निवेश जीवन के विभिन्न आर्थिक लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आपके पैसों को बढ़ाने का एक साधन है, जबकि हर दिन निवेश का प्रभाव आपकी लॉन्ग टर्म फाइनेंनशियल स्थिति पर पड़ता है। बता दें, कि आपकी निवेश में सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि कहां निवेश करना है। मार्केट में मौजूदा विभिन्न विकल्पों में से सही निवेश के विकल्प को चुनना मुश्किल काम हो सकता है। एक निवेशक कम जोखिम पर अच्छा और ज़्यादा रिटर्न/ लाभ देने वाला निवेश प्लान चाहता है, जिसे मार्केट में ढूंढ़ना मुश्किल है।
निवेश प्लान को चुनते समय रिटर्न/ लाभ की उम्मीद, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश की समयसीमा, इन तीन सबसे महत्वपूर्ण तथ्यों पर ध्यान रखना चाहिए। इस लेख का उद्देश्य मार्केट में मौजूद सबसे लोकप्रिय योजनाओं की तुलना करके सबसे आसान और सुविधाजनक निवेश योजना को चुनने में आपकी मदद करना है।
तुलनात्मक विश्लेषण
निवेश विकल्प | निवेश प्रकार | 5 वर्ष में रिटर्न/ लाभ | जोखिम | टैक्स लाभ |
ELSS फण्ड | बाज़ार पर निर्भर | 11-13% | मध्यम | हाँ |
इक्विटी फण्ड | बाज़ार पर निर्भर | 13-15% | ज़्यादा | नहीं |
डेट फण्ड | बाज़ार पर निर्भर | शून्य | कम | नहीं |
हाइब्रिड फण्ड | बाज़ार पर निर्भर | शून्य | मध्यम | नहीं |
NPS | बाज़ार पर निर्भर | 9-11% | मध्यम | हाँ |
ULIP | बाज़ार पर निर्भर | 7-9% | ज़्यादा | हाँ |
PPF | तय दर | 8% | बहुत कम | हाँ |
EPF/ VPF | तय दर | 8.65% | बहुत कम | हाँ |
टैक्स बचत FD | तय दर | 6-7% | बहुत कम | हाँ |
सुकन्या समृद्धि योजना | तय दर | 8.50% | बहुत कम | हाँ |
बैंक FD/ पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉज़िट | तय दर | 6-9% | बहुत कम | नहीं |
बाज़ार से जुड़े निवेश विकल्प
- इन निवेश योजनाओं पर रिटर्न/ लाभ की कोई गारंटी नहीं होती है, ये मार्केट के प्रदर्शन पर निर्भर करते हैं। इक्विटी इंवेस्टमेंट, म्युचुअल फंड जैसे ELSS, इक्विटी फंड, डेट फंड, नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS), यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP) आदि ये निवेश बाज़ार से जुड़े लोकप्रिय निवेश विकल्प हैं।
- बाज़ार से जुड़े निवेशों को अक्सर रिटर्न/ लाभ के नजरिए से सबसे अच्छा माना जाता है, हालांकि ऐसे विकल्पों के साथ रिस्क थोड़ा ज़्यादा होता है, जिन्हें नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। इन उपकरणों के साथ जोखिम बाज़ार का उतार-चढ़ाव है, इसलिए लंबी अवधि के लिए निवेश करने से रिस्क कम होता है और ज़्यादा रिटर्न/ लाभ बनने में मदद मिलती है।
- हम अब भारत में बाज़ार से जुड़ी कुछ प्रमुख निवेश योजनाएं की चर्चा करेंगें:
इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)
- यह स्कीम उन निवेशकों के लिए बेहतर है जो निवेश के साथ-साथ टैक्स भी बचाना चाहते हैं। यह स्कीम सीमित जोखिम पर अधिक रिटर्न/ लाभ कमाने में मदद करती है। म्यूचुअल फंड योजना खासतौर पर शेयर में निवेश करती है जबकि फंड की पूंजी का बहुत छोटा हिस्सा लोन या मुद्रा बाज़ार निवेशों में निवेश किया जा सकता है।
