होम लोन की सबसे कम ब्याज दरें (प्रति वर्ष)-2024
बैंक व लोन संस्थान | ₹30 लाख तक | ₹30 लाख से 75 लाख तक | ₹75 लाख से ज़्यादा |
बैंक ऑफ इंडिया | 8.35%-10.85% | 8.35%-10.85% | 8.35%-11.10% |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 8.35% – 10.75% | 8.35% – 10.90% | 8.35% – 10.90% |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र | 8.35% – 11.15% | 8.35% – 11.15% | 8.35% – 11.15% |
LIC हाउसिंग फाइनेंस | 8.50% – 10.35% | 8.50% – 10.55% | 8.50 – 10.75% |
बैंक ऑफ बड़ौदा | 8.40% – 10.65% | 8.40% – 10.65% | 8.40% – 10.90% |
होम लोन की ब्याज दरें-वर्ष 2024
बैंक व लोन संस्थान | ₹30 लाख तक | ₹30 लाख से 75 लाख तक | ₹75 लाख से ज़्यादा |
सार्वजानिक क्षेत्र के बैंक | |||
बैंक ऑफ बड़ौदा | 8.40% – 10.65% | 8.40% – 10.65% | 8.40% – 10.90% |
पंजाब नेशनल बैंक | 8.45% – 10.25% | 8.40% – 10.15% | 8.40% – 10.15% |
पंजाब एंड सिंध | 8.50% – 10.00% | 8.50% – 10.00% | 8.50% – 10.00% |
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया | 8.50%- 9.85% | 8.50%- 9.85% | 8.50%- 9.85% |
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया | 8.35% – 10.75% | 8.35% – 10.90% | 8.35% – 10.90% |
बैंक ऑफ इंडिया | 8.35%-10.85% | 8.35%-10.85% | 8.35%-11.10% |
यूको बैंक | 8.45% – 10.30% | 8.45% – 10.30% | 8.45% – 10.30% |
बैंक ऑफ महाराष्ट्र | 8.35%-11.15% | 8.35%-11.15% | 8.35%-11.15% |
केनरा बैंक | 8.50% – 11.25% | 8.45% – 11.25% | 8.40% – 11.15% |
इंडियन ओवरसीज़ बैंक | 8.40%- 10.60% | 8.40%- 10.60% | 8.40%- 10.60% |
निजी क्षेत्र के बैंक | |||
एचडीएफसी बैंक लिमिटेड | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू |
कोटक महिंद्रा बैंक | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू |
आईसीआईसीआई बैंक | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू |
एक्सिस बैंक | 8.75-13.30% | 8.75-13.30% | 8.75-9.65% |
करूर वैश्य बैंक | 9.00-11.05% | 9.00-11.05% | 9.00-11.05% |
साउथ इंडियन बैंक | 8.70-11.70% | 8.70-11.70% | 8.70-11.70% |
कर्नाटक बैंक | 8.50-10.62% | 8.50-10.62% | 8.50-10.62% |
फेडरल बैंक | 8.80% से शुरू | 8.80% से शुरू | 8.80% से शुरू |
धनलक्ष्मी बैंक | 9.35%- 10.50% | 9.35%- 10.50% | 9.35%- 10.50% |
तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक | 8.60% – 9.95% | 8.60% – 9.95% | 8.60% – 9.95% |
बंधन बैंक | 9.16% –15.00% | 9.16% –13.33% | 9.16% –13.33% |
आरबीएल बैंक | 8.90% से शुरू | 8.90% से शुरू | 8.90% से शुरू |
हाउसिंग फाइनेंस कम्पनियां (HFCs) | |||
LIC हाउसिंग फाइनेंस | 8.50% –10.35% | 8.50% – 10.55% | 8.50% – 10.75% |
टाटा कैपिटल | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू |
PNB हाउसिंग फाइनेंस | 8.50% –14.50% | 8.50% – 14.50% | 8.50% – 11.45% |
रेप्को होम फाइनेंस | 9.60% से शुरू | 9.60% से शुरू | 9.60% से शुरू |
