD | PPF |
किसके द्वारा जारी किया जाता है | बैंक और NBFC | इंडिया पोस्ट और कुछ अधिकृत बैंक जैसे SBI और ICICI |
योग्यता शर्तें | अनिवासी भारतीयों सहित निवासी, एचयूएफ, ट्रस्ट, निगम फर्म आदि | केवल भारत के निवासी |
ज्वाइंट अकाउंट | अनुमति है | अनुमति नहीं हैं |
अवधि | 7 दिन – 20 वर्ष |
15 वर्ष (उसके बाद 1 या 5 साल के लिए अवधि बढ़ा सकते हैं) |
जमा राशि (न्यूनतम/ अधिकतम) | ₹ 100- ₹ 1000 | ₹ 500 |
लिक्विडिटी | मध्यम लिक्विड; कुछ प्रकार की FD में मैच्योरिटी से पहले पैसे निकालने की अनुमति है | कम लिक्विड; PPF योजना के 6 साल होने के बाद हर साल कुछ पैसा निकालने की अनुमति है |
ब्याज भुगतान |
निवेशक की पसंद पर निर्भर करता है (लिंक किए गए बैंक खाते में तय अवधि या मैच्योरिटी पर आ जाएगा) (9.0% प्रति वर्ष तक) |
प्रत्येक वित्तीय वर्ष के 31 मार्च को (7.1% प्रति वर्ष) |
ब्याज दरों में बदलाव | कोई निश्चित पैटर्न नहीं | प्रत्येक तिमाही के लिए भारत सरकार द्वारा ब्याज दरें बताई जाती हैं |
डिपॉज़िट पर लोन | उपलब्ध | तीसरे वित्तीय वर्ष के बाद ही उपलब्ध |
अर्जित ब्याज पर टैक्स | आयकर धारा 80 C के तहत ₹ 1.5 लाख तक की टैक्स छूट | इनकम टैक्स से पूरी तरह छूट |
डिपॉज़िट पर टैक्स | नहीं है | डिपॉज़िट इनकम टैक्स अधिनियम के अनुसार टैक्स छूट के लिए योग्य हैं |
FD और PPF में ब्याज की कैल्कुलेशन कैसे की जाती है?
जहां तक PPF का सवाल है, जमा पर मिलने वाला ब्याज सालाना कंपाउंड होता है। यह इस बचत योजना में किए गए सभी जमाओं के लिए निर्धारित है। FD के मामले में, इसकी कैल्कुलेशन दो तरीकों से की जाती है, अर्थात कंपाउंड ब्याज या साधारण ब्याज।
मैच्योरिटी राशि का अनुमान लगाने के लिए, Paisabazaar.com पर FD कैलकुलेटर और PPF कैलकुलेटर जैसे उपकरण उपलब्ध हैं। ये उपकरण नि:शुल्क हैं और विभिन्न FD दरों/PPF दरों और अवधि पर उनके लिए सबसे अच्छा विकल्प तय करने में निवेशकों की सहायता के लिए कई बार उपयोग किए जा सकते हैं। जमा राशि और अवधि के साथ FD ब्याज दर या PPF दर जैसे बुनियादी विवरण फॉर्म पोस्ट में भरे जाने हैं, जो कैलकुलेटर दर्ज किए गए इनपुट के अनुसार सबसे अच्छा अनुमान दिखाएगा।
निष्कर्ष
FD और PPF के बीच चयन करना निवेशक की ज़रूरतों पर निर्भर करता है, इस प्रकार इन दोनों के बीच निर्णय लेते समय, दोनों के फाएदे व नुकसान पर ठीक से विचार करना चाहिए।
जबकि PPF सरकार की गारंटी के साथ पूरी तरह से सुरक्षित विकल्प है। इसमें निवेश करने के बाद 6 वर्षों तक आप पैसा नहीं निकाल सकते हैं और 7 वें वर्ष से मौजूदा राशि का कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं।
वहीं FD की बात करें तो उसमें ऐसा कोई नियम नहीं है। बैंक FD पर जमा पैसे पर 5 लाख रु. का बीमा भी मिलता है।
इसलिए, यदि लक्ष्य जीवन में बाद के चरण में उपयोग किए जाने वाले धन को कई वर्षों तक सुरक्षित रखना है, तो PPF फायदेमंद साबित हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति समय से पहले खाता बंद करने के विकल्प के साथ-साथ अच्छा रिटर्न और कम जोखिम वाला निवेश चाहता हाउ, तो FD एक बेहतर विकल्प है।