- यदि रिटर्न/ लाभ की बात करें तो पिछले तीन सालों में ELSS या टैक्स-सेवर म्यूचुअल फंड ने औसत वार्षिक ROI (इंवेस्टमेंट ऑफ रिटर्न) लगभग 13.5% दर्ज किया है। इसके अलावा, आयकर अधिनियम 1961, की धारा 80C के तहत मौजूद सभी टैक्स सेवर निवेश विकल्पों में से, ELSS में सबसे छोटी अवधि 3 वर्ष की है। हालांकि, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स कर (LTCG) 10% टैक्सलागू होता है, यदि लाभ 1 लाख रुपये से अधिक हो।
इक्विटी म्यूचुअल फंड
- इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश ELSS में निवेश के समान ही है, लेकिन यहाँ टैक्स बचत नहीं है, इसमें जोखिम की संभावना भी ELSS की तुलना में ज़्यादा है। रिटर्न/ लाभ के मामले में इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करना इस वर्ग में सबसे अच्छा है लेकिन रिस्क ज़्यादा है। हालांकि, लंबे समय के लिए निवेश में बने रहने के लिए लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप में अपने निवेश को बाटकर जोखिम को कम किया जा सकता है। इक्विटी म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो आपको लंबे समय में कहीं भी 15-18% के बीच लाभ देता है।
- टैक्स के दृष्टि से अगर आप इन निवेशों की यूनिट को 1 साल से ज़्यादा समय के लिए रखते हैं, और साल का कुल लाभ 1 लाख रुपये से अधिक हो तो आपको 10% LTCG टैक्स देना होगा। वहीं यदि होल्डिंग अवधि एक वर्ष से कम है, तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स (STCG) लाभ पर 15% टैक्स भुगतान किया जाएगा।
डेट फंड
- लोन म्यूचुअल फंड आमतौर पर लोन और मुद्रा बाज़ार के उपकरणों में निवेश करते हैं और निवेशक जोखिम से बचते हैं, और ज़्यादा लाभ की उम्मीद करते हैं। डेट फंड अपने निवेश पर प्राथमिक तौर पर कूपन दर या फंड द्वारा रखे गए बॉन्ड से प्राप्त ब्याज दर के माध्यम से आय उत्पन्न करते हैं।
- इसको दूसरा रास्ता बॉन्ड बाज़ारों पर बॉन्ड के कारोबार के ज़रिए होता है। इसमें लोन बाज़ार से जुड़े प्रोडक्ट के रूप में बेच देता है। इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि बॉन्ड बाज़ार, इक्विटी बाज़ारों के विपरीत अस्थिर नहीं हैं, जो डेट फंड में निवेश को कम जोखिमपूर्ण बनाता है। हालांकि, कम जोखिम पर इक्विटी फंड की ओर से दिए गए 13-15% की तुलना में डेट फंडों द्वारा पेश औसत रिटर्न/ लाभ लगभग 9-10% सालाना है। समयसीमा और इसमें शामिल जोखिम के आधार पर, डेट फंड को लिक्विड फंड, अल्ट्रा शॉर्ट टर्म फंड, शॉर्ट टर्म फंड, एक्चुअल फंड, गिल्ट फंड, फिक्स्ड मैच्योरिटी प्लान आदि के रूप में बांटा जा सकता है।
हाइब्रिड फंड
- हाइब्रिड फंड में शेयर और डेट फंड, दोनों में निवेश करके म्यूचुअल फंड पोर्टफोलियो को बैलेंस किया जाता है। कुछ मायनों में एक हाइब्रिड फंड, शेयर फंडों द्वारा दी जाने वाले अधिक लाभ और डेट फंडों द्वारा दिए जाने वाले कम जोखिम मिश्रण है। फंड निवेशक लगभग 10-12 % रिटर्न/ लाभ प्राप्त करते हैं। जो हाइब्रिड फण्ड 65% से पुंज शेयर में लगाते हैं उन्हें इक्विटी फंड के रूप में माना जाता है, जबकि 65% से कम शेयर में निवेश करने वाले फण्ड को डेट फंड के रूप में माना जाता है।
नेशनल पेंशन प्रणाली (NPS)
- नेशनल पेंशन प्रणाली योजना एक सरकारी योजना है। NPS भुगतान किसी भी भारतीय नागरिक द्वारा किया जा सकता है और इस पैसे को फण्ड मैनेजमेंट कम्पनियाँ (वर्तमान में 8) इक्विटी और लोन बाज़ारों में निवेश करती हैं।