GIC हाउसिंग फाइनेंस | 8.80% से शुरू | 8.80% से शुरू | 8.80% से शुरू |
सम्मान कैपिटल लिमिटेड | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू | 8.75% से शुरू |
आदित्य बिरला कैपिटल | 8.60% से शुरू | 8.60% से शुरू | 8.60% से शुरू |
ICICI होम फाइनेंस | 9.30% से शुरू | 9.30% से शुरू | 9.30% से शुरू |
गोदरेज हाउसिंग फाइनेंस | 8.55% से शुरू | 8.55% से शुरू | 8.55% से शुरू |
L&T हाउसिंग फाइनेंस | 8.65% से शुरू | 8.65% से शुरू | 8.65% से शुरू |
विदेशी बैंक | |||
एचएसबीसी | 8.50% से शुरू | 8.50% से शुरू | 8.50% से शुरू |
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक | 8.95% से शुरू | 8.95% से शुरू | 8.95% से शुरू |
* होम लोन ब्याज दरें 22 नवंबर 2024 के मुताबिक
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बैंक/HFCs होम लोन की ब्याज को कैलकुलेट कैसे करते हैं?
बैंक और एचएफसी होम लोन की ब्याज को कैलकुलेट करने के लिए मंथली रिड्यूसिंग बैलेंस मेथड का उपयोग करते हैं। इसके अंतर्गत, प्रत्येक ईएमआई भुगतान के बाद बकाया मूल राशि पर लगने वाले ब्याज को कैलकुलेट किया जाता है। ऐसे में होम लोन लेने के शुरुआती कुछ वर्षों में लोन की ईएमआई में लगने वाला ब्याज सबसे अधिक होता है, जैसे-जैसे ईएमआई का भुगतान किया जाता है, वैसे-वैसे बकाया मूल राशि कम होती जाती है जिससे ईएमआई में ब्याज का हिस्सा भी कम होता जाता है।
चूंकि इस तरह का कैलकुलेशन मेथड लंबा और जटिल होता है। ऐसे में जो कस्टमर्स अपने होम लोन की ब्याज लागत के बारे में जानना चाहते हैं, वे ऑनलाइन होम लोन ईएमआई कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं। ये कैलकुलेटर न केवल होम लोन ईएमआई को कैलकुलेट करते हैं बल्कि कुल ब्याज लागत और कुल मूल राशि को भी कैलकुलेट करते हैं।
होम लोन की ब्याज दरों के प्रकार
होम लोन की ब्याज दरें तीन प्रकार की होती हैं, फिक्स्ड, फ्लोटिंग और हाइब्रिड।
- फिक्स्ड रेट लोन – फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट पूरी लोन अवधि में समान रहती है, और इसलिए आपकी EMI राशि भी समान ही रहती है। फिक्स्ड रेट होम लोन के लिए आवेदन करना तब बेहतर होता है जब मौजूदा होम लोन की ब्याज दर काफी कम होती है और भविष्य में उनके बढ़ने की संभावना होती है। कई बार बैंक ग्राहकों को यह विकल्प भी प्रदान करते हैं कि वे एक निश्चित अवधि पूरी करने के बाद वेरिएबल/ फ्लोटिंग होम लोन ब्याज दरों में स्विच कर सकते हैं।
- फ्लोटिंग रेट लोन – फ्लोटिंग ब्याज दर को वेरिएबल ब्याज दर के नाम से भी जाना जाता है। ये दरें मार्केट की मौजूदा दरों के मुताबिक घटती-बढ़ती हैं, और इसलिए वे लोन अवधि के दौरान बदल सकती हैं। ब्याज दर बदलने पर होम लोन की EMI भी बदल जाएगी।
- हाइब्रिड लोन – हाइब्रिड रेट वाले होम लोन में फिक्स्ड रेट और फ्लोटिंग रेट दोनों शामिल होती हैं। शुरुआत में कुछ समय के लिए फिक्स्ड ब्याज दर लागू होगी, जिसके बाद यह ब्याज की फ्लोटिंग दर में बदल जाएगी। ऐसे होम लोन उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त हैं जिन्हें कम फिक्स्ड दर पर लोन मिला है और वे फ्लोटिंग रेट शुरू होने से पहले इसकी प्रीपेमेंट या फोरक्लोज़ कर सकते हैं।
