एरिअर क्या है ?
सैलरी में एरिअर एक ऐसा पेमेंट है, जिसका भुगतान पहले किया जाना चाहिए था। जब किसी कर्मचारी की सैलरी में बढ़ोतरी होती है, लेकिन राशि का भुगतान बाद की तारीख में किया जाता है, तो उसे ही ‘एरियर’ या ‘बकाया’ कहा जाता है।
अगर कोई पेमेंट निश्चित तिथि को नहीं किए जाते, तो उनका भुगतान दी गई अवधि के अंत में किया जाता है। पहली बकाया पेमेंट के बाद के सभी पेमेंट को मिलाकर कुल पेमेंट किया जाता है।
एरिअर की कैलकुलेशन
आप अपने एरिअर की राशि को आसानी से कैलकुलेट कर सकते हैं I
उदाहरण के लिए, मान लें मार्च महीने में आपकी सैलरी 10000 रु. प्रति माह थीI अप्रैल के महीने में आपके वेतन में 5000 रु. की वृद्धि की गईI किसी अन्य कारण से आपके सामने यह राशि जून के महीने में परिलक्षित होती है। इसलिए, जून के महीने में 15,000 रु. के बढ़े हुए वेतन के साथ, अप्रैल और मई महीने के लिए 10,000 रु.की राशि का बकाया आपके खाते में जमा किया जाएगा। इसलिए, जून के महीने में, आपको आपकी सैलरी के तौर पर प्राप्त कुल राशि 25,000 रु.(15,000 रु.+ 5,000 रु.+ 5,000 रु.) होगी।
एरिअर पेमेंट और एडवांस पेमेंट में अंतर
एरिअर भुगतान और एडवांस भुगतान के बीच का अंतर हम इस प्रकार से समझ सकते हैं :-
एरिअर पेमेंट | एडवांस पेमेंट |
एरियर का भुगतान सेवा प्रदान किए जाने के बाद किया जाता है।वेतनभोगी कर्मचारियों के संदर्भ में, जब कोई कर्मचारी अपनी सेवा कंपनी को दे देता है, तब उसे एरिअर दिया जाता है। | सेवा प्रदान किए जाने से पहले ही जब पेमेंट की जाती है, तो इसे एडवांस पेमेंट कहा जाता है। किराया एडवांस पेमेंट का सबसे अच्छा उदाहरण है क्योंकि इसे महीने के शुरूआत में दिया जाता है। |
भुगतान के अन्य उदाहरणों में बकाया के रूप में पोस्टपेड फोन सेवा, पोस्टपेड बिजली बिल, संपत्ति कर आदि शामिल हैं। | एडवांस में किए गए भुगतानों के अन्य उदाहरणों में बीमा प्रीमियम, प्रीपेड फोन सेवा, पट्टा आदि शामिल है। |
पेरोल और एरिअर
पेरोल के संदर्भ में एरिअर का मतलब कर्मचारी द्वारा किसी काम को पूरा करने के बाद उसका भुगतान करने से है।
उदाहरण के लिए, अगर कोई कंपनी 1-15 जनवरी की वेतन अवधि के लिए 20 जनवरी को अपने कर्मचारियों को भुगतान करती है, तो ऐसे में कर्मचारियों को काम पूरा करने के बाद उनके पेचेक प्राप्त होते हैं, इसलिए कंपनी के द्वारा उन्हें जो भुगतान किया गया, उसे एरिअर माना जाएगाI
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एरिअर सैलरी में इनकम टैक्स
किसी भी तरह के टैक्स का कैलकुलेशन पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान प्राप्त कुल आय पर किया जाता है। ITR फाइल करते समय यदि आपकी कुल आय में वर्तमान वित्त वर्ष में भुगतान किए गए किसी भी पिछले बकाये को शामिल किया गया है, तो इसमें आपको ज्यादा टैक्स का भुगतान करना पड़ सकता है। ऐसे में टैक्स के बोझ से बचने के लिए आप टैक्स कानून की धारा 89 (1) के तहत राहत प्राप्त कर सकते हैं।
दूसरे शब्दों में, यदि आपके पेमेंट में देरी हुई है और आप उस वर्ष के लिए कम टैक्स के ब्रैकेट में थे, तो आपको अधिक टैक्स का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है I इसके लिए आपको फॉर्म 10ई में अपने वर्तमान नियोक्ता को अपने सैलरी एरिअर से संबंधित जानकारी देनी होगी।
इस बात को एक उदाहरण के साथ भी समझा जा सकता है :-
क्रम संख्या | विवरण | राशि |
1 | वित्तीय वर्ष 2018-2019 के लिए कुल आय पर देय कर (बकाया सहित) | रु. 40,000 |