- NPS अपनी पूँजी का विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करता है जिनमें हैं, इक्विटी (कैटेगरी E), सरकारी बॉन्ड (कैटेगरी G), कॉर्पोरेट बॉन्ड (कैटेगरी C) और वैकल्पिक परिसम्पत्तियां (कैटेगरी A) शामिल हैं।
- NPS निवेशकों को कुछ विकल्प देता है। निवेशक NPS राशि को मैनेज करने के लिए एक विशिष्ट फंड हाउस का चयन कर सकता है और इक्विटी, डेट, और अन्य निवेशों में कैसे निवेश करना है ये भी चुन सकता है।
- NPS राशि केवल रिटायर्मेंट की उम्र यानी 60 वर्ष पर ही मिलती है। ग्राहक मैच्योरिटी के समय मौजूदा राशि का 60% तक निकाल सकता है जबकि बाकी का उपयोग वार्षिक योजना खरीदने के लिए किया जाता है।
- टैक्स के तौर पर आप आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत 1.5 लाख रु. तक टैक्स कटौती लाभ का दावा कर सकते हैं। इसके अलावा, 50,000 रुपये की अतिरिक्त राशि का दावा, धारा 80CCD (1B) के तहत, टैक्स लाभ के लिए किया जा सकता है जो विशेष रूप से NPS और अटल पेंशन योजना (APY) के लिए उपलब्ध हैं।
यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (ULIP)
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान जिन्हें ULIP के नाम से जाना जाता है, विभिन्न बीमा कंपनियों द्वारा बेचा जाने वाला बीमा-निवेश है। ULIP की USP यह है कि यह बीमा कवरेज के साथ-साथ शेयर बाज़ार में निवेश का लाभ भी प्रदान करता है।
- मूल रूप से, भुगतान की गई प्रीमियम की राशि को इस तरह से आवंटित किया जाता है कि इसका एक हिस्सा निवेश के उद्देश्य से अलग-अलग फंड में जाता है और भुगतान किए गए प्रीमियम का कुछ हिस्सा ग्राहक के इंश्योरेंस कवर के लिए रखा जाता है।
- ULIP ग्राहक की मृत्यु पर बीमा लाभ प्रदान करते हैं, यानी यदि ग्राहक की पॉलिसी की अवधि के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो बीमा राशि या फंड राशि, जो भी अधिक होगी वह राशि नॉमिनी को मिल जाती है। आयकर धारा 80C के तहत इसमें एक वर्ष में 1.5 लाख रु. तक निवेश करने पर टैक्स छूट मिलती है।
फिकस्ड निवेश दर
- फिकस्ड निवेश दर एक समयसीमा में रिटर्न/ लाभ की निश्चित या पहले से निर्धारित दर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, एक फिक्स्ड डिपोज़िट आपको एक निश्चित समयसीमा के लिए आपके निवेश पर एक निश्चित ब्याज दर देता है। जिसके बाद आपको पता चल जाएगा कि आपको इसको आगे बढ़ाना है या नहीं।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड सबसे लोकप्रिय सरकारी गारंटीड सेविंग योजनाओं में से एक है जो जमा राशि पर एक निश्चित ब्याज दर देता है। यह योजना 15 साल की लॉक-इन अवधि और धारा 80C के तहत टैक्स लाभ के साथ आती है। ब्याज दर सरकार की और से हर तिमाही (हर तीन महीनों में) में तय की जाती है। PPF जमा के लिए वर्तमान दर 8% तय की गई है।
- बता दें कि रिटर्न/ लाभ की सरकारी गारंटी होती है, इसलिए PPF में जोखिम बहुत कम होता है, लेकिन यह औसत रिटर्न/ लाभ की कीमत के साथ आता है। PPF निवेश उन व्यक्तियों के लिए सबसे अच्छा है जो बिल्कुल रिस्क नहीं उठाना चाहते।
- हालांकि,PPF एक EEE कैटेगरी का निवेश है जो राशि के साथ-साथ कमाए गए ब्याज को टैक्स फ्री बनाता है। PPF खाते देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में ट्रान्सफर किए जा सकते हैं और देश के किसी भी स्थान पर किसी भारतीय नागरिकों द्वारा खोले जा सकते हैं।