फिक्स्ड रेट होम लोन और फ्लोटिंग रेट होम लोन के बीच अंतर
फिक्स्ड रेट |
फ्लोटिंग रेट |
ईएमआई पूरी लोन अवधि के दौरान समान रहती है |
लिंक्ड बेंचमार्क दरों में बदलाव के साथ ईएमआई बदलती है |
फाइनेंशिल प्लानिंग करने में आसानी |
ईएमआई में अचानक बढ़ोतरी से खर्चों को मैनेज करना मुश्किल हो सकता है |
अगर मौजूदा दरें कम हो और भविष्य में उसके बढ़ने की संभावना हो, तब फिक्स्ड रेट बेहतर विकल्प साबित हो सकता है। |
फ्लोटिंग दरें तब बेहतर विकल्प साबित हो सकती हैं जब ब्याज दरें काफी अधिक हों और भविष्य में गिरावट की संभावना हो |
ब्याज दरों के कम होने से कोई प्रभाव नहीं पड़ता |
अगर बेंचमार्क दर घटती है तो कम ब्याज दर का लाभ मिलता है |
फ्लोटिंग रेट होम लोन की तुलना में ब्याज दरें अधिक होती हैं। |
फ्लोटिंग रेट होम लोन पर दी जाने वाली ब्याज दर आम तौर पर फिक्स्ड रेट पर लिए गए होम लोन की तुलना में कम होती है |
फिक्स्ड रेट होम लोन के प्रीपेमेंट या फोरक्लोज़र पर बैंक/HFC अतिरिक्त शुल्क लगाने के लिए स्वतंत्र हैं। |
आरबीआई की गाइडलाइन के अनुसार, बैंकों और एचएफसी को फ्लोटिंग रेट होम लोन पर प्रीपेमेंट और फोरक्लोज़र फीस लगाने की अनुमति नहीं है। |
होम लोन की ब्याज को निर्धारित करने वाले कारक
जैसा कि होम लोन की राशि आमतौर पर अधिक होती है, बैंक और हाउसिंग फाइनेंस कंपनी आवेदक की क्रेडिट हिस्ट्री, भुगतान क्षमता, आय और खरीदी जाने वाली प्रॉपर्टी का अच्छे से मूल्यांकन करती हैं। एक होम लोन आवेदक को ये पता होना चाहिए कि होम लोन एप्लीकेशन की प्रोसेसिंग करते वक्त बैंक/ लोन संस्थान किन कारकों पर विचार करते हैं और साथ ही इस बात की भी जानकारी होनी चाहिए कि वह आवेदन करने के योग्य है या नहीं। यहां यह ध्यान देना भी ज़रूरी है कि आपको कम ब्याज दर पर लोन मिल सकता है लेकिन इसके लिए योग्यता शर्तें आसान नहीं होती हैं। बैंक/ लोन संस्थान किन आधार पर होम लोन एप्लीकेशन स्वीकार करते हैं और क्यों कुछ आवेदकों को कम ब्याज दरों पर लोन देते हैं, इसकी जानकारी नीचे दी गई है:
- क्रेडिट स्कोर: क्रेडिट स्कोर 3 अंकों की संख्या होती है, जो दर्शाती है कि वर्तमान में व्यक्ति को लोन देने में कितना जोखिम है। जिन लोगों ने अपनी ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान पूरा और समय पर किया है, और क्रेडिट पर अधिक निर्भर नहीं रहे हैं, उनके पास एक अच्छा क्रेडिट स्कोर हो सकता है। यदि आपका क्रेडिट स्कोर 750 और उससे अधिक है, तो आपको होम लोन मिलने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही, बैंक और एचएफसी आवेदक के क्रेडिट स्कोर के आधार पर होम लोन की ब्याज दरों को तय करते हैं। जैसा कि क्रेडिट स्कोर अधिक होने से पता चलता है कि आवेदक ने अपनी ईएमआई और क्रेडिट बिलों का भुगतान समय पर किया है, तो कई बैंक और एचएफसी कम ब्याज दर पर अधिक क्रेडिट स्कोर वाले आवेदकों को होम लोन प्रदान करते हैं। कृपया ध्यान दें कि यदि घर पर आपके साथ किसी अन्य का भी मालिकाना हक है, तो बैंक/ लोन संस्थान दोनों के क्रेडिट स्कोर को चेक कर सकता है, भले ही लोन किसी एक ने ही क्यों न लिया हो।
