पर्सनल लोन की ब्याज दरें कैसे तय होती हैं?
बैंक/NBFC अपने फंड की लागत और आवेदक के क्रेडिट रिस्क इवैल्यूएशन के आधार पर पर्सनल लोन की ब्याज दरें तय करते हैं। लेंडर्स ब्याज दरें तय करते अन्य फैक्टर्स पर विचार करते हैं जैसे- क्रेडिट स्कोर, इनकम, पेशा, मौजूदा डेब्ट ऑब्लिगेशन, मौजूदा लेंडिंग और बैंकिंग रिलेशनशिप, एंप्लॉयर प्रोफाइल आदि।
उदाहरण के तौर पर, अच्छा क्रेडिट स्कोर कम क्रेडिट रिस्क दर्शाता है, बहुत से बैंक और लोन संस्थान उन आवेदकों को लोन देना पसंद करते हैं जिनका क्रेडिट स्कोर अच्छा है। इसी तरह, बैंक और लोन संस्थान, ऐसे आवेदकों कम ब्याज दरों पर लोन देते हैं जो स्टेबल जॉब करते हैं या फिर किसी सरकारी या टॉप प्राइवेट सेक्टर की कंपनी में काम करते हैं, क्योंकि ऐसे आवेदकों के लिए क्रेडिट रिस्क कम होता है।
2025 में प्रमुख बैंकों/NBFCs की पर्सनल लोन ब्याज दरें
बैंक/NBFC | ब्याज दर (प्रति वर्ष) |
HDFC बैंक | 10.90%-24.00% |
एक्सिस बैंक | 11.25% से शुरू |
ICICI बैंक | 10.85%-16.65% |
कोटक महिंद्रा बैंक | 10.99%-16.99% |
इंडसइंड बैंक | 10.49% से शुरू |
IDFC फर्स्ट बैंक | 10.99% से शुरू |
फेडरल बैंक | 12.00%-22.50% |
DBS बैंक | 10.99%-30% |
यस बैंक | 11.25%-21% |
टाटा कैपिटल | 11.99%-29.99% |
आदित्य बिरला फाइनेंस | 10.99% से शुरू |
L&T फाइनेंस | 11.00% से शुरू |
हीरो फिनकॉर्प | 19.75%-37.75% |
पीरामल फाइनेंस | 12.90% से शुरू |
HDB फाइनेंशियल सर्विसेज | 10%-35% |
पूनावाला फिनकॉर्प | 18%-36% |
SMFG इंडिया क्रेडिट | 13% से शुरू |
मनीव्यू | 14%-36% |
पे-सेंस | 1.4%-2.3% प्रति माह |
InCred फाइनेंशियल सर्विसेज | 13.99% से शुरू |
फिक्स्ड और फ्लोटिंग ब्याज दर में अंतर
पर्सनल लोन फिक्स्ड या फ्लोटिंग ब्याज दरों पर लिया जा सकता है। इन दोनों के बीच के अंतर के बारे में नीचे बताया गया है:-
फिक्स्ड ब्याज दरें
फिक्स्ड रेट पर्सनल लोन के मामले में ब्याज दरें पूरी लोन अवधि के दौरान समान रहती हैं। इसका मतलब है कि फिक्स्ड रेट पर पर्सनल लोन लेने पर आपके लोन की ईएमआई शुरूआत से लेकर अंत तक एक समान रहेगी। यह विकल्प उन आवेदकों के लिए उपयुक्त है जो हर महीने एक निश्चित रकम ईएमआई के तौर पर देना चाहते हैं।
फ्लोटिंग ब्याज दरें
फ्लोटिंग रेट पर्सनल लोन में ब्याज दरें लिंक्ड बेंचमार्क रेट (जैसे रेपो रेट) में बदलाव के आधार पर बदलती हैं। ध्यान रहें, अगर आपने “ईएमआई चेंज (EMI Change)” विकल्प के साथ फ्लोटिंग रेट पर लोन लिया है, तो ब्याज दरें बढ़ने पर ईएमआई में भी बढ़ोतरी होगी। लेकिन लोन की अवधि समान रहेगी। इसी तरह, अगर आपने “टेन्योर चेंज (Tenure Change)” का विकल्प चुना है, तो ब्याज दर में बदलाव के अनुसार EMI तो स्थिर रहेगी, लेकिन लोन की अवधि बढ़ या घट सकती है।
कौन-सा बैंक सबसे सस्ता या कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन देता है?
