FD पर इनकम टैक्स एग्जेंप्शन
डिपॉज़िटर FCNR और NRE FD से मिले ब्याज पर इनकम टैक्स एग्जेंप्शन का दावा कर सकते हैं। ये दोनों डिपॉज़िट भारत में टैक्स–फ्री हैं। वहीं, अलग–अलग बैंकों द्वारा दी जाने वाली टैक्स-सेविंग फिक्स्ड डिपॉज़िट स्कीम में निवेश करके टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है। टैक्स सेवर एफडी पर इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक के निवेश पर टैक्स में छूट का लाभ उठाया जा सकता है। हालांकि, टैक्स सेवर एफडी से प्राप्त होने वाला ब्याज डिपॉज़िटर के टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स योग्य होती है।
धारा 80C के तहत टैक्स डिडक्शन
टैक्स–सेविंग एफडी योजनाओं में 5 साल की लॉक–इन अवधि होती है और प्रत्येक वित्तीय वर्ष में 1.5 लाख रु. तक की डिपॉज़िट राशि आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत टैक्स डिडक्शन के लिए योग्य होती है। 5 साल की अवधि के लिए खोली गई नेशनल सेविंग टाइम डिपॉज़िट अकाउंट (पोस्ट ऑफिस फिक्स्ड डिपॉज़िट के रूप में भी जाना जाता है) भी इसी डिडक्शन के लिए योग्य है।
हालांकि, डिपॉज़िटर को यह ध्यान देना चाहिए कि एफडी पर मिलने वाले ब्याज पर टैक्स लगता है और IT रिटर्न में “Income from other sources” के तहत टैक्स लगाया जाता है।
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धारा 80TTB के तहत उपलब्ध इनकम टैक्स डिडक्शन
आयकर अधिनियम की धारा 80TTB के अनुसार वरिष्ठ नागरिक, डिपॉज़िट अकाउंट से मिली 50,000 रु. तक के इंटरेस्ट इनकम पर डिडक्शन का लाभ उठा सकते हैं, जिसमें फिक्स्ड डिपॉज़िट भी शामिल है। यहाँ, ‘डिपॉज़िट’ ‘ शब्द का मतलब बैंकों, डाकघरों और बैंकिंग बिज़नेस में लगी सहकारी समितियों में खोले गए डिपॉज़िट अकाउंट से है।
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फिक्स्ड डिपॉज़िट पर TDS
इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 194A के अनुसार, एफडी के ब्याज़ पर TDS काटा जाता है। वित्तीय वर्ष में FD इंटरेस्ट इनकम 40,000 रु. (वरिष्ठ नागरिकों के लिए 50,000 रु.) से अधिक होने पर 10% की दर से TDS काटा जाता है। लेकिन, अगर पैन की डिटेल्स प्रदान नहीं की जाती हैं, तो इंटरेस्ट इनकम से 20% की दर से TDS काटा जाता है।
जिन डिपॉज़िटर्स की आय टैक्स योग्य नहीं है, वे फॉर्म 15G और फॉर्म 15H (60 और उससे अधिक की उम्र के वरिष्ठ नागरिकों के लिए) में एक डिक्लरेशन प्रदान कर सकते हैं। ऐसा करने से बैंक एफडी ब्याज पर TDS की कटौती नहीं कर पाएंगे और इस तरह डिपॉज़िटर को अधिक प्रभावी कैश फ्लो मैनेजमेंट में मदद मिलेगी।
टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय एफडी इंटरेस्ट इनकम को डिपॉज़िटर की वार्षिक आय में जोड़ा जाता है। ऐसे डिपॉज़िटर जिन्होंने फॉर्म 15G या 15H दाखिल किया है, लेकिन उनकी आय टैक्स योग्य है, उन्हें आईटीआर दाखिल करते समय अपने टैक्स स्लैब के अनुसार टैक्स का भुगतान करना होगा।