EPF/VPF
- EPFया कर्मचारी भविष्य निधि योजना एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो केवल नौकरीपेशा भारतीय निवासियों के लिए उपलब्ध है। प्रति माह व्यक्ति के वेतन का 12% तक योगदान किया जा सकता है और इम्पलॉयर द्वारा EPF खाते में अनिवार्य रूप से योगदान दिया जाना चाहिए।
- VPFया स्वैच्छिक भविष्य निधि EPF के जैसी ही योजना है, लेकिन इसमें, कर्मचारी द्वारा योगदान की गई राशि 12% से अधिक हो सकती है और इम्पॉयर की VPF योजना के बराबर योगदान करने की कोई जिम्मेदारी नहीं होती है।
- EPFऔर VPF का फंड EPFO(कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) द्वारा मैनेज किया जाता है। इसकी वर्तमान ब्याज दर 65% है। कुछ पैसा निकालने का विकल्प उस अवधि के दौरान होता है जब कोई व्यक्ति नौकरीपेशा होता है लेकिन पूरा पैसा निकालने का विकल्प केवल रिटायरमेंट पर ही उपलब्ध होता है।
- EPFऔर VPF दोनों कम जोखिम पसंद करने वाले निवेशकों के लिए सही हैं, जो लॉन्ग टर्म रिटायरमेंट फंड की तलाश में हैं।
टैक्स सेविंग FD
- टैक्स सेवर FD में5 साल की लॉक इन अवधि होती है। और इसमें मेच्योरिटी से पहले पैसा नहीं निकाल सकते हैं। यह अधिकांश भारतीय बैंकों में उपलब्ध है। इस योजना में गारंटीड रिटर्न की सुविधा है। टैक्स सेवर FD की ब्याज दर 75% से 6.25% के बीच होती है।
- टैक्सेशनके समय पर मूल और मेच्योरिटी राशिटैक्स फ्री होती है। हालांकि, इस पर कमाए गये ब्याज पर स्लैब रेट के अनुसार टैक्स लगता है। टैक्स सेवर FD लेना काफी सरल है, इन्हें नेटबैंकिंग का उपयोग करके ऑनलाइन खरीदा जा सकता है।
सुकन्या समृध्धि योजना
- सुकन्या समृद्धि योजना एक सरकारीयोजना है जिसका उद्देश्य बच्चियों के भविष्य को फाइनेंस के नज़रिए से सुरक्षित करना है। योजना के तहत, एक सुकन्या समृद्धि खाता माता-पिता द्वारा बच्चियों के नाम से खोला जाता है और माता-पिता को ज्वाइंड होल्डर बनाया जाता है। इसे 250 रु. से 5 लाख रु तक से शुरु कर सकते हैं।
- IT एक्ट 80C के तहत यह टैक्स फ्री योजना है। 5% ब्याज दर के साथ यह योजना निश्चित रिटर्न श्रेणी में आती है।
- यह योजना बच्ची के विवाह पर (या जब वह 18 वर्ष की होती है) या जब वह 21 वर्ष की हो जाती है दोनों में से पहले जो भी पहले हो मेच्योर हो जाती है। उच्च शिक्षा के लिए ट्यूशन फीस जैसी प्रमुख ज़रूरतों के लिए कुछ पैसा निकाला जा सकता है।
बैंक FD / पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट
- पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट्स और बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट संभवतः भारत में निवेश के सबसे पुराने और भरोसेमंद तरीकों में से एक हैं। हाल के दिनों में अनाकर्षक रिटर्न ऑफर्स व अन्य विकल्पों के कारण इन योजनाओं की लोकप्रियता पहले से कुछ कम हो गई है।
- इस तरह के विकल्पोंकी लॉक इन अवधि 7 दिनों से लेकर 10 साल तक हो सकती है। ब्याज दर 5% निवेश की गई राशि और FD की अवधि या बैंक के आधार पर 7.45% हो सकती है, । हालांकि, इस योजना से समय से पहले पैसे निकाले जा सकते हैं पर ऐसा करने पर जुर्माना लगाया जा सकता है।
- इनमें से किसी भी विकल्पपर कोई टैक्स लाभ नहीं है जो कि इनकी लोकप्रियता में गिरावट का एक और कारण है।