प्राइवेट सेक्टर के प्रमुख बैंकों में इंडसइंड बैंक सबसे कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन देता है, जो कि 10.49% प्रति वर्ष है। इसके बाद, ICICI बैंक आता है जिसकी ब्याज दरें 10.85% प्रति वर्ष से शुरू होती हैं। कुछ पब्लिक सेक्टर के बैंक भी कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन ऑफर कर सकते हैं। ध्यान रहें, किसी बैंक/NBFC द्वारा दी जाने वाली अंतिम ब्याज दरें आवेदक के क्रेडिट स्कोर, मासिक आय, बिज़नेस प्रोफाइल जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं।
कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन पाने के लिए किन बातों का ध्यान रखें?
कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन लेने के लिए इन बातों का ध्यान रखें:-
- अच्छा सिबिल स्कोर बनाएं- सिबिल स्कोर 750 और इससे ज़्यादा होना चाहिए।
- बैंक/ लोन संस्थानों द्वारा दिए जाने वाले प्री-अप्रूव्ड इंस्टेंट पर्सनल लोन ऑफर चेक करें।
- जिन बैंक/ लोन संस्थानों में आपका पहले से डिपॉज़िट/ लोन अकाउंट हैं, वहां लोन के लिए पता करें।
- फेस्टिव सीज़न में बैंकों द्वारा ब्याज दर में दी जाने वाली छूट पर नज़र बनाए रखें।
- ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस पर जाकर कई बैंकों/ लोन संस्थानों के पर्सनल लोन ऑफर चेक करें।
कौन-से फैक्टर्स पर्सनल लोन की ब्याज दर को प्रभावित करते हैं?
बैंक/ एनबीएफसी मुख्य रूप से अपने फंड की कॉस्ट और लोन आवेदक को लोन देने में उन्हें कितना जोखिम है, इस आधार पर लोन की ब्याज दर तय करते हैं। यहां कुछ प्रमुख कारक दिए गए हैं जो आपके पर्सनल लोन की ब्याज दरों को प्रभावित कर सकते हैं:
- क्रेडिट स्कोर: बैंक/ एनबीएफसी ब्याज दरें निर्धारित करते समय अपने लोन आवेदकों के क्रेडिट स्कोर को चेक करते हैं। जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर अधिक होता है, उन्हें कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन प्रदान किया जाता है। इसलिए, 750 और उससे अधिक क्रेडिट स्कोर बनाए रखें। अपने क्रेडिट कार्ड बिल और ईएमआई का समय पर भुगतान करने, कम समय में कई लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन न करने और क्रेडिट यूटिलाइज़ेशन रेश्यो को कम से कम बनाए रखने से आपको अधिक क्रेडिट स्कोर बनाए रखने में मदद मिलेगी।
- आय: अगर आपकी आय अधिक होती है तो आप लोन का भुगतान भी समय पर कर पाते हैं। इससे बैंक/ एनबीएफसी के लिए भी क्रेडिट रिस्क कम होता है। इस प्रकार, कई बैंक/ एनबीएफसी अधिक आय वाले लोगों को कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन प्रदान करते हैं।
- नियोक्ता/कंपनी: कई बैंक/एनबीएफसी अपनी ब्याज दरें निर्धारित करते समय इस बात पर भी ध्यान देते हैं कि आप कहाँ काम करते हैं। गैर- नौकरीपेशा आवेदकों की तुलना में, बैंक/NBFC नौकरीपेशा आवेदकों को कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन प्रदान करते हैं क्योंकि उनकी आय हर महीने निश्चित होती है। नौकरीपेशा आवेदकों में भी, सरकारी कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाती है। इसके बाद प्रतिष्ठित कॉर्पोरेट और मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाली कर्मचारी आते हैं।
- बैंक/NBFC के साथ मौजूदा लोन या बैंकिंग संबंध: कई बैंक/NBFC अपने मौजूदा ग्राहकों को रियायती ब्याज दरों पर पर्सनल लोन प्रदान करते हैं। इसलिए, जो लोग पर्सनल लोन लेना चाहते हैं, उन्हें हमेशा उन बैंकों/ एनबीएफसी से संपर्क करना चाहिए जिनसे उन्होंने पहले से ही लोन लिया हुआ है या वहां उनका बैंक अकाउंट है।
EMI कैलकुलेटर कैसे काम करता है?
पर्सनल लोन ईएमआई कैलकुलेटर में आप जिस लोन के लिए आवेदन कर रहे हैं, उसकी ईएमआई का पता लगा सकते हैं। इसके लिए आपको लोन राशि, ब्याज दर, लोन अवधि जैसी जानकारी दर्ज करनी होगी। इतना करने के बाद, “Calculate” के विकल्प पर क्लिक करें। जिसके बाद मासिक ईएमआई, कुल ब्याज जैसी जानकारी आप देख सकेंगे। इस कैलकलुेटर में अलग-अलग लोन अवधि, ब्याज दरों और लोन राशि के हिसाब से मासिक ईएमआई का पता लगा सकते हैं।
पर्सनल लोन पर ब्याज दर कम कैसे करें?
