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सरल शब्दों में, मासिक आय योजनाएं (MIP) डेट म्यूचुअल फंड हैं, जिन्हें कई शेयरों में निवेश किया जाता है। इसी के कारण ये हाइब्रिड फंड के अंतर्गत आती हैं। निवेशक को रेगुलर इनकम देने के उद्देश्य से ज़्यादातर लाभ का भुगतान मासिक आधार पर किया जाता है।
मासिक आय योजना क्या है?
ये म्यूचुअल फंड डेट/ मनी मार्केट के साथ-साथ लिस्टेड या अनलिस्टेड इक्विटी में निवेश करते हैं। हालांकि, ये हाइब्रिड फंड मुख्य रूप से डेट में निवेश किए जाते हैं, जो उनके पोर्टफोलियो का 80% तक हो सकते हैं और शेष इक्विटी में निवेश किया जाता है, जिससे यह डेट-ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड बन जाता है। MIP के पोर्टफोलियो के हाइब्रिड होने के कारण ये डेट में निवेश कर कम जोखिम के साथ लाभ देते हैं और इक्विटी में निवेश कर ज़्यादा लाभ भी प्रदान करते हैं।
इसलिए किसी शुरूआती निवेश को MIP में निवेश करने का सुझाव दिया जा सकता है, लेकिन सभी म्यूचुअल फण्ड की तरह ये भी बाज़ार से जुड़ा हुआ है और ये जोखिम रहने के कारण लाभ की गारंटी नहीं है। यद्यपि नाम “मासिक आय योजना” एक नौसिखिया निवेशक को गारंटीकृत रिटर्न का सुझाव दे सकती है, जैसे सभी म्यूचुअल फंड निवेश, इन पर बाज़ार जोखिम का कुछ प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए रिटर्न की गारंटी नहीं है। किसी निवेशक को इस प्रकार के हाइब्रिड फंड से होने वाली आय फण्ड के सरप्लस (लाभ) पर निर्भर करती है जिसे डिविडेंड के रूप में बाटा जाता है। इसलिए, सरप्लस ना होने पर निवेशक को लाभ नहीं मिलेगा। हालांकि, MIP के रिकॉर्ड को देखते हुए पता चलता है कि इसके द्वारा दिया गया रिटर्न (लाभ) FD से ज़्यादा है। इसलिए, ये अक्सर रूढ़िवादी विधि के अनुसार निवेश करने के इच्छुक निवेशकों के लिए कम जोखिम के पसंदीदा तरीके हैं। इसलिए इसकी सलह उन निवेशकों को दी जाती है जो कम जोखिम के साथ निवेश करना चाहते हैं।
मासिक आय की सबसे बेहतर योजनाएं
भारत में मासिक आय योजनाओं में निवेश के लिए सबसे बेहतर योजनाओं की लिस्ट यहाँ दी गई है:
टेबल 1 .भारत में मौजूद मुख्य MIP की जानकारी*
फण्ड का नाम | 1 वर्ष में रिटर्न | 3 वर्ष में रिटर्न | 5 वर्ष में रिटर्न |
ICICI प्रुडेंशियल नियमित बचत निधि | 8.14% | 8.50% | 10.22% |
UTI नियमित बचत कोष | 1.00% | 5.83% | 8.10% |
SBI डेट हाइब्रिड फंड | 7.17% | 5.71% | 8.85% |
फ्रैंकलिन इंडिया डेट हाइब्रिड फंड | 6.82% | 5.66% | 8.46% |
कोटक डेट हाइब्रिड फंड | 7.90% | 6.85% | 9.32% |
IDFC रेगुलर सेविंग फंड | 7.66% | 6.44% | 8.49% |
रिलायंस हाइब्रिड बॉन्ड फंड | 4.27% | 5.99% | 8.36% |
SBI मल्टी एसेट एलोकेशन फंड | 8.02% | 6.99% | 9.17% |
सुंदरम डेट ओरिएंटेड हाइब्रिड फंड | 1.82% | 3.60% | 6.88% |
DSP रेगुलर सेविंग फंड | 1.32% | 3.93% | 6.80% |
*उपरोक्त आंकड़े केवल उदाहरण के लिए हैं और समय-समय पर ये बदल सकते हैं. ये डाटा 27, अगस्त 2019 को लिया गया है. स्रोत: वैल्यू रिसर्च
हाइब्रिड फंड से लाभ कैसे मिलता है?
