इक्वेटेड मंथली इंस्टॉलमेंट (EMI) में किसी भी तरह की चूक का मतलब है कि आपको अपने संबंधित बैंक व एनबीएफसी को पेनल्टी चार्जे़स देनी होगी। इससे न केवल आपका वित्तीय दायित्व बढ़ता है बल्कि आपके क्रेडिट स्कोर पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। क्रेडिट स्कोर कम होने की वजह से भविष्य में लोन मिलना मुश्किल हो सकता है, या फिर लोन की ब्याज दरें अधिक हो सकती है। इस लेख में आप जानेंगे कि ईएमआई भुगतान में चूक के क्या परिणाम हो सकते हैं, यह आपके क्रेडिट प्रोफाइल को किस तरह प्रभावित करता है और इसके समाधान के लिए आप क्या कदम उठा सकते हैं:
छोटे विलंब से लेकर बड़े डिफॉल्ट तक: समय पर रिपेमेंट क्यों है ज़रूरी
पर्सनल लोन की ईएमआई कुछ दिनों से या कई महीनों से भुगतान न करने पर कई गंभीर वित्तीय परिणाम हो सकते हैं। इसका प्रभाव किस तरह बढ़ता है, आइए समझते हैं:
- एक छोटा डिफॉल्ट (जैसे ड्यू डेट से थोड़ी देर से भुगतान करना) जुर्माने और आपके क्रेडिट स्कोर में गिरावट का कारण बन सकता है।
- वहीं, एक बड़ा डिफॉल्ट तब होता है जब कोई ईएमआई 90 दिनों से अधिक समय तक बकाया रहती है:
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- ऐसे लोन को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) माना जाता है।
- इस पर जुर्माने लगते हैं और यह जानकारी क्रेडिट ब्यूरो को भेजी जाती है, जिससे क्रेडिट स्कोर में तेज़ गिरावट आती है।
- इसके परिणामस्वरूप, भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने की संभावनाएं काफी हद तक कम हो जाती है।
- सकारात्मक पहलू: हालांकि इसका प्रभाव गंभीर हो सकता है, लेकिन डिफॉल्ट के बाद समय पर भुगतान शुरू करने से धीरे-धीरे आपका क्रेडिट प्रोफाइल बेहतर हो सकता है।
पर्सनल लोन EMI भुगतान में चूक के परिणाम
भुगतान में चूक पर पेनल्टी
अधिकांश बैंक और एनबीएफसी ड्यू डेट तक EMI भुगतान न करने पर लेट पेमेंट चार्जेस लेते हैं। ये चार्ज़ेस अलग-अलग हो सकते हैं और आपके कुल बकाया राशि को और बढ़ा सकते हैं। दरअसल, बकाया EMI पर लगातार ब्याज बढ़ता रहता है, जिससे आपके कुल लोन का बोझ भी बढ़ जाता है। वहीं, कुछ बैंक/NBFCs 3-7 दिनों की ग्रेस अवधि प्रदान करते हैं, जिसके दौरान देर से भुगतान करने पर कोई शुल्क नहीं लगता। हालांकि ग्रेस पीरियड समाप्त होने के बाद, बकाया EMI राशि पर शुल्क लिया जाता है।
पर्सनल लोन की EMI पेमेंट मिस करने पर टॉप बैंकों व एनबीएफसी द्वारा लिया जाने वाला चार्ज निम्नप्रकार है:
पर्सनल लोन लेंडर्स | EMIs भुगतान में चूक पर लगने वाल पीनल चार्ज़ |
SBI | अनियमितता की अवधि के लिए बकाया राशि पर अधिकतम 5% वार्षिक दर से शुल्क लागू। |
एचडीएफसी बैंक | बकाया किस्त राशि पर 1.50% प्रति माह (18% वार्षिक) और लागू कर। यह शुल्क उन सभी खातों पर लागू होगा जहाँ EMI की देय तिथि से 7 कैलेंडर दिनों की ग्रेस अवधि बीत जाने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया है। |
एक्सिस बैंक | बकाया राशि पर लागू ब्याज दर के साथ 8% वार्षिक, (परंतु कुल ब्याज प्रति इंसटेंस 24% से अधिक नहीं होगा) |
ICICI बैंक | बकाया EMI के भुगतान न होने तक 5% प्रति वर्ष |
IndusInd बैंक | 5 दिनों से अधिक EMI में देरी होने पर, प्रति EMI ₹150 शुल्क लगेगा। |
IDFC FIRST बैंक | बकाया EMIs का 2% |
टाटा कैपिटल | बकाया राशि पर 3% प्रति माह |
कोटक महिंद्रा बैंक | बकाया राशि पर 8% प्रति वर्ष |
पीनल रेट्स के अलावा पर्सनल लोन लेंडर डिसऑनर चार्जे़स भी लेते हैं। इनमें EMI न भरने पर लगने वाला शुल्क, चेक/NACH/SI बाउंस शुल्क शामिल होता है। यह चार्जे़स आपके बैंक खाते में पर्याप्त राशि न होने के कारण भुगतान असफल हो जाने पर लगता है। यह आमतौर पर एक निश्चित राशि होती है, जो हर बार EMI की ऑटोमैटिक कटौती फेल होने या पोस्ट-डेटेड चेक बाउंस होने पर ली जाती है।