- आय और रोज़गार: क्रेडिट स्कोर के अलावा बैंक/ लोन संस्थान आवेदक की आय, रोज़गार के प्रकार और नियोक्ता/ कंपनी की प्रोफाइल को भी चेक करते हैं। सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों या बड़े और प्रतिष्ठित निजी क्षेत्र के संगठनों में काम करने वाले होम लोन आवेदकों को आमतौर पर उनकी जॉब और इनकम स्थिर होने की वजह बैंक/ HFC लोन देना पसंद करते हैं। इसी वजह से बैंक और एचएफसी ऐसे आवेदकों को होम लोन की कम ब्याज दर ऑफर करते हैं। दूसरी ओर, यदि आप गैर- नौकरीपेशा हैं या आपकी नौकरी स्थिर नहीं है, या आपने अभी-अभी काम करना शुरू किया है, तो कम ब्याज दर पर होम लोन प्राप्त करना मुश्किल हो सकता है।
- लोन राशि: आप जितनी लोन राशि उधार लेना चाहते हैं, उससे आपकी होम लोन ब्याज दर भी प्रभावित हो सकती है। 30 लाख रुपये तक का होम लोन, कम ब्याज दर पर मिल सकता है। अगर आप बेहतर दरों पर होम लोन प्राप्त करना चाहते हैं तो जितनी हो सके, उतनी डाउन पेमेंट करने की कोशिश करें। इससे न केवल आपका लोन का बोझ कम होगा बल्कि लोन पर कम ब्याज दर प्राप्त करने में भी मदद मिल सकती है।
- होम लोन का प्रकार: होम लोन की ब्याज दर भी होम लोन के प्रकार के मुताबिक अलग- अलग होती है। रेगुलर होम लोन की स्टैंडर्ड दरें होती हैं जबकि प्लॉट लोन या एनआरआई होम लोन की ब्याज दर आमतौर पर अधिक होती हैं।
- महिला आवेदकों के लिए कम ब्याज दर: अधिकांश बैंक आमतौर पर महिला आवेदकों को ब्याज दर में 0.5% की छूट प्रदान करते हैं। इसलिए यह सलाह दी जाती है कि शादीशुदा लोगों को जॉइंट होम लोन लेने पर विचार करना चाहिए और अपनी पत्नी को प्राथमिक आवेदक बनाना चाहिए ताकि ब्याज दर में छूट मिल सके। ज्वाइंट होम लोन लेने से आपकी होम लोन योग्यता में सुधार के साथ-साथ होम लोन पर मिलने वाले टैक्स लाभ भी अधिक होंगे।
- ब्याज दर का प्रकार: जैसा की ऊपर बताया गया है कि होम लोन की ब्याज़ दर तीन प्रकार की होती हैं – फिक्स्ड, फ्लोटिंग और हाइब्रिड। आप अपने होम लोन के लिए जिस प्रकार की ब्याज दर चुनते हैं, उसी के मुताबिक बैंक/ लोन संस्थान आपको ब्याज दर ऑफर करेगा। फिक्स्ड-रेट होम लोन के मामले में, ईएमआई पूरी लोन अवधि में समान रहती है। वहीं, दूसरी ओर फ्लोटिंग दरें, रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) में परिवर्तन के मुताबिक बदलती हैं। और हाइब्रिड में निश्चित समय के लिए आपके लोन पर फिक्स्ड ब्याज दर लागू होती है और बाकी की अवधि के लिए फ्लोटिंग ब्याज दर। आपको मार्केट की वर्तमान स्थिति और भविष्य के आकलन के मुताबिक, ये तय करना होगा कि कौन-सी ब्याज दर लेने पर आपको कितना लाभ होगा।
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ये भी पढ़ें: होम लोन के लिए कितना होना चाहिए क्रेडिट स्कोर?