हाइब्रिड फंड, डेट/ मनी मार्केट और इक्विटी दोनों में निवेश करते हैं, इसलिए ये संभावित रूप में कई तरीकों से लाभ कमाते हैं। डेट निवेश की स्थिति में आय, कूपन रेट यानी ब्याज़ से होनी वाली आय है, जिसे डिविडेंड के रूप में दिया जाता है या फिर उस फण्ड को ज़्यादा बेहतर बनाने के लिए उसमें फिर से निवेश किया जा सकता है।
हाइब्रिड फंड द्वारा इक्विटी निवेश से लाभ मिलना का कारण शेयर बाज़ार में शेयर का खरीदना बेचना है। इसके अतिरिक्त, फंड के लिए आय/ लाभ का दूसरा स्रोत, म्यूचुअल फंड द्वारा रखे गए शेयरों के बदले में बोनस या लाभांश मिलना है। इस प्रकार इक्विटी निवेश की तुलना में हाइब्रिड फण्ड कम जोखिम के साथ लाभ के ज़्यादा स्रोत प्रदान करता है। मासिक आय योजना जैसे हाइब्रिड फंड कम जोखिम के साथ निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प है।
मासिक आय योजनाओं के लिए विकल्प
अधिकांश म्यूचुअल फंडों के मामले में, दो प्रमुख विकल्प हैं जो डेट फंड निवेश करने वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध हैं – ग्रोथ और डिविडेंड।
ग्रोथ विकल्प: यह उन निवेशकों के लिए पसंदीदा विकल्प है, जो डिविडेंड के माध्यम से रिटर्न के बजाय अपने निवेश की पूंजी को बढ़ाना चाहते हैं। इस तरीके से लाभ होने पर उस लाभ को AUM द्वारा फिर से उसी फण्ड में निवेश कर दिया जाता है ताकि उसकी कीमत या NAV यूनिट बढ़े। निवेशक द्वारा शेयर बेचने पर उसे अपने लाभ का हिस्सा मिलता है।
डिविडेंड विकल्प: MIP मासिक, तीन महीने में, छह महीने में या वार्षिक भुगतान में से किसी एक रूप में शेयर के समान लाभ देती है। हालांकि, ऐसे भुगतान की गारंटी म्यूचुअल फंड द्वारा नहीं दी जा सकती है। जब किसी म्यूचुअल फण्ड द्वारा कोई डिविडेंड/ लाभांश घोषित किया जाता है, तो वह प्रति यूनिट के आधार पर घोषित किया जाता है और प्रत्येक यूनिट का NAV/ मूल्य डिविडेंड राशि जितना घट जाता है। डिविडेंड दो उप-प्रकार हैं – डिविडेंड पे-आउट और डिविडेंड रि-इंवेस्ट। पे-आउट की स्थिति में निवेशक को अपने मौजूद यूनिट की संख्या के आधार पर भुगतान प्राप्त होता है। वहीं, रि-इंवेस्ट के विकल्प में, निवेशक को डिविडेंड के मूल्य के समान अधिक यूनिट प्राप्त होते हैं।
मासिक आय योजनाओं की मुख्य विशेषताएं
यदि आप MIP में निवेश करना चाहते हैं तो यहां कुछ विशेषताएं दी गई हैं:
डेट और इक्विटी बाज़ार में निवेश: डेट और इक्विटी बाज़ार दोनों में निवेश। डेट बाज़ार में निवेश का प्रदर्शन ब्याज़ दर घटने-बढ़ने पर निर्भर करता है। वहीं, इक्विटी में निवेश शेयर बाज़ार के प्रदर्शन पर निर्भर करता हैं।
एग्ज़िट लोड और अतिरिक्त खर्च: एंट्री लोड SEBI ने समाप्त कर दिया था। हालांकि, एग्ज़िट लोड अभी भी MIP लागू है। आप एक वर्ष पूरा होने से पहले अगर अपने म्यूचुअल फण्ड यूनिट रिडीम या स्विच करते हैं, तो आपको 1% एग्ज़िट लोड देना पड़ता है। कुछ स्थितियों में यह समयसीमा लंबी हो सकती है या एग्ज़िट लोड ज़्यादा हो सकता है।
डिविडेंड/ लगातार आय की गारंटी नहीं है: इस बात की संभावना है कि फंड हाउस हमेशा डिविडेंड नहीं देते हैं। बांड और इक्विटी बाज़ार में उथल-पुथल या मंदी होने पर हाइब्रिड फंड के खराब प्रदर्शन की स्थिति में ऐसा हो सकता है।
जोखिम और रिटर्न का संतुलन: जब ज़्यादा जोखिम ना लेने वाले निवेशक अगर जोखिम से बचने के लिए इक्विटी फण्ड में निवेश ना कर डेट फण्ड में निवेश करने की सोच रहे हैं, तो ये भी उनके लिए फायदे का सौदा नहीं है क्योंकि डेट फण्ड में रिटर्न/ लाभ कम है। इस स्तिथि में हाइब्रिड म्यूचुअल फण्ड एक अच्छा विकल्प है, क्योंकि ये फण्ड इक्विटी और डेट दोनों में निवेश करता है।
मासिक आय योजनाओं पर टैक्स कैसे लगाया जाता है?
हालांकि, MIP से कमाया गया लाभा आयकर के अधीन नहीं आता है, लेकिन म्यूचुअल फण्ड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स लगता है जो 30% है| एक MIP में जितना भी डिविडेंड/ लाभ दिया जाएगा उसका 30% टैक्स के रूप में सरकारी टैक्स विभाग को देना होगा| उदाहरण के लिए, यदि फंड हाउस ने घोषणा की है कि वो प्रति यूनिट पर 1 रु. का डिविडेंड/ लाभ देगा तो, 0.30 रू. टैक्स के रूप में देना होगा| फंड हाउस इस टैक्स के खर्च को एक्सपेंस रेश्यो में जोड़कर निवेशकों को बताता है, टैक्स के बाद जो डिविडेंड/ लाभ बचता है उस पर कोई टैक्स नहीं लगाया जा सकता|
चूंकि MIP डेट बाज़ार में ज़्यादा निवेश करता है इसलिए इसे नॉन-इक्विटी फण्ड के रूप में जाना जाता है और इस पर लागू नियमों के मुताबिक, टैक्स लगाया जाता है| MIP पर लम्बे-समय और कम समय में लाभ कमाने के मुताबिक, टैक्स लगाया जाता है| निवेशक जितने समय रखने के बाद अपने यूनिट बेचता है उन पर उसके मुतबिक, टैक्स लगाया जाता है|
मासिक आय योजना के मामले में अगर आप तीन साल बाद अपने यूनिट बेचते हैं तो उन पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स के अंतर्गत टैक्स लगेगा| अगर इंडेक्सेशन बेनिफिट निवेशक को दिया गया है तो इन यूनिट को बेचने पर जो लाभ होगा उन पर 20% टैक्स लगेगा| अगर इंडेक्सेशन बेनिफिट निवेशक को नहीं दिया गया है तो लाभ पर 10% टैक्स लगेगा|