म्यूचुअल फंड में कई निवेशकों का पैसा एक जगह जमा किया जाता है और इस फंड में से फिर बाज़ार में निवेश किया जाता है। म्यूचुअल फंड को एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (AMC) द्वारा मैनेज किया जाता है। प्रत्येक AMC में आमतौर पर कई म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं।
म्यूचुअल फंड में क्यों निवेश करें?
मैनेज करने में आसान: आप किसी भी दिन कितने भी म्यूचुअल फंड खरीद और बेच सकते हैं। जबकि यह बैंक FD, PPF या बीमा को आप सरकारी छुट्टी या रविवार को नहीं खरीद बेच सकते हैं।
कई विकल्प: म्यूचुअल फंड आपको कम निवेश में कई स्टाक और बांड लेने की सुविधा देता है। आप जिस म्यूचुअल फण्ड में निवेश करते हैं उस फण्ड में से किसी एक जगह पैसा नहीं लगाया जाता है। बल्कि अलग-अलग जगह निवेश किया जाता है ताकि किसी एक क्षेत्र में मंदी आने से भी अन्य क्षेत्र से लाभ कम लिया जाए।
कम फीस: म्यूचुअल फंड एक्सपेंस रेश्यो आमतौर पर आपके निवेश के 1.5-2.5% तक होता है। एक्सपेंस रेश्यो वो फीस होती है जिसे आप AMC को अपना फण्ड (निवेश) मैनेज करने के लिए देते हैं। यह इसलिए कम है क्योंकि एक म्यूचुअल फण्ड में कई लोग निवेश करते हैं और सब के बीच ये फीस बात जाती है।
पारदर्शिता: म्यूचुअल फंड सेक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ़ इंडिया (SEBI) द्वारा रेगुलेट किए जाते हैं और उनके NAV (नेट एसेट वैल्यू) या कीमत का घोषणा प्रतिदिन के आधार पर की जाती है। उनके पोर्टफोलियो की घोषणा भी हर महीने की जाती है और इनके बारे में विभिन्न जानकारी भी जनता को दी जाती है।
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म्यूचुअल फंड कैसे चुनें
आपको पहले ये चुनना होगा की आप किस प्रकार के फण्ड में निवेश करना चाहते हैं। व्यापक रूप से, इक्विटी फंड तभी चुने जाने चाहिए जब आप ज़्यादा जोखिम उठाने को तैयार हों और इसकी समय सीमा 5 वर्ष से अधिक हो। अगर आप मध्यम जोखिम उठा सकते हैं, तो आप हाइब्रिड फंड में निवेश कर सकते हैं। यदि आप कम जोखिम लेना चाहते हैं, तो आपको डेट फंड में निवेश करना चाहिए। ध्यान दें, सभी म्यूचुअल फंड यहां तक कि डेट फंड में भी कुछ जोखिम होता है।
आप किस प्रकार के फण्ड में निवेश करना चाहते हैं, इसके बाद आप एक फण्ड उसमें से चुन सकते हैं। ये फण्ड चुनने के लिए एक समयसीमा में उसका प्रदर्शन देख, उसकी तुलना कर फंड चुन सकते हैं। कुछ अन्य कारक, जिन पर आप भी विचार कर सकते हैं:
फंड मैनेज का अनुभव – फंड मैनेज करने वाली कंपनी कब से फण्ड मैनेज कर रही है और उसका ट्रैक रिकॉर्ड क्या है।
पोर्टफोलियो – क्या वह म्यूचुअल फंड है, ज़्यादा जोखिम के साथ छोटी कंपनियों में निवेश कर ज़्यादा लाभ कमा रहा है? आपको ये भी देखना चाहिए कि वो म्यूचुअल फण्ड किसी एक क्षेत्र में अपना पैसा लगा रहा है या अलग-अलग में? ये भी देखें कि कितना पैसा इक्विटी में लगाया गया है और कितना डेट में?