होम लोन की ब्याज दर कम करने के टिप्स
जो लोग होम लोन लेने की योजना बना रहे हैं वे नीचे दिए गए सुझावों का पालन करके कम ब्याज दरों पर होम लोन का लाभ उठा सकते हैं:-
- 750 या उससे अधिक का क्रेडिट स्कोर बनाएं रखें
- जॉइंट होम लोन के लिए आवेदन करें, हो सके तो परिवार की एक महिला सदस्य के साथ जॉइंट लोन लें क्योंकि कुछ बैंक/HFC महिला आवेदकों को ब्याज दर पर रियायत देते हैं।
- मौजूदा होम लोन कस्टमर्स कम ब्याज दर ऑफर करने वाले किसी अन्य बैेंक/HFC में अपने होम लोन को ट्रांसफर कर कम ब्याज दर का लाभ उठा सकते हैं।
- कई बैंक/HFC कम एलटीवी रेश्यो वाले आवेदकों को कम ब्याज दर ऑफर करते हैं। इस प्रकार, होम लोन आवेदकों को अधिक डाउन पेमेंट करना चाहिए जिससे उनकी लोन राशि कम हो और वे कम ब्याज दरों पर होम लोन प्राप्त कर सकें।
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संबंधित प्रश्न (FAQs)
प्रश्न. सबसे सस्ता होम लोन कौन सा बैंक देता है?
उत्तर: मौजूदा समय में होम लोन पर सबसे कम ब्याज दर प्रदान करने वाले बैंकों में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल है, जो 8.35% प्रति वर्ष से शुरू होने वाले ब्याज दर प्रदान करते हैं। कम ब्याज दर प्रदान करने वाले बैंकों में बैंक ऑफ बड़ौदा, पंजाब नेशनल बैंक, केनरा बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक भी शामिल हैं जो 8.40% प्रति वर्ष से शुरू होने वाले होम लोन ब्याज दर प्रदान करते हैं।
प्रश्न. क्या होम लोन पर सरकार कोई ब्याज सब्सिडी प्रदान करती है?
उत्तर: PMAY CLSS के अंतर्गत, सरकार होम पर 2.67 लाख रुपये तक की इंटरेस्ट सब्सिडी प्रदान करता था। जिसकी अवधि 31 मार्च 2022 तक थी।
प्रश्न. होम लोन इंटरेस्ट पेमेंट पर छूट, इनकम टैक्स एक्ट के किस सेक्शन के तहत मिलती है?
उत्तर: सेल्फ-ऑक्यूपाइड प्रॉपर्टी के लिए, इनकम टैक्स अधिनियम की धारा 24(B) के तहत 2 लाख रुपये तक और धारा 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स लाभ उठाया जा सकता है। पहली बार घर खरीदने वाले लोग सेक्शन 80EEA के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट प्राप्त कर सकते है।
प्रश्न. होम लोन की ब्याज दर को कैसे कम करें?