आप नीचे दिए गए तरीके अपनाकर अपने मौजूदा पर्सनल लोन की ब्याज दरों को कम कर सकते हैं:-
बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प चुनें
मौजूदा लोन को किसी ऐसे बैंक/NBFC में ट्रांसफर करें जो कम ब्याज दर और बेहतर शर्तों की पेशकश करता हो। इससे EMI और कुल ब्याज दोनों में बचत हो सकती है।
पार्ट-प्रीपेमेंट करें
जब भी अतिरिक्त फंड उपलब्ध हो, अपने लोन का आंशिक भुगतान करें। इससे मूल राशि कम होगी और कुल ब्याज लागत में कमी आएगी।
संबंधित प्रश्न (FAQs)
पर्सनल लोन की ब्याज दर कितनी होती है?
पर्सनल लोन की ब्याज दरें हर बैंक और लोन संस्थान में अलग-अलग होती हैं। आमतौर पर पर्सनल लोन 10.49% प्रति वर्ष से शुरू होने वाली ब्याज दरों पर दिया जाता है।
सबसे कम ब्याज दर पर कौन-सा बैंक पर्सनल लोन देता है?
प्राइवेट सेक्टर बैंकों में इंडसइंड बैंक 10.49% प्रति वर्ष से शुरू होने वाली सबसे कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन प्रदान करता है। उसके बाद, ICICI बैंक आता है जो 10.85% प्रति वर्ष से शुरू होने वाली ब्याज दरों पर पर्सनल लोन देते हैं। कुछ पब्लिक सेक्टर के बैंक भी कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन ऑफर कर सकते हैं। ध्यान रहें, किसी बैंक/NBFC द्वारा दी जाने वाली अंतिम ब्याज दरें आवेदक के क्रेडिट स्कोर, मासिक आय, बिज़नेस प्रोफाइल जैसे कारकों पर निर्भर करती हैं।
क्या क्रेडिट स्कोर से पर्सनल लोन की ब्याज दर पर फर्क पड़ता है?
पर्सनल लोन एप्लीकेशन का मूल्यांकन करते समय लेंडर्स कई सारे फैक्टर्स देखते हैं जिनमें आपका क्रेडिट स्कोर भी शामिल है। जिन लोगों का क्रेडिट स्कोर 750 या उससे ज़्यादा होता है, उन्हें कम ब्याज दरों पर लोन मिलने की संभावना ज़्यादा होती है। क्योंकि अच्छा क्रेडिट स्कोर कम क्रेडिट रिस्क का संकेत देता है। इसी तरह, जिनका क्रेडिट स्कोर कम होता है, उनके लोन एप्लीकेशन के रिजेक्शन की ज़्यादा संभावना होता है, अगर लोन मिलता भी है, तो उस पर ज़्यादा ब्याज दरें ली जाती हैं।
पर्सनल लोन में फ्लोटिंग और फिक्स्ड ब्याज दर में क्या फर्क है?
फिक्स्ड रेट पर्सनल लोन के मामले में पूरी लोन अवधि के दौरान ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं होता। वहीं दूसरी ओर, फ्लोटिंग रेट पर्सनल लोन में बाज़ार की ब्याज दरों में बदलाव के कारण ब्याज दरों में समय-समय पर बदलाव होता रहता है।
बैंक और NBFC की ब्याज दरों में कितना फर्क होता है?
आमतौर पर बैंकों के मुकाबले एनबीएफसी पर्सनल लोन पर अधिक ब्याज दरें ऑफर करते हैं, क्योंकि उनकी फंडिंग लागत (Cost of Funds) अधिक होती है। हालांकि, कुछ बड़े एनबीएफसी, जिन्हें कम लागत पर फंड्स की सुविधा मिलती है, वे कम ब्याज दरों पर पर्सनल लोन दे सकते हैं।
पर्सनल लोन के अलावा और कौन से लोन विकल्प सस्ते हैं?
पर्सनल लोन के मुकाबले सिक्योर्ड लोन की ब्याज दरें कम होती हैं, क्योंकि ऐसे लोन लेने के लिए कोलैटरल या गारंटी देनी पड़ती है। इनमें गोल्ड लोन, लोन अगेंस्ट सिक्योरिटीज़, प्रॉपर्टी के बदले लोन आदि जैसे विकल्प उपलब्ध हैं।
ब्याज दर बढ़ने या घटने का पर्सनल लोन की EMI पर क्या असर पड़ता है?
अगर आपने फ्लोटिंग रेट पर पर्सनल लोन लिया है, तो ब्याज दरों के घटने या बढ़ने का सीधा असर आपके लोन की ईएमआई पर पड़ेगा। समान लोन अवधि के लिए ब्याज बढ़ने पर ईएमआई में बढ़ोतरी होगी।