बैंक/ लोन संस्थानों ने विभिन्न प्रकार के लोन देने के लिए अपनी कुछ योग्यता शर्तें तय की हुई हैं। इनमें से एक CIBIL स्कोर भी है जिसे आमतौर पर क्रेडिट स्कोर के नाम से भी जाना जाता है। इस स्कोर से पता चलता है कि आवेदक की क्रेडिट प्रोफाइल कैसी है, और वो समय पर लोन का भुगतान करेगा इस बात की कितनी संभावना है। इसके साथ ही सिबिल स्कोर से बैंक/ लोन संस्थानों को यह आकलन करने में भी मदद मिलती है कि उन्हें लोन एप्लीकेशन को मंज़ूरी देनी चाहिए या नहीं।
खराब क्रेडिट स्कोर वाले व्यक्तियों की लोन एप्लीकेशन को मंज़ूरी मिलना मुश्किल होता है। नो क्रेडिट चेक लोन (No Credit Check Loan) उन लोगों के लिए हैं जिनकी क्रेडिट हिस्ट्री खराब रही है या जो नहीं चाहते हैं कि जब भी वे लोन के लिए अप्लाई करें तो बैंक/ लोन संस्थान उनके सिबिल स्कोर को चेक करें।
ये लोन कम अवधि के लिए अधिक ब्याज दरों पर ऑफर किए जाते हैं। ये लोन आमतौर पर आपकी क्रेडिट कार्ड लिमिट के बदले में दिए जाते हैं, जिसमें या तो आपको कोलैटरल/ सिक्योरिटी जमा करानी होती है या फिर कोई गारंटर आवेदक के बारे में ये कंफर्म करता है कि वह लोन का भुगतान कर सकता है। भारत में बैंक/ लोन संस्थान आमतौर पर इस प्रकार के लोन को नो क्रेडिट चेक लोन कहकर नहीं बुलाते हैं, इसके बजाय वे उन्हें अलग नामों से बुलाते हैं, जैसे- लोन अगेंस्ट क्रेडिट कार्ड लिमिट, एजुकेशन लोन या सिक्योर्ड लोन।
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आपकी क्रेडिट कार्ड लिमिट पर प्रदान किए गए लोन आपको क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि के आधार पर मिलते हैं। जैसा कि बैंक यह लोन उन लोगों को देते हैं जिन्होंने पहले क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान समय पर किया है, और वे आमतौर पर इन लोन को ऑफर करते समय सिबिल स्कोर या क्रेडिट हिस्ट्री भी चेक नहीं करते हैं। इसकी दूसरी वज़ह यह है कि आपको क्रेडिट कार्ड लिमिट के लिए पहले ही मंज़ूरी मिल चुकी है और आप केवल अपनी बकाया राशि का उपयोग करते हैं।
अगर छात्र को किसी प्रतिष्ठित संस्थान में एडमिशन मिला है और उसके पास कोई गारंटर है जो कंफर्म कर सके कि कॉलेज से पास होने के बाद आवेदक लोन का भुगतान कर सकता है तो एजुकेशन लोन के तहत आमतौर पर क्रेडिट चेक (सिबिल स्कोर या क्रेडिट हिस्ट्री को चेक करना) की ज़रूरत नहीं होती है। जैसा कि छात्रों को लोन के लिए अप्लाई करते समय कोई इनकम नहीं होती है, इसलिए उनकी कोई क्रेडिट हिस्ट्री भी नहीं होती है और क्रेडिट हिस्ट्री न होने की वजह से कोई क्रेडिट स्कोर भी नहीं होता है।
सिक्योर्ड लोन वे लोन होते हैं जिन्हें लेने के लिए आपको अपनी प्रॉपर्टी या संपत्ति को गिरवी रखना पड़ता है। आपको कितनी लोन राशि प्रदान की जाएगी, ये इस पर निर्भर करता है कि संपत्ति/ प्रॉपर्टी की कीमत कितनी है। अगर आप इस लोन का भुगतान नहीं कर पाते हैं तो बैंक/ लोन संस्थान अपने पैसे प्राप्त करने के लिए आपकी प्रॉपर्टी या संपत्ति/ एसेट को बेच सकते हैं। हालांकि, यह सबसे बाद में किया जाता है जिससे पहले बैंक/ लोन संस्थान उधारकर्ता को लोन का भुगतान करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर प्रदान करते हैं।