उत्तर: बैलेंस ट्रांसफर होम लोन की ब्याज दरों को कम करने का एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इसके ज़रिए, होम लोन के मौजूदा ग्राहक अपनी बकाया लोन राशि को किसी ऐसे बैंक में ट्रांसफर कर सकते है जो उन्हें कम ब्याज दर और बेहतर शर्तें प्रदान करता हो। कम ब्याज दरों पर लोन ट्रांसफर करने से EMI और ब्याज लागत में भी कमी आती है। इसके अलावा, आपके पास लंबी लोन अवधि का चुनाव कर ईएमआई को कम करने का भी विकल्प होता है। लेकिन ध्यान रहे, इससे आपके लोन की EMI बढ़ जाएगी। इसलिए, कम अवधि का विकल्प तभी चुनें जब आप लोन EMI का भुगतान करने में सक्षम हों। अपने ब्याज के बोझ को कम करने का एक और तरीका यह हो सकता है कि जब भी संभव हो, अपने होम लोन पर पार्ट प्रीपेमेंट करें।
प्रश्न. होम लोन की ब्याज दर कैसे तय की जाती है?
उत्तर: बैंकों और एचएफसी द्वारा दी जाने वाली होम लोन ब्याज दरें अलग-अलग आवेदकों के लिए भिन्न होती हैं। होम लोन ब्याज दर तय करने से पहले कुछ कारकों को ध्यान में रखा जाता है जिनमे लोन राशि, एलटीवी रेश्यो, आवेदक के क्रेडिट स्कोर, मासिक आय, जॉब प्रोफाइल और नियोक्ता की प्रोफाइल जैसे फैक्टर्स शामिल है।
प्रश्न. प्री-ईएमआई ब्याज क्या है?
उत्तर: कभी- कभी ऐसा होता है कि जैसे- जैसे कोई हाउसिंग प्रोजेक्ट पूरा होता जाता है, उसी के मुताबिक किस्तों में होम लोन राशि ट्रांसफर की जाती है। लोन राशि की अंतिम किस्त के ट्रांसफर होने तक, आवेदकों को ट्रांसफर की गई लोन राशि पर लगने वाली ब्याज लागत का भुगतान करना पड़ सकता है। इस ब्याज को प्री-ईएमआई ब्याज के रूप में जाना जाता है। लोन राशि के पहले डिसबर्समेंट की तारीख से ईएमआई शुरू होने की तारीख तक हर महीने प्री-ईएमआई ब्याज का भुगतान करना पड़ता है।
प्रश्न. क्या होम लोन पर भुगतान की जाने वाली कुल ब्याज लागत को चेक करने का कोई तरीका है?
उत्तर: होम लोन आवेदक अपने होम लोन पर भुगतान की जाने वाली कुल ब्याज लागत को कैलकुलेट करने के लिए होम लोन ईएमआई कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं। ईएमआई और होम लोन की कुल ब्याज लागत को कैलकुलेट करने के लिए उन्हें बस इन कैलकुलेटर में अपने होम लोन की राशि, अवधि और ब्याज दर को दर्ज करना पड़ेगा।
प्रश्न. कौन-सा बैंक नौकरीपेशा और गैर- नौकरीपेशा आवेदकों के लिए सबसे कम ब्याज दर पर होम लोन प्रदान करता है?
उत्तर: होम लोन के नए आवेदकों के लिए बैंक ऑफ इंडिया 8.35% प्रति वर्ष से शुरू होने वाली सबसे कम ब्याज दरों पर होम लोन ऑफर करता है। अधिकांश कस्टमर्स के लिए वहीं बैंक बेस्ट होता है जो सबसे कम ब्याज दरों पर होम लोन ऑफर करता है। हालांकि, बैंक और NBFC आवेदक के क्रेडिट रिस्क असेस्मेंट के आधार पर होम लोन की ब्याज दरें तय करते हैं।
प्रश्न. क्या मैं लोन अवधि के दौरान अपनी फिक्स्ड ब्याज दर को फ्लोटिंग दर में बदल सकता हूँ? क्या इसके लिए किसी फीस का भुगतान करना पड़ता है?