एक्सपेंस रेश्यो – ज़्यादा एक्सपेंस रेश्यो से आप जितना लाभ कमाते हैं उसका एक बड़ा हिस्सा उसके लिए दे देते हैं और इस तरह आपका लाभ घट जाता है।
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म्यूचुअल फंड में निवेश कैसे करें
आपको सबसे पहले KYC करानी होगी, ये आपके पहचान के लिए होती है। इस प्रक्रिया में पहचान और पते के दस्तावेज़, जैसे आधार और पैन कार्ड जमा करना शामिल है। पैसाबाज़ार में KYC प्रक्रिया ऑनलाइन की जाती है। आपका KYC पूरा होने पर आपको म्यूचुअल फंड चुनने और भुगतान के लिए आवेदन करना होगा। पैसाबाज़ार में आसान कागजी कार्यवाही और कम से कम परेशानी से यह प्रक्रिया ऑनलाइन भी कर सकते हैं।
ऑनलाइन निवेश के लिए, बस ऊपर दिए गए रजिस्ट्रेशन बॉक्स को भरें और ऑनलाइन निवेश के लिए बताए गए चरणों का पालन करें।
म्यूचुअल फंड योग्यता
म्यूचुअल फंड में कोई भी निवेश कर सकता है। न्यूनतम 500 रुपए तक का निवेश कर सकते हैं। भारतीय निवासी और NRI दोनों म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं। आप अपने जीवनसाथी या बच्चों के नाम पर भी निवेश कर सकते हैं। यदि आपका बच्चा नाबालिग है ( 18 वर्ष से कम), तो उसके नाम पर निवेश करते समय आपको अपनी जानकारी देनी होगी। जब तक वह 18 वर्ष का नहीं हो जाता/ जाती है, तब तक आप खाते को मैनेज करेंगें। यहाँ तक कि पार्टनरशिप कम्पनियाँ, LLP, ट्रस्ट और कंपनियां भी म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।
संबंधित सवाल
प्रश्न. क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना सुरक्षित है?
उत्तर: म्यूचुअल फंड बाज़ार से जुड़े निवेश हैं और इस तरह वे कभी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हो सकते हैं। हालांकि, जोखिम कम करने के लिए इन पर कई तरह के नियम लागू होते हैं और म्यूचुअल फण्ड में से पैसा कई क्षेत्रों में निवेश किया जाता है, इस तरह स्टॉक या बॉन्ड के मुकाबले इनमें कम जोखिम होता है।
प्रश्न. आप म्यूचुअल फंड से पैसे कैसे कमाते हैं?
उत्तर: म्यूचुअल फंड के माध्यम से पैसा बनाने के दो प्रमुख तरीके हैं – समय-सीमा और ग्रोथ। समय-सीमा में, निवेशक एक निश्चित समय के लिए निवेश करता है और समय के दौरान उसे स्कीम से लाभ प्राप्त होता रहता है। ये विकल्प उन निवेशकों द्वारा चुना जाना जाता जो निवेश को भी बनाए रखना चाहते हैं और लाभ भी कमाना चाहते हैं। वहीं ग्रोथ में लाभ की गारंटी नहीं होती है, निवेश कुछ यूनिट या शेयर खरीदकर अपने पास रख लेता है, उन यूनिट का मूल्य समय के साथ बढ़ता या घटता रहता है जब निवेशक को लगता है कि ये सही समय है तभी वो उन यूनिट को बेचकर लाभ कमाता है। ध्यान दें, कि 2018 के बजट के बाद, टैक्स बचाने के लिए ग्रोथ विकल्प में निवेश करना ज़्यादा बेहतर है।
प्रश्न. म्यूचुअल फंड में निवेश करने का सही समय क्या है?
उत्तर: विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि बाज़ार में निवेश करने के लिए सही समय का इंतेज़ार करने के बजाए बाज़ार में निवेश करना ज़्यादा बेहतर है। बाज़ार सुधार की प्रतीक्षा न करें क्योंकि इस प्रतीक्षा की कोई निश्चित अवधि नहीं है। इसलिए इसे लेकर कोई भविष्यवाणी करना बहुत कठिन है। इसके बजाय, ये देखें कि आप कितना जोखिम ले सकते हैं, आपका लक्ष्य क्या है और बिना देरी किए निवेश करें।
प्रश्न. क्या आप किसी म्यूचुअल फंड में अपना सारा पैसा खो सकते हैं?
उत्तर: बाज़ार से जुड़े होने के कारण, म्यूचुअल फंड में जोखिम बना रहता है, इसलिए निवेश की गई मूल राशि का नुकसान हो सकता है। हालांकि, म्यूचुअल फण्ड के प्रदर्शन को देखते हुए कहा जा सकता है कि आपके सभी पैसे खोने की संभावना कम है।
प्रश्न. ग्रोथ स्टॉक म्यूचुअल फंड कैसे काम करते हैं?
उत्तर: ग्रोथ स्टॉक म्यूचुअल फंड नाम का कुछ भी नहीं है, हालांकि म्यूचुअल फंड के मामले में ग्रोथ विकल्प है। ग्रोथ में फंड मूल्य में वृद्धि से से लाभ मिलते हैं। जब निवेशक अपनी म्यूचुअल फंड यूनिट बेचता है, तो लाभ का पता लगता है।
प्रश्न. म्यूचुअल फंड पर रिटर्न (लाभ) की औसत दर क्या है?
उत्तर: लम्बे समय में, इक्विटी स्कीम में औसतन लगभग 12%, डेट स्कीम में लगभग 8% और हाइब्रिड स्कीम में लगभग 10% का वार्षिक रिटर्न (लाभ) मिलता है। हालाँकि, ये बाज़ार से जुड़े निवेश हैं, म्यूचुअल फंड स्कीम का पिछला प्रदर्शन भविष्य के रिटर्न की गारंटी नहीं देता है।
प्रश्न. आप म्यूचुअल फंड रिटर्न की गणना कैसे करते हैं?