कार लोन, लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी और बिज़नेस के लिए लोन जैसे कुछ सिक्योर्ड लोन हैं जिनके लिए क्रेडिट चेक की ज़रूरत कम होती है।
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भारत में नो क्रेडिट चेक लोन के प्रकार
भारत में नो क्रेडिट चेक लोन (No Credit Check Loan) के कुछ प्रकारों के बारे में नीचे बताया गया है:
- लोन अगेंस्ट क्रेडिट कार्ड बैलेंस
- एजुकेशन लोन
- कार लोन
- लोन अगेंस्ट प्रॉपर्टी
- बिज़नेस लोन
इन नो क्रेडिट चेक लोन के बारे में अधिक जानने के लिए, आइए समझते हैं कि क्रेडिट हिस्ट्री क्या है।
क्रेडिट हिस्ट्री क्या है?
क्रेडिट हिस्ट्री से पता चलता है कि किसी व्यक्ति ने पहले अपनी ईएमआई या क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान समय पर और पूरा किया है या नहीं। बैंक/ लोन संस्थान आवेदक की लोन एप्लीकेशन को मंज़ूरी प्रदान करते समय उसकी क्रेडिट हिस्ट्री को चेक करते हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि वे लोन लेने के लिए योग्य हैं या नहीं। वे आवेदक जिन्होंने लोन ईएमआई का भुगतान करने में डिफॉल्ट किया है यानी कि समय पर भुगतान नहीं किया है, उनके लिए लोन प्राप्त करना मुश्किल होता है क्योंकि इससे बैंक के लिए जोखिम होता है।
भारत में, सिबिल स्कोर सिबिल ट्रांसयूनियन द्वारा प्रदान किया जाता है, जिसे सिबिल के नाम से भी जाना जाता है। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, और अगर आपका स्कोर 750 और उससे अधिक है तो आपकी लोन एप्लीकेशन मंज़ूर होने की संभावना अधिक होती है। सिबिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे 79% व्यक्तियों के लोन आवेदन मंज़ूर कर लिए गए जिनका सिबिल स्कोर 750 से अधिक था।
बहरहाल, अगर आप चाहते हैं कि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा हो तो ये रातोंरात नहीं होने वाला, इसमें आमतौर पर कुछ समय लगता है। इसके अलावा, मानकर चलिए कि जब आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, और उस समय आप अपनी ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान समय पर नहीं कर पाए तो इसका आपके स्कोर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, भले ही वर्तमान में आपके आर्थिक हालात अच्छे हों। इसके अलावा, क्रेडिट हिस्ट्री भी तभी बनती है जब आपने लोन या क्रेडिट कार्ड लिया हो।
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नो क्रेडिट चेक लोन की ब्याज दरें और योग्यता शर्तें
ब्याज दर
आवेदक अपनी इच्छा के मुताबिक ब्याज दर चुन सकता है। वे फिक्स्ड ब्याज दर या फ्लोटिंग ब्याज दर का चुनाव कर सकते हैं जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
- फिक्स्ड रेट: फिक्स्ड रेट पर लिए गए लोन के मामले में ब्याज दर पूरी अवधि में वही रहती है जिस पर आपने लोन लिया था। साथ ही ईएमआई राशि में भी किसी प्रकार का बदलाव नहीं होता है इसलिए आवेदक को इस बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है कि मार्केट में ब्याज दरों में बदलाव हो रहा है या नहीं। फिक्स्ड ब्याज दर पर लोन लेने से आवेदक अपने भुगतान की रणनीति बना सकता है।
