प्री-मैच्योर विड्रॉल क्या है?
फिक्स्ड डिपॉज़िट,प्रीमैच्योर विड्रॉल की सुविधा के ज़रिए कस्टमर अपनी एफडी को मेच्योरिटी से पहले बंद कर सकते हैं। इसे FD तोड़ना भी कहा जाता है। पैसों की ज़रूरत पड़ने पर ये सुविधा राहत के रूप में काम आती है।
हालांकि, प्रीमैच्योर विड्रॉल करने पर आपको पेनल्टी भी देनी पड़ती है। यह पेनल्टी 0.5%-1% के बीच होती है। कुछ बैंक शून्य पेनल्टी के साथ प्री–मैच्योर विड्रॉल सुविधा देते हैं। इसके साथ ही अगर आप एफडी बुक करने की तारीख से 7 दिन पूरा किए बगैर एफडी तोड़ देते हैं, तो बैंक या NBFC एफडी पर कोई भी ब्याज़ प्रदान नहीं करती।
प्रीमैच्योर विड्रॉल पर पेनेल्टी
पेनल्टी वह लागत है जो बैंकों या कंपनियों द्वारा उस समय वसूली जाती है जब जमाकर्ता समय से पहले (प्री-मैच्योर) या मैच्योरिटी तारीख से पहले अपने फिक्स्ड डिपॉज़िट अकाउंट से पैसे निकाल लेता है। यह लगातार विड्रॉल को करने से रोकता है और बचत की आदत को प्रोत्साहित करता है।
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जुर्माना (पेनल्टी) कैसे लगाया जाता है?
जमाकर्ता को भुगतान किए जाने वाले ब्याज पर पेनल्टी देनी पड़ती है। मान लीजिए कि बैंक प्री-मैच्योर विड्रॉल पर 1% पेनल्टी लगाता है, इसलिए FD की प्री-मैच्योर पर ब्याज की कैलकुलेशन निम्नानुसर की जाएगी।
मान लीजिए किसी ग्राहक के पास 1 लाख रु. की FD है और ब्याज 8% (संचयी) कमा रहा है। वह 1 वर्ष पूरा करने के बाद FD निकाल लेता है। एक वर्ष में, उसने @ 8% ब्याज कमाया है, लेकिन अब, बैंक संशोधित FD दरों पर ब्याज को दोबारा कैलकुलेट करेगा, अर्थात 8% – घटाया 1%। नई दर 7% होगी।
ध्यान दें: विड्रॉल के समय वास्तविक कैलकुलेशन अलग हो सकती है। यह उदाहरण केवल सांकेतिक उद्देश्य के लिए है।
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केस – 1
मान लीजिए कि एक ग्राहक ने 2 साल के लिए 7% की दर से 1 लाख रुपये के फिक्स डिपॉज़िट में निवेश किया है। हमें यह भी मान लेना चाहिए कि 1 वर्ष के लिए ब्याज दर 6.5% है। वह 1 साल पूरा करने के बाद फिक्स डिपॉज़िट निकाल लेता है। एक वर्ष में, उन्होंने 7% ब्याज अर्जित किया है। लेकिन अब, बैंक संशोधित फिक्स डिपॉज़िट दरों पर ब्याज की फिर से कैल्कुलेशन करेगा, अर्थात 6.5% – 1% = 5.5%,नई दर 5.5% होगी और इस दर पर ब्याज देना होगा।
पैरामीटर | विवरण |
मूल राशि | ₹ 1 लाख |
दो साल की फिक्स डिपॉज़िट पर बुक की गई ब्याज दर | प्रति वर्ष 7% |
एक वर्ष के बाद मैच्योरिटी राशि | ₹ 1,07,186 |
एक वर्ष की फिक्स डिपॉज़िट पर ब्याज दर (फिक्स डिपॉज़िट बुक करते समय) | एक साल में 6.5% |
प्रभावी दर | एक साल में 6.5% |
समय से पहले पैसे निकालने पर पेनल्टी चार्ज | 1% |
देय ब्याज की अंतिम दर | 5.5% प्रति वर्ष |
समयपूर्व निकासी पर प्राप्त होने वाली राशि | ₹ 1,05,614 |
केस – 2
मान लीजिए कि एक ग्राहक ने 2 साल के लिए 6% की दर से 1 लाख रुपये की फिक्स डिपॉज़िट में निवेश किया है। आइए हम यह भी मान लें कि बुकिंग के समय 1 वर्ष के लिए ब्याज दर 7% है और समय से पहले पैसे निकालने या एफडी तोड़ने पर पैनेल्टी के रूप में 1% ब्याज दर काटी जाएगी। वह 1 साल पूरा करने के बाद फिक्स डिपॉज़िट निकाल लेता है। एक वर्ष में, उन्होंने 6% की ब्याज अर्जित की है। लेकिन अब, बैंक प्रभावी फिक्स डिपॉज़िट (-1%) दर पर ब्याज को फिर से कैल्कुलेट करेगा, यानी 6% – 1% = 5%। नई दर 5% होगी और इस दर पर ब्याज कैल्कुलेट किया जाएगा।
पैरामीटर | विवरण |
मूल राशि | ₹ 1 लाख |
दो साल की फिक्स डिपॉज़िट पर बुक की गई ब्याज दर | 6 % प्रति वर्ष |
एक वर्ष के बाद मेच्योरिटी राशि | ₹ 1,06,136 |
एक वर्ष की फिक्स डिपॉज़िट पर ब्याज दर (फिक्स डिपॉज़िट बुक करते समय) | प्रति वर्ष 7 % |
प्रभावी दर | 6 % प्रति वर्ष |
समय से पहले निकासी पेनल्टी चार्ज | 1 % |
देय ब्याज की अंतिम दर | प्रतिवर्ष 5 प्रतिशत |
समयपूर्व निकासी पर प्राप्त होने वाली राशि | ₹ 1,05,095 |
नोट: वास्तविक कैल्कुलेशन अलग हो सकती है। यह उदाहरण केवल सांकेतिक उद्देश्य के लिए है।