उत्तर: हां, आप फिक्स्ड रेट से फ्लोटिंग रेट ऑफ इंटरेस्ट में स्विच कर सकते हैं। हालांकि, बैंक/ HFC आमतौर पर बकाया मूलधन की 0.5% को कन्वर्ज़न फीस के रूप में लेते हैं।
प्रश्न. एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट क्या है?
उत्तर: एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) रेफरेंस रेट होती है जिसे आरबीआई की रेपो रेट, ट्रेजरी-बिल यील्ड जैसे एक्सटर्नल बेंचमार्क के आधार पर लोन की ब्याज दरों को निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है। ईबीएलआर की शुरुआत से पहले, बैंक अपने डिपॉजिट की लागत, ऑपरेटिंग कॉस्ट, कैश रिजर्व रेश्यो जैसे कारकों पर विचार करने के बाद अपने फ्लोटिंग रेट लोन के लिए ब्याज दरें तय करते थे। आरबीआई के दिशानिर्देशों के मुताबिक, बैंकों द्वारा फ्लोटिंग दरों पर दिए जाने वाले सभी रिटेल और एमएसएमई लोन को ईबीएलआर से जोड़ा जाना ज़रूरी है।
प्रश्न. होम लोन की ब्याज दरें निर्धारित करने के लिए बैंक किन अन्य एक्सटर्नल बेंचमार्क का उपयोग करते हैं?
उत्तर: भारतीय रिजर्व बैंक की पॉलिसी रेपो रेट के अलावा, होम लोन की ब्याज दरों को निर्धारित करने के लिए बैंक जिन अन्य एक्सटर्नल बेंचमार्क का उपयोग करते हैं, वे निम्नलिखित हैं:
- फाइनेंशियल बेंचमार्क इंडिया प्राइवेट लिमिटेड (एफबीआईएल) द्वारा प्रकाशित भारत सरकार के 3-महीने के ट्रेजरी बिल यील्ड
- FBIL द्वारा प्रकाशित भारत सरकार के 6-महीने के ट्रेजरी बिल यील्ड
- एफबीआईएल द्वारा प्रकाशित अन्य बेंचमार्क मार्केट इंटरेस्ट रेट।
प्रश्न. होम लोन की अवधि के दौरान ईबीएलआर-आधारित होम लोन की ब्याज दरों में कितनी बार बदलाव होगा?
उत्तर: आपके बैंक/ एचएफसी द्वारा उपयोग की जाने वाली एक्सटर्नल बेंचमार्क दरों में होने वाले बदलाव और वे कितने समय में ब्याज दरों में बदलाव करते हैं, उसी के मुताबिक आपके ईबीएलआर-आधारित होम लोन की ब्याज दरों में बदलाव होता है। RBI के दिशानिर्देशों के अनुसार बैंकों को अपनी EBLR से जुड़ी ब्याज दरों को 3 महीने में कम से कम एक बार रीसेट करना होगा।
प्रश्न. क्या मेरा क्रेडिट स्कोर मेरे होम लोन की ब्याज दर को प्रभावित कर सकता है?
उत्तर: बैंक अपने होम लोन की ब्याज दरें निर्धारित करते समय अपने ईबीएलआर में स्प्रेड और क्रेडिट रिस्क प्रीमियम को जोड़ते हैं। बैंक अपने होम लोन आवेदकों के लिए क्रेडिट रिस्क प्रीमियम निर्धारित करने के लिए उनके क्रेडिट स्कोर, वो कहाँ काम करते हैं, बिज़नेस प्रोफ़ाइल, इनकम आदि पर विचार करते हैं। क्रेडिट स्कोर अधिक होने से ये पता चलता है कि आवेदक ने अभी तक लोन ईएमआई और अन्य क्रेडिट बिलों का भुगतान समय पर किया है और इससे बैंक/ लोन संस्थानों के लिए क्रेडिट रिस्क भी कम होता है। इसलिए कई बैंक अधिक क्रेडिट स्कोर वाले उधारकर्ताओं से कम क्रेडिट रिस्क प्रीमियम वसूलते हैं जिससे ऐसे आवेदकों के लिए होम लोन की ब्याज दरें भी कम होती हैं।
प्रश्न. क्या लोन अवधि के दौरान मेरे होम लोन की ब्याज दर का क्रेडिट रिस्क प्रीमियम बदल सकता है?