आपके क्रेडिट स्कोर पर प्रभाव
अगर आपसे एक भी ईएमआई के भुगतान में चूक होती है और ग्रेस अवधि पार हो जाती है, तो इससे आपका क्रेडिट स्कोर कम हो सकता है। बैंक और वित्तीय संस्थाएं इस देरी की सूचना CIBIL (TransUnion) जैसे क्रेडिट ब्यूरो को देते हैं। जो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री का रिकॉर्ड रखते हैं और इसके आधार पर ही क्रेडिट स्कोर कैलकुलेट करते हैं। अच्छा क्रेडिट स्कोर दिखाता है कि आपने अपने पिछले EMIs का जिम्मेदारी से भुगतान किया है वहीं, कम क्रेडिट स्कोर दिखाता है कि आपको लोन देने में जोखिम है।
क्रेडिट स्कोर में गिरावट से आपको ये दिक्कतें हो सकती है
- भविष्य में लोन या क्रेडिट कार्ड मिलने में परेशानी
- अधिक ब्याज दर पर लोन मिलना
- कम लोन राशि/क्रेडिट लिमिट कम होना
लोन की ब्याज दरें अधिक होना
किसी भी लोन को मंजूरी देने से पहले बैंक व एनबीएफसी आपकी क्रेडिट प्रोफाइल देखते हैं। अगर आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में EMI भुगतान में देरी या चूक मिलता है, तो लोन संस्थान आपको उच्च जोखिम वाला उधारकर्ता मान सकते हैं। परिणामस्वरूप आपका लोन आवेदन मंजूर तो हो सकता है लेकिन ब्याज दरें अधिक हो सकती है, जिससे आपका लोन तुलनात्मक रूप से महंगा हो सकता है। वहीं, कुछ उधारदाता जोखिम कम करने के लिए- मंजूर की गई राशि कम कर सकते हैं, लोन अवधि घटा सकते हैं या फिर अतिरिक्त दस्तावेज़ या कोलैटरल की मांग कर सकते हैं।
EMI डिफ़ॉल्ट से उबरने में कितना समय लगता है?
EMI डिफ़ॉल्ट के बाद आपका क्रेडिट स्कोर पूरी तरह से कब सुधरेगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि डिफ़ॉल्ट का प्रभाव कितना गहरा था और उसके बाद आपकी वित्तीय आदतें कैसी रहीं। क्रेडिट स्कोर की रिकवरी निम्नलिखित बातों पर निर्भर करती है –
- आपने कितनी बार EMI भुगतान में चूक की
- क्या इससे पहले भी इस तरह के डिफॉल्ट हुए हैं
- EMI चूक के बाद आपने किस तरह से लोन का पुनर्भुगतान किया
बैंक/NBFCs यह भी देखते हैं कि आप अन्य क्रेडिट जिम्मेदारियों को कितनी नियमितता और अनुशासन के साथ निभा रहे हैं – जैसे कि क्रेडिट कार्ड का भुगतान, बकाया लोन राशि और आपका क्रेडिट यूटिालाइजेशन रेश्यो (CUR) कितना है।
EMI भुगतान में चूक न हो, इसके लिए क्या करें?
- रिमाइंडर या ऑटोमेटिक पेमेंट सेट करें, ताकि आप समय पर EMI का भुगतान कर सकें।
- आर्थिक संकट के समय EMI भरने के लिए एक “इमरजेंसी फंड” बनाए रखें।
- यदि आपके पास अतिरिक्त धनराशि है, तो EMI का बोझ कम करने के लिए “पूरा या आंशिक प्रीपेमेंट” करें। हालांकि ध्यान रखें कि फिक्स्ड ब्याज दरों पर लिए गए पर्सनल लोन पर प्रीपेमेंट या फोरक्लोजर चार्जे़स लग सकते हैं।
- EMI की तारीख पर “अपने खाते में पर्याप्त बैलेंस” रखना सुनिश्चित करें, ताकि बाउंस चार्ज न लगे।
- किसी वित्तीय परेशानी का सामना करने पर अपने बैंक व एनबीएफसी से “लोन रिस्ट्रक्चर“ या “लोन अवधि बढ़ाने“ के बारे में पूछे, ताकि EMI की राशि कम हो सके।
EMI भुगतान में चूक होने के बाद क्या करें?
- सबसे पहले, अपनी बकाया राशि को जल्द से जल्द चुकाएं। कुछ उधारदाता फाइनेंशियल इमरजेंसी के कारण भुगतान में चूक होने पर “लोन रिस्ट्रक्चर” या “शॉर्ट टर्म ग्रेस पीरियड” का ऑप्शन देते हैं।
- अपने लोन EMI और क्रेडिट कार्ड बिल का समय पर भुगतान करें। बार-बार भुगतान में चूक होने से बचने के लिए ऑटो-डेबिट या रिमाइंडर सेट करें।
- नियमित रूप से अपना क्रेडिट रिपोर्ट व स्कोर चेक करते रहें। रिपोर्ट में किसी तरह की गलती मिलने पर ब्यूरो को रिपोर्ट करें और सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाएं।