बोनस भुगतान क्या है
बोनस भुगतान किसी कर्मचारी को उसकी रेगुलर सैलरी के अलावा दी जाने वाली अतिरिक्त राशि होती है। कंपनी/ संगठन आमतौर पर इसे कर्मचारियों या टीम का आभार जताने के लिए तब प्रदान करते हैं जब उन्होंने किसी विशेष लक्ष्य को पूरा किया हो। कर्मचारी को मोटिवेट करने और उसकी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए भी बोनस का भुगतान किया जाता है। आपकी बेसिक सैलरी और बोनस को मिलाकर आपकी वार्षिक आय तैयार होती है। इसलिए आपको यह जानना बेहद ज़रूरी है कि ये एक दूसरे से कैसे संबंधित हैं।
बोनस भुगतान कैसे दिया जाता है
बोनस अलग- अलग प्रकार के होते हैं, लेकिन आमतौर पर, वे किसी कर्मचारी की परफॉर्मेंस के आधार पर प्रदान किए जाते हैं। अधिकांश तरह के बोनस डिस्क्रेशनरी होते हैं, यानि कंपनी/ नियोक्ता के द्वारा दिए जाने वाले ऑफर लैटर में इनकी जानकारी नहीं दी जाती है और ये पूरी तरह से आपके मैनेजर पर निर्भर करता है। ये किसी कर्मचारी को तब प्रदान किए जाते हैं जब वह कंपनी/ संस्थान में अपने निर्धारित काम से अलग कोई काम करता है। वहीं नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस के बारे में आमतौर पर कर्मचारी के ऑफर लैटर या कॉन्ट्रैक्ट में बताया जाता है।
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पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, 1965
भारत में एक कानून है जिसके तहत कर्मचारियों को बोनस के भुगतान की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। इस कानून का नाम है, पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, 1965।
पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट ऐसे हर फैक्ट्री और संगठन पर लागू होता है जिसमें 20 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं। एक्ट के अंतर्गत आने वाले सभी संगठनों को बोनस का भुगतान करना जारी रखना होगा, भले ही कर्मचारियों की संख्या बाद में 20 से कम हो जाए। अधिनियम के बारे में अधिक जानकारी नीचे दी गई है:
पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट, 1965 |
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उद्देश्य | कंपनी/ संस्थान के कर्मचारियों को उनकी प्रोडक्टिविटी के हिसाब से अर्जित प्रॉफिट को शेयर करके रिवॉर्ड प्रदान करने के लिए |
इनके लिए लागू | ऐसा हर फैक्ट्री और संगठन जिसमें 20 या इससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं |
योग्यता | वे कर्मचारी जिनको हर महीने ₹ 21,000 या इससे कम मिलते हों (बेसिस + महंगाई भत्ता (DA), अन्य अलाउंस को छोड़कर) और उस वित्त वर्ष में 30 दिन काम कर लिया हो |
बोनस के घटक | बोनस पेमेंट के लिए सैलरी में बेसिक और महंगाई भत्ता शामिल होता है और अन्य भत्ते (जैसे- HRA, ओवरटाइम आदि) शामिल नहीं होते |
न्यूनतम/ अधिकतम बोनस भुगतान और समय सीमा | 8.33% की न्यूनतम दर और 20% की अधिकतम दर पर भुगतान किया जाना चाहिए। अकाउंटिंग ईयर के बंद होने के 8 महीनों के अंदर इसका भुगतान हो जाना चाहिए |
बोनस का डिस्क्वालिफिकेशन | धोखाधड़ी, दुर्व्यवहार और ऐसी ही किसी स्थिति उत्पन्न करने पर कर्मचारी को डिसमिस कर दिया जाता है और उनको बोनस भी नहीं मिलता है |
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सैलरी में बोनस की कैलकुलेशन
वर्ष 2015 में पेमेंट ऑफ बोनस एक्ट में हुए संशोधन के मुताबिक, यदि कर्मचारी की कुल कमाई 21,000 रुपये से कम होती है तो कंपनी/ नियोक्ता को बोनस का भुगतान करना होता है। बोनस कैलकुलेट करने की जानकारी नीचे दी गई है:
- यदि सैलरी 7,000 रुपये या उससे कम है, तो दिए गए फॉर्मूला के ज़रिए वास्तविक राशि पर बोनस की कैलकुलेशन की जाएगी: बोनस = सैलरी x 8.33 / 100
- यदि सैलरी 7,000 रुपये से अधिक है तो इस फॉर्मूले का उपयोग करके बोनस की कैलकुलेशन की जाएगी: बोनस= 7,000 x 8.33/100
नोट: सैलरी: बेसिक सैलरी + महंगाई भत्ता (DA)
उदाहरण:
1. यदि A की सैलरी (बेसिक + DA) 6,000 रु. है, तो बोनस होगा: 6,000 x 8.33 / 100 = 500 रु. प्रति माह (6,000 रु. प्रति वर्ष)
2. यदि B की सैलरी (बेसिक + DA) 7,500 रु. है, तो बोनस होगा: 7,000 x 8.33 / 100 = 583 रु. प्रति माह (6,996 रु. प्रति वर्ष)