उत्तर: एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट के संबंध में आरबीआई के दिशानिर्देशों के मुताबिक, अगर लोन अवधि के दौरान उधारकर्ता के क्रेडिट रिस्क के मूल्यांकन में कोई महत्वपूर्ण बदलाव होता है तो बैंक क्रेडिट रिस्क प्रीमियम को बदल सकते हैं।
प्रश्न. क्या मेरे होम लोन की ब्याज दर में इस्तेमाल किए गए स्प्रेड के अन्य घटक लोन अवधि के दौरान बदल सकते हैं?
उत्तर: आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार, आपका बैंक आपके होम लोन की ब्याज दर निर्धारित करने के लिए इस्तेमाल किए गए स्प्रेड के अन्य घटकों को तीन साल में एक बार बदल सकता है।
प्रश्न. क्या होम लोन आवेदन में सह-आवेदक को जोड़ने से मुझे कम ब्याज दर मिल सकती है?
उत्तर: हां, अगर आप अपने परिवार की किसी कमाने वाली महिला सदस्य को सह-आवेदक के रूप में जोड़ते हैं तो इससे आपको कम ब्याज दर पर होम लोन मिल सकता है। एसबीआई, एचडीएफसी बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ इंडिया जैसे बैंक महिला आवेदकों को ब्याज दर में 0.05% की छूट प्रदान करते हैं।
प्रश्न. मैं अपने होम लोन पर ब्याज का बोझ कैसे कम कर सकता हूँ?
उत्तर. मौजूदा होम लोन कस्टमर्स अपनी बकाया लोन राशि को कम ब्याज दर या बेहतर शर्तों की पेशकश करने वाले नए बैंक/HFC को ट्रांसफर कर सकते हैं। ब्याज दर कम होने से उनकी ईएमआई और कुल ब्याज लागत कम हो जाएगी।
बैलेंस ट्रांसफर करने वाले कस्टमर्स आवेदन प्रक्रिया के दौरान अपनी लोन अवधि को कम करने का विकल्प भी चुन सकते हैं। इसके अलावा कस्टमर्स अपनी पूरी ब्याज लागत को कम करने के लिए बैलेंस ट्रांसफर के दौरान छोटी अवधि भी चुन सकते हैं। हालाँकि, ऐसा करने से आपके लोन की ईएमआई भी बढ़ जाएगी। इसलिए, छोटी अवधि तभी चुनें जब आप अपने संशोधित होम लोन ईएमआई का भुगतान करने में सहज हों।
अपने ब्याज के बोझ को कम करने का एक और तरीका यह हो सकता है कि जब भी संभव हो अपने होम लोन का पार्ट प्रीपेमेंट करें। अपने होम लोन का समय से पहले भुगतान करने वालों के पास आमतौर पर दो विकल्प होते हैं – अवधि या ईएमआई में कमी। ईएमआई कम करने का विकल्प चुनने वालों को समान शेष अवधि जारी रहेगी। इसी तरह, कम अवधि का विकल्प चुनने वालों की ईएमआई कम हो जाएगी। होम लोन कस्टमर्स जो अपने ब्याज के बोझ को और कम करना चाहते हैं, उन्हें छोटी अवधि का विकल्प चुनना चाहिए क्योंकि इससे ब्याज लागत में बचत होती है।