- फ्लोटिंग रेट: इसके तहत, मार्केट की स्थितियों और आरबीआई की नीतियों में बदलाव के आधार पर ब्याज दर में उतार-चढ़ाव होता है। इसलिए, ईएमआई राशि भी बदल सकती है। इससे आवेदकों को मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि ब्याज दर बदलने से ईएमआई राशि में भी बदलाव आता है।
No Credit Check Loan: ईएमआई
ईएमआई वह राशि होती है जिसका भुगतान लोन को चुकाने के लिए हर महीने किया जाता है। ईएमआई को मूल राशि, ब्याज दर और लोन अवधि के आधार पर कैलकुलेट किया जाता है। ईएमआई को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं:
- मूल राशि: अधिक राशि वाले लोन की ईएमआई राशि आमतौर पर कम होती है और कम राशि वाले लोन की ईएमआई राशि अधिक।
- ब्याज दर: ये दो प्रकार की होती हैं; फिक्स्ड और फ्लोटिंग। फिक्स्ड ब्याज दर होने से पूरी अवधि के दौरान ईएमआई राशि में कोई बदलाव नहीं आता है। फ्लोटिंग रेट होने से ईएमआई राशि ब्याज दर में बदलाव के साथ बदलती रहती है।
- लोन अवधि: वे लोन जो लंबी अवधि के लिए लिए गए हैं, उनकी ईएमआई राशि कम होगी, लेकिन कुल ब्याज का भुगतान अधिक करना पड़ सकता है।
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योग्यता शर्तें
- आवेदक भारत का निवासी होना चाहिए
- आवेदक की आयु कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।
- कुछ बैंकों/ लोन संस्थानों से लोन लेने के लिए ये ज़रूरी होता है कि आवेदक एक निश्चित राशि की न्यूनतम सैलरी प्राप्त करता हो।
- नौकरीपेशा और गैर-नौकरीपेशा व्यक्ति अप्लाई कर सकते हैं।
- बिज़नेस लोन प्राप्त करने के लिए, कुछ बैंकों/ लोन संस्थानों में इस बात का प्रूफ सबमिट कराना होता है कि बिज़नेस कम से कम 3 सालों से चल रहा हो।
- आवेदक इस स्थिति में हो कि अपने लोन का भुगतान कर सके।
No Credit Check Loan: विशेषताएं, लाभ और नुकसान
नो क्रेडिट चेक लोन की विशेषताएं:
- इसके तहत क्रेडिट हिस्ट्री चेक नहीं की जाती है।
- होम लोन की तुलना में इस लोन के लिए अप्लाई करने की प्रक्रिया के दौरान कम दस्तावेज जमा कराने होते हैं।
- लोन एप्लीकेशन को मंज़ूरी जल्दी मिल जाती है।
- इस प्रकार के लोन के लिए ब्याज दरें आमतौर पर सामान्य पर्सनल लोन से काफ़ी अधिक होती हैं।
- लोन अगेंस्ट क्रेडिट कार्ड या स्टुडेंट लोन प्राप्त करने के लिए आमतौर पर कोलैटरल/ सिक्योरिटी जमा कराने की ज़रूरत नहीं होती है।
- लोन अवधि कम होती है और कुछ हद तक बदली जा सकती है।
नो क्रेडिट चेक लोन के लाभ
- खराब क्रेडिट हिस्ट्री वाले व्यक्ति ये लोन ले सकते हैं।
- कम दस्तावेज जमा कराने पड़ते हैं और लोन एप्लीकेशन को मंज़ूरी मिलने की प्रक्रिया जल्दी पूरी हो जाती है।
- ब्याज दरें आमतौर पर फिक्स्ड होती हैं।
नो क्रेडिट चेक लोन के नुकसान
- बैंक/ लोन संस्थान लोन की शर्तें तय करता है।
- लोन अवधि आमतौर पर कम होती है।
- इस लोन पर ऑफर की जाने वाली ब्याज दर अधिक होती है क्योंकि बैंक अधिक ब्याज दर वसूल कर अपना जोखिम कम करना चाहते हैं।
नो क्रेडिट चेक लोन प्राप्त करते समय ध्यान देने योग्य बातें
- ऑफ़र डॉक्यूमेंट: यह ज़रूरी है कि साइन करने से पहले आप ऑफ़र डॉक्युमेंट को अच्छे से चेक कर लें। अगर आपको डॉक्यूमेंट में दी गई कोई बात समझ नहीं आ रही है, तो आपको बैंक एग्जीक्युटिव या फाइनेंस एक्सपर्ट से मदद लेनी चाहिए। आपको लोन की प्रक्रिया के बारे में जितना अधिक पता होगा, उतना ही बेहतर है।