2 | वित्तीय वर्ष 2018-2019 के लिए कुल आय पर देय कर (बकाया को छोड़कर) | रु. 20,000 |
3 | (1) और (2) के अनुसार देय कर के बीच का अंतर | रु. 20,000 |
4 | वित्तीय वर्ष 2015-2016 से 2017-2018 के लिए कुल आय पर देय कर (बकाया सहित अलग से) | रु. 84,000 |
5 | वित्तीय वर्ष 2015-2016 से 2017-2018 के लिए कुल आय पर देय कर (बकाया को छोड़कर) | रु. 66,000 |
6 | (4) और (5) के अनुसार देय कर के बीच का अंतर | रु. 18,000 |
7 | (3) और (6) के अनुसार राहत की राशि | रु. 2,000 |
कर्मचारी A को वर्ष 2015-2016, 2016-2017 और 2017-2018 के लिए वित्तीय वर्ष 2018-2019 में एरियर वेतन के रूप में 3 लाख रु .मिले।
मान लें उस में से उन्होनें 20,000 रु. टैक्स के रूप में चुकाए होंगे। लेकिन बकाया राशि को शामिल करने के बाद, उसका टैक्स बढ़कर 40,000 रु. हो जाता है।
इसके अलावा, मान लें कि कर्मचारी A ने वित्तीय वर्ष 2015-2016, 2016-2017 और 2017-2018 के लिए क्रमशः 21,000 रु., 22,000 रु.और 23,000 रु.के टैक्स का भुगतान किया है। यदि उन्हें उस वर्ष में आय प्राप्त हुई होती, जिस वर्ष वे देय थे, तो कर देयता क्रमशः 26,000 रु., 28,000 रु.और 30,000 रु. होती। इस डेटा का उपयोग करके, कर्मचारी के लिए उपलब्ध टैक्स कटौती को कैलकुलेट किया जा सकता है।
हालांकि अगर वर्तमान टैक्स, पिछले टैक्स से कम होता है तो इसमें धारा 89 (1) के प्रावधान लागू नहीं होंगें। दूसरे शब्दों में अगर कर्मचारी से कोई अतिरिक्त टैक्स नहीं लिया जा रहा तो धारा के अंतर्गत उन्हें कोई राहत नहीं मिलेगी।
अपने एरिअर पर टैक्स कैसे बचाएँ ?
एरिअर मिलने पर आपके इनकम टैक्स की स्थिति में भी बदलाव होता है। आपका टैक्स स्लैब अधिक हो सकता है, क्योंकि सरकार इसे हर साल बदलती है।
इनकम टैक्स में रिलीफ का लाभ उठाने के लिए फॉर्म 10ई भरना अनिवार्य है। आइए जानते हैं कि फॉर्म 10E को कैसे भरते हैं-
फॉर्म 10 E कैसे भरें ?
फॉर्म 10 E भरने के लिए आपको नीचे दिए गए तरीकों का पालन करना होगा-
स्टेप 1 : 10E फ़ाइल करने के लिए www.incometaxindiaefiling.gov.in पर जाएं।
स्टेप 2: अपने पैन कार्ड डिटेल और पासवर्ड डालकर लॉग इन करें।
स्टेप 3: सफलतापूर्वक लॉग इन करने के बाद पेज के ऊपर में दिए गए ‘e-file’ विकल्प पर क्लिक करें।
स्टेप 4: अब ड्रॉप डाउन मेन्यू से ‘इनकम टैक्स फॉर्म’ का ऑप्शन चुनें।
स्टेप 5: अब फॉर्म 10E को सिलेक्ट करें
स्टेप 6 : – अब, आगे जारी रखने के लिए असेस्टमेंट ईयर और सबमिशन मोड चुनें।
स्टेप 7: अब एक नया पेज दिखाई देगा I इस पेज पर पहले टैब में महत्वपूर्ण निर्देश और सुझाव होंगे जैसे फॉर्म 10E को कैसे भरें कैसे सेव करें आदि।
स्टेप 8: दूसरे टैब में, आपको नाम, पता, पैन नंबर, आदि जैसे बेसिक डिटेल्स पहले से ही भरे हुए मिलेंगे। ड्रॉप-डाउन मेनू से रेज़िडेंशियल स्टेटस चुनें I
स्टेप 9 :इसके बाद आपको कुछ जानकारियां जैसे सैलरी एरिअर या प्रोविडेंट फंड का प्रीमैच्योर विड्रॉल पेंशन कम्यूटेशन, रोजगार की समाप्ति पर प्राप्त मुआवजा, 5-15 वर्षों की सेवा के लिए ग्रेच्युटी भुगतान में राहत, और 15 साल से अधिक की सेवा के लिए ग्रैच्युटी के लिए राहत जैसी जानकारियां भरनी होंगी।
स्टेप 10: अपना फॉर्म वेरिफाई करें और सबमिट बटन का चयन करें।
स्टेप 11: गलती नज़र आने पर ‘edit’ पर क्लिक करेंI
स्टेप 12 : अपने फॉर्म की PDF कॉपी ज़रूर सबमिट करें
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सम्बंधित प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1. फॉर्म 10E क्या होता है ?