बोनस के प्रकार
कुछ बोनस हर तीन महीने में और कुछ एक साल में प्रदान किए जाते हैं। वहीं कुछ साल में एक बार और कुछ एक से ज्यादा बार भी प्रदान किए जाते हैं। यह सब इस पर निर्भर करता है कि आपका रोल क्या है, आप किस लेवल पर हैं, आप कंपनी/ संस्थान में क्या योगदान करते हैं, आपका नेतृत्व कैसा है, और आप किस तरह की कंपनी के लिए काम करते हैं, आदि। कुछ सामान्य प्रकार के बोनस नीचे दिए गए हैं-
वार्षिक बोनस | स्पॉट बोनस |
यह बोनस आमतौर पर किसी कंपनी की ओवरऑल परफॉर्मेंस पर आधारित होता है। आपकी कंपनी/ संस्थान उस साल कितना सफल रहा और साथ ही आपका उस सफलता में कितना बड़ा योगदान था, इसके आधार पर भी आपको कम या ज्यादा बोनस मिल सकता है। इसे ‘प्रॉफिट शेयरिंग’ के रूप में भी माना जा सकता है। | स्टॉट बोनस उन लोगों के लिए है जो कंपनी/ संस्थान में अपने निर्धारित काम से अलग कोई काम करते हैं। यह आम तौर पर एक ही बार दिया जाता है, लेकिन बजट, प्राथमिकताओं और कार्य कुशलता के आधार पर एक से ज्यादा बार भी दिया जा सकता है। |
साइनिंग बोनस | रिटेंशन बोनस |
जब आप किसी नए काम की शुरुआत करते हैं तो यह वन- टाइम बोनस प्रदान किया जाता है। कंपनियां आमतौर पर साइनिंग बोनस तब ऑफर करती हैं जब किसी कर्मचारी को नौकरी के लिए नए शहर में जाना होता है और जिसके लिए कंपनी कुछ कॉस्ट को कवर करना चाहती हैं। | रिटेंशन बोनस कुछ हद तक साइनिंग बोनस के समान ही होता है और वैल्यूएबल कर्मचारियों को कंपनी में टिके रहने के लिए दिया जाता है। यह आम तौर पर अधिग्रहण, मर्जर के दौरान प्रदान किए जाते हैं। इसके अलावा जब कोई कर्मचारी कंपनी छोड़कर जाना चाहता है तो उसे अतिरिक्त समय के लिए रोकने के लिए इस बोनस का भुगतान किया जाता है। |
रेफरल बोनस | हॉलिडे बोनस |
जब कंपनी/ संस्थान के मौजूदा कर्मचारी किसी खाली पद के लिए किसी योग्य व्यक्ति को रेफर करते हैं तो उन्हें रेफरल बोनस दिया जाता है। इसका भुगतान आम तौर पर तब किया जाता है जब उस उम्मीदवार को नौकरी मिल जाती है और कंपनी में कुछ महीने (आमतौर पर 3-6 महीने) नौकरी करता है। | कर्मचारियों को उनकी कड़ी मेहनत और उन्हें आगे के लिए मोटिवेट करने के लिए हॉलिडे बोनस का भुगतान किया जाता है। यह बोनस अक्सर प्रदान किया जाता है लेकिन ये हमेशा आपकी सालाना सैलरी का निर्धारित प्रतिशत नहीं होता है (कभी 5% तो कभी 10% तक)। |
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संबंधित प्रश्न (FAQs)
प्रश्न. बोनस कैलकुलेट करने के लिए सैलरी के किन घटकों का उपयोग किया जाता है?
उत्तर: बोनस कैलकुलेट करने के लिए केवल बेसिक सैलरी और महंगाई भत्ते (DA) का ही उपयोग किया जाता है।
प्रश्न. बोनस की कैलकुलेशन कैसे की जाती है?
उत्तर: 8.33% की न्यूनतम दर और 20% की अधिकतम दर के साथ, जब सैलरी 7,000 रुपये या सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम सैलरी से अधिक हो तो बोनस 7,000 रु. या सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम सैलरी पर देय होगा, जो भी अधिक हो।
प्रश्न. यदि कोई कर्मचारी वित्त वर्ष पूरा होने से पहले कंपनी/ संस्थान छोड़ देता है तो बोनस कैसे तय किया जाता है?
उत्तर: जब कर्मचारी वित्त वर्ष पूरा होने से पहले कंपनी/ संस्थान छोड़ देता है, तो उसे प्रो- राटा बेसिस पर बोनस का भुगतान किया जाता है।
प्रश्न. क्या बोनस सैलरी का ही हिस्सा होते हैं?
उत्तर: बोनस को आमतौर पर आपकी बेस सैलरी के प्रतिशत के रूप में कैलकुलेट किया जाता है। इसका मतलब है कि बेस सैलरी अधिक होने से अधिकांश कंपनियों में आपको दिया जाने वाला बोनस भी अधिक होगा।
प्रश्न. सैलरी में स्टॉक बोनस क्या होता है?
उत्तर: स्टॉक बोनस प्लान के ज़रिए कोई कंपनी अपने कर्मचारियों की ओर से उनके अकाउंट में शेयर कंट्रीब्यूट करती है जिससे कि कर्मचारी के रिटायरमेंट के लिए कुछ एसेट जमा हो सके।
प्रश्न. बोनस पर टैक्स कैसे लगाया जाता है?
उत्तर: जैसा कि बोनस पर इनकम टैक्स लागू होता है, इसलिए वे केवल आपकी आय में नहीं जोड़े जाते हैं और आपकी टॉप मार्जिनल टैक्स रेट पर टैक्स लागू होता है। इसके बजाय, आपका बोनस सप्लीमेंटल इनकम (रेगुलर इनकम से अतिरिक्त इनकम) के रूप में गिना जाता है और 22% फ्लैट रेट पर फेडरल विदहोल्डिंग के अधीन होता है।