उत्तर: म्यूचुअल फंड स्कीम की विकास की गणना फ़ॉर्मूला (कुल लाभ / मूल निवेश) x 100 से निकाली जाती है।
प्रश्न. NAV क्या है और एन.ए.वी की गणना कैसे की जाती है?
उत्तर: NAV (नेट वैल्यू असेट), म्यूचुअल फंड यूनिट का मूल्य होता है। NAV की गणना = (कुल फंड मूल्य – कुल फंड देनदारियां)/ स्कीम के बकाया यूनिट्स की कुल संख्या उपयोग कर की जाती है।
प्रश्न. किसी म्यूचुअल फंड की औसत ब्याज दर क्या है?
उत्तर: म्यूचुअल फंड बाज़ार से जुड़े निवेश हैं और गारंटीड रिटर्न नहीं देते हैं. इसलिए.रिटर्न की गारंटी नहीं है, लेकिन ये बाज़ार में वर्तमान में उपलब्ध विभिन्न निवेशों की तुलना में अधिक हैं।
प्रश्न. किसी म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू करने के लिए आपको कितना धन चाहिए?
उत्तर: आपके द्वारा निवेश किए जाने वाले फंड के आधार पर न्यूनतम निवेश राशि भिन्न हो सकती है। हालाँकि, आप न्यूनतम 500 रु. निवेश कर सकते हैं।
प्रश्न. क्या मैं म्यूचुअल फंड कभी भी बेच सकता हूं?
उत्तर: अधिकांश म्यूचुअल फंड ओपन एंडेड होते हैं, मतलब आप उन्हें कभी भी बेच सकते हैं। आमतौर पर क्लोज एंड स्कीम की 3-4 वर्ष की लॉक-इन अवधि होती है। इस अवधि के बाद आप अपनी इच्छा के अनुसार उनकी अवधि नहीं बढ़ा सकते हैं। एक तीसरे तरीके की स्कीम है जिसमें, म्यूचुअल फन कुछ समय के लिए लॉक-इन हो जाते हैं, लेकिन इसके बाद ओपन एंडेड हो जाते हैं। उदाहरण के लिए, टैक्स सेविंग या ELSS. की लॉक-इन अवधि 3 वर्ष है। इस समयावधि के बाद, आप ये फंड किसी भी समय बेच सकते हैं.
प्रश्नः क्या म्यूचुअल फंड में निवेश करना टैक्स-फ्री है?
उत्तर: नहीं, म्यूचुअल फंड शोर्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) नियम के अधीन हैं। अलग-अलग म्यूचुअल फंड जैसें, इक्विटी और डेट पर कई तरह का टैक्स लगता है। म्यूचुअल फंड लाभांश के मामले में डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स (DDT) लागू हो जाता है और फंड के अनुसार स्रोत पर टैक्स कटौती की जाती है।
प्रश्न. ओपन एंडेड या क्लोज़ एंडेड फंड्स क्या हैं?
उत्तर: ओपन एंडेड फंड वो फण्ड हैं जिनमें कभी भी निवेश कर सकते हैं और उन्हें कभी भी बेच सकते हैं। क्लोज़ एंडेड फंड को केवल AMC से न्यू फण्ड ऑफर (NFO) के दौरान खरीदा जा सकता है।
प्रश्न. SIP और लम्पसम क्या है?
उत्तर: सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान या एस.आई.पी नियमित समय पर म्यूचुअल फंड में एक निश्चित राशि निवेश करते हैं। उदाहरण के लिए, प्रत्येक महीने म्यूचुअल फंड में 10,000 रूपए निवेश। SIP आपका निवेश बढ़ाते हैं और आपको बाज़ार में अधिक मूल्य (खराब समय) में फसने से बचाते हैं। SIP इक्विटी फंड में ज़्यादा लाभदायक सभी होते हैं ना कि डेट फण्ड में।
लम्पसम निवेश एक बार में किए जाने वाले निवेश हैं। यदि आपको अपने निवेश पर ज़्यादा ही विश्वास है, तो ही आपको लम्पसम निवेश करना चाहिए। यदि फंड का NAV लगातार बढ़ता है, तो SIP के बजाय लम्पसम ज़्यादा लाभ देगा।
प्रश्नः डायरेक्ट या रेगुलर प्लान क्या है?
उत्तर: रेगुलर प्लान में डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल हैं। ये कमीशन फंड मूल्य के 0.5% से 1% तक है। दूसरे शब्दों में, आपके निवेश का 0.5% से 1% इन योजनाओं के लिए डिस्ट्रीब्यूटर को हर वर्ष भुगतान किया जाता है। डायरेक्ट योजनाओं में डिस्ट्रीब्यूटर कमीशन शामिल नहीं हैं।