उत्तर: वित्त वर्ष 2014-15 (असेस्मेंट ईयर 2015-16) से आयकर विभाग ने धारा 89 (1) के तहत रिलीफ क्लेम करने के लिए फॉर्म 10E जमा करना अनिवार्य कर दिया है।
प्रश्न 2. क्या मुझे अपने एम्प्लायर के पास फॉर्म 10ई जमा करने की आवश्यकता है?
उत्तर: आपका नियोक्ता/एम्प्लायर आपके टैक्स को समायोजित करने और टैक्स रिलीफ की अनुमति देने से पहले फॉर्म 10ई जमा करने के लिए कह सकता है। इस फॉर्म को अपने एम्प्लायर के पास जमा करना अनिवार्य नहीं है।
प्रश्न 3. वेतन का भुगतान एरिअर में क्यों किया जाएगा ?
उत्तर: एरिअर में भुगतान करने से पेरोल को कैलकुलेट करना आसान हो जाता है, खासतौर पर वो भी तब, जब किसी कंपनी ने कर्मचारियों को कमीशन दी है। यही कारण है कि अधिकांश छोटे व्यवसाय के मालिक अपनी टीम को एरिअर के रूप में भुगतान करते हैं।
प्रश्न 4. अकाउंटिंग के अंतर्गत एरिअर में भुगतान करने का क्या मतलब है?
उत्तर: बकाया में भुगतान करना केवल पेरोल पर लागू नहीं होता है- इसका मतलब यह भी है कि वस्तुओं या सेवाओं को प्राप्त करने के बाद आप उनका भुगतान करते हैं। यदि आप एक विक्रेता के साथ काम करते हैं जो आपको 60 दिनों की भुगतान अवधि देता है, तो आपको एरिअर में बिल दिया जाएगा, क्योंकि आपके पास प्राप्त वस्तुओं के लिए भुगतान करने के लिए 60 दिन हैं। इसका मतलब है कि आप सामान या सेवाओं को प्राप्त करने के बाद विक्रेता को भुगतान करते हैं, इसलिए आप एरिअर में भुगतान कर रहे हैं।
प्रश्न 5. मैं सैलरी एरिअर को कैलकुलेट कैसे कर सकता हुं?
उत्तर: आप अपने एम्प्लायर द्वारा दिए गए एरियर दस्तावेज से अतिरिक्त वेतन या एरियर की राशि प्राप्त कर सकते हैं। आपको कुल वेतन, में से एरिअर घटाना होगा, जिसे आपके फॉर्म 16 से लिया जा सकता है।
प्रश्न 6. वेतन में एरियर कटौती क्या होती है ?
उत्तर: यदि वेतन को पिछले महीने से संशोधित किया जाता है, तो कर्मचारी को एरियर का भुगतान किया जाता है। एरिअर को अलग से कैलकुलेट किया जाता है और जिस तारीख से वेतन बढ़ाया जाता है, उसे ‘प्रभावी तिथि’ कहा जाता हैI
प्रश्न 7. क्या वेतन का भुगतान एरिअर या एडवांस में किया जा सकता है ?
उत्तर: आमतौर पर वेतन शायद ही कभी एडवांस के तौर पर दिया जाता है। अपना काम पुरा करने के बाद कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है।