- कोलैटरल: सिक्योर्ड लोन के तहत, आवेदक को लोन प्राप्त करने के लिए अपनी प्रॉपर्टी या एसेट को कोलैटरल के रूप में जमा कराना पड़ता है। अगर समय पर पूरे लोन का भुगतान नहीं किया जाता है तो बैंक/ लोन संस्थान आपके द्वारा गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी या एसेट को बेच सकता है।
- आवश्यक पूंजी: यह ज़रूरी है कि आवेदक उतनी ही लोन राशि के लिए अप्लाई करें जितने का वो भुगतान कर सकें। इसलिए, लोन लेने से पहले सभी पहलुओं को अच्छे से चेक कर योजना बना लेनी चाहिए।
- ब्याज दर: आवेदक को यह ध्यान रखना चाहिए कि फिक्स्ड ब्याज दर पर लिए गए लोन के लिए ईएमआई राशि समान रहती है। वहीं फ्लोटिंग ब्याज दर पर लिए गए लोन की ईएमआई राशि में बदलाव होता रहता है।
- प्रीपेमेंट: अवधि पूरा होने से पहले किसी लोन को बंद करने के लिए जो भुगतान किया जाता है, उसे प्रीपेमेंट कहते हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि बहुत से बैंक समय से पहले भुगतान करने पर कुछ फीस वसूलते हैं।
- ईएमआई कैलकुलेटर: ईएमआई कैलकुलेटर के ज़रिए ईएमआई राशि को कैलकुलेट किया जाता है। इस टूल का इस्तेमाल लोन लेने से पहले ईएमआई राशि का पता लगाने के लिए किया जा सकता है। इसी के मुताबिक आप आगे के लिए अपनी भुगतान की रणनीति बना सकते हैं।
- प्रोसेसिंग फीस और फोरक्लोज़र फीस: कुछ बैंक लोन राशि पर प्रोसेसिंग फीस और फ़ोरक्लोज़र फीस वसूलते हैं।
लोन मंज़ूरी को प्रभावित करने वाले कारक
बैंक लोन एप्लीकेशन की प्रोसेसिंग के वक्त नीचे दिए गए कारकों को ध्यान में रखते हैं।
- रीपेमेंट हिस्ट्री: अगर आप अपनी लोन राशि का भुगतान समय पर करती हैं, तो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री अच्छी होगी। इसलिए, यह बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी लोन ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिलों का भुगतान समय पर करें।
- जॉब स्टेबल है या नहीं: जो आवेदक प्रतिष्ठित कंपनियों में काम करते हैं और जिनकी जॉब स्टेबल है, उन्हें आसानी से लोन मिल जाता है। वहीं कुछ बैंक/ लोन संस्थानों में लोन के लिए अप्लाई करने के लिए ये ज़रूरी होता है कि आवेदक ने कम से कम एक साल एक ही प्रोफेशन में काम किया हो।
- लिस्टेड कंपनियां: बैंकों/ लोन संस्थानों ने कुछ कंपनियों को प्रतिष्ठित कंपनी/ नियोक्ता के रूप में लिस्ट किया हुआ है, जो अपने कर्मचारियों को समय पर भुगतान करती हैं। अगर आवेदक इन लिस्टेड कंपनियों में से किसी एक के लिए काम कर रहा है, तो उनके लोन एप्लीकेशन के मंज़ूर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
- आयु: युवा आवेदक अक्सर नौकरी बदलते रहते हैं। इससे उन्हें लोन लेने में परेशानी होती है क्योंकि उनकी जॉब स्टेबल नहीं होती है।
- प्रीपेमेंट: अवधि के पूरा होने से पहले लोन राशि का भुगतान करने को प्रीपमेंट कहा जाता है। अगर आवेदक लोन की प्रीपेमेंट करता है तो इससे ये पता चलता है कि वह लोन का भुगतान करने के प्रति गंभीर है। जब लोन लेने की बात आती है तो इसे अच्छा माना जाता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
प्रश्न. नो क्रेडिट चेक लोन क्या होते हैं?
उत्तर: नो क्रेडिट चेक लोन एक प्रकार का लोन है जिसके लिए बैंक/ लोन संस्थान कोई क्रेडिट चेक (आवेदक का सिबिल स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री चेक करना) नहीं करता है। ये लोन आमतौर पर लोन अगेंस्ट क्रेडिट कार्ड बैलेंस, एजुकेशन लोन, कार लोन, बिज़नेस लोन आदि होते हैं।
प्रश्न. क्या नो क्रेडिट चेक लोन लेने के लिए मेरी क्रेडिट हिस्ट्री को भी चेक किया जाता है?
उत्तर: नो क्रेडिट चेक लोन लाइन ऑफ क्रेडिट के आधार पर दिए जाते हैं जिसकी मियाद पहले से ही बढ़ा दी गई होती है। इसके साथ ही इस प्रकार के लोन के लिए किसी गारंटर की कंफर्मेशन (एजुकेशन लोन, आदि) की ज़रूरत पड़ती है या सिक्योरिटी भी जमा करानी पड़ती है (कार लोन, आदि के मामले में), इसलिए लोन लेने की इस प्रक्रिया में आपकी क्रेडिट हिस्ट्री की कोई भूमिका नहीं होती है।
प्रश्न. पर्सनल लोन के इतने सारे विकल्प होने के बावजूद कोई व्यक्ति नो क्रेडिट चेक लोन ही क्यों ले?
उत्तर: नो क्रेडिट चेक लोन प्राप्त करना आसान है, क्योंकि इसके लिए बहुत कम दस्तावेज जमा कराने पड़ते हैं। इसके अलावा, बैंक/ लोन संस्थान इस लोन के लिए आपका सिबिल स्कोर भी चेक नहीं करते हैं।
प्रश्न. यदि कोई अपने नो क्रेडिट चेक लोन का भुगतान नहीं कर पाता है तो क्या होगा?
उत्तर: यदि आवेदक समय पर लोन का भुगतान नहीं कर पाता है, तो बैंक/ लोन संस्थान गिरवी रखी गई उस सिक्योरिटी को अपने अधिकार में ले लेगा या फिर गारंटर से राशि की वसूली करेगा।
प्रश्न. लोन राशि पर ब्याज दर को कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
उत्तर: लोन राशि और लोन अवधि के आधार पर ब्याज दर को कैलकुलेट किया जाता है।
प्रश्न. क्या बिना क्रेडिट चेक वाले लोन पर ब्याज दरें ज़्यादा होती हैं?
उत्तर: अन्य लोन की तुलना में नो क्रेडिट चेक लोन पर ऑफर की जाने वाली ब्याज दरें अधिक होती हैं। इसका कारण यह है कि बैंक/ लोन संस्थान अधिक ब्याज दर वसूल कर अपना जोखिम कम करना चाहते हैं।
प्रश्न. क्या मुझे अपनी गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी पर एक से अधिक लोन मिल सकते हैं?
उत्तर: कुछ बैंक अपने ग्राहकों को गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी पर एक से अधिक लोन लेने की अनुमति देते हैं।
प्रश्न. क्या मैं ऐसी प्रॉपर्टी को गिरवी रख सकता हूं जो मेरे पास नहीं है?
उत्तर: नहीं, गिरवी रखी गई प्रॉपर्टी पर आवेदक का मालिकाना हक होना चाहिए।