डिस्क्रेशनरी बोनस क्या होता है?
डिस्क्रेशनरी बोनस पूरी तरह से कंपनी/ नियोक्ता पर निर्भर करता है। इन बोनस के लिए योग्य कैसे बनें, इसके बारे में कोई निर्धारित दिशा-निर्देश नहीं हैं।
डिस्क्रेशनरी बोनस वेरिएबल सैलरी का ही एक प्रकार है। यह बोनस तब दिया जाता है जब कंपनी/नियोक्ता के पास बोनस देने की कोई वजह होती है, जैसे कि- कंपनी ने अपने आर्थिक लक्ष्यों को पूरा कर लिया है, या किसी कर्मचारी की अच्छी परफॉर्मेंस के बाद उसे रिवॉर्ड के रूप में ये बोनस दिया जाता है।
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डिस्क्रेशनरी और नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस के बीच अंतर
डिस्क्रेशनरी बोनस के विपरीत, नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस में पहले से ही कुछ योग्यता शर्तें निर्धारित होती हैं जिन्हें कर्मचारी को पूरा करना होता है। कंपनी /नियोक्ता पहले से ही ये शर्तें निर्धारित करता है और कर्मचारी अगर इन शर्तों को पूरा करता है तब ही उसे बोनस मिल सकता है। इसका एक उदाहरण इंसेंटिव पे प्लान है जो किसी कर्मचारी को प्रोडक्टिविटी बढ़ाने या उसकी अच्छी परफॉर्मेंस के लिए प्रदान किया जाता है। डिस्क्रेशनरी और नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस के बीच अन्य अंतर नीचे टेबल में बताए गए हैं।
डिस्क्रेशनरी बोनस | नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस |
डिस्क्रेशनरी बोनस नियोक्ता/ कंपनी के विवेक पर निर्भर करता है | नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस पहले से ही निर्धारित किए गए परफॉर्मेंस के मानदंडों पर आधारित होते हैं |
इस बोनस का ज़िक्र कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट/ ऑफर लैटर में नहीं होता है | बोनस की जानकारी कर्मचारियों के कॉन्ट्रैक्ट/ ऑफर लैटर में दी जा सकती है |
बोनस प्राप्त करने के लिए परफॉर्मेंस अच्छी होनी चाहिए और भुगतान किए गए बोनस की राशि कम- ज्यादा हो सकती है | कर्मचारियों को पता होता है कि उन्हें अपना बोनस प्राप्त करने के लिए क्या और कितना काम करना पड़ेगा |
डिस्क्रेशनरी बोनस के मामले में कर्मचारियों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि उन्हें अच्छी परफॉर्मेंस के लिए बोनस मिलेगा | इसके तहत अगर आप योग्यता शर्तों को पूरा करते हैं तो कानूनी रूप से बोनस प्राप्त करने के लिए योग्य हो सकते हैं, भले ही इससे कंपनी/ नियोक्ता के फाइनेंस पर दवाब पड़ रहा हो। |
डिस्क्रेशनरी बोनस के प्रकार
डिस्क्रेशनरी बोनस प्रदान करने के पीछे कई वजहें हो सकती हैं। कुछ कारण नीचे दिए गए हैं:
- कर्मचारी किसी चुनौतीपूर्ण या कठिन परिस्थिति में काम पूरा कर लेता है
- जब कर्मचारी कंपनी/ संस्थान में अपने निर्धारित काम से अलग कोई काम करता है
- जब कर्मचारी कोई ऐसा काम करता है जिसके लिए अन्य निर्धारित मानदंडों के अंतर्गत रिवॉर्ड नहीं मिलता है
- अगर कर्मचारी किसी नए कर्मचारी को रेफर करता है
- जब कर्मचारी छुट्टियों के दौरान भी काम करता है और इस काम को नोटिस किया जाता है।
1. रेफरल बोनस
जब कंपनी/ संस्थान के मौजूदा कर्मचारी किसी खाली पद के लिए किसी योग्य व्यक्ति को रेफर करते हैं तो उन्हें रेफरल बोनस दिया जाता है। यह बोनस डिस्क्रेशनरी होता है और इसका भुगतान आम तौर पर तब किया जाता है जब नीचे दी गई शर्तों को पूरा किया जाता है:
- अगर कर्मचारी ने अपनी इच्छा से ही रेफरल प्रोग्राम में हिस्सा लिया है
- अगर नए कर्मचारी के रिक्रूटमेंट की प्रक्रिया में कर्मचारी का अधिक समय नहीं लगेगा।
2. रिटेंशन बोनस
किसी कंपनी का मर्जर, रीस्ट्रक्चर या पुनर्गठन हो रहा होता है या वह किसी महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट को पूरा करना चाह रही है, तो यह कभी- कभी अपने बेस्ट कर्मचारियों को रिटेंशन बोनस प्रदान करती है जिससे कंपनी/ संस्थान में प्रोजेक्ट के खत्म होने तक पर्याप्त कर्मचारी रहें। जब कोई कर्मचारी कंपनी छोड़कर जाना चाहता है तो उसे अतिरिक्त समय के लिए रोकने के लिए भी इसका भुगतान किया जाता है।
3. हॉलिडे बोनस
कंपनी/ नियोक्ता कुछ विशेष अवसरों पर कर्मचारियों को हॉलिडे बोनस प्रदान कर सकते हैं। यह बोनस कैश में हो सकता है या किसी गिफ्ट के रूप में भी हो सकती है।
हालांकि, अगर हॉलिडे बोनस अक्सर प्रदान किया जाता है, तो यह नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस और कॉन्ट्रैक्चुअल बन सकता है। हॉलिडे बोनस तभी नॉन- डिस्क्रेशनरी होता है जब वह नीचे दी गई शर्तों को पूरा करता है:
- निश्चित है और क्लीयर है
- उचित और निष्पक्ष है
- समय के साथ रेगुलर प्रैक्टिस बन गया है यानी अक्सर प्रदान किया जाता है
- कर्मचारियों को पता होता है कि बोनस मिलेगा
- कर्मचारियों के लिए सिलसिलेवार ढंग से लागू किया गया है।
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डिस्क्रेशनरी बोनस की कैलकुलेशन
नियोक्ता/ कंपनी इस आधार पर कि कितनी फंडिंग मौज़ूद है, डिस्क्रेशनरी बोनस के लिए निर्धारित राशि प्रदान कर सकते हैं। वे विभिन्न फ़ार्मूला का उपयोग करके डिस्क्रेशनरी बोनस को कैलकुलेट कर सकते हैं:
- सेल्स परसेंटेज: कर्मचारी के कुल सेल्स के आंकड़ों को एक निश्चित राशि से मल्टीप्लाई करें।
- प्रति सेल बोनस: कर्मचारी द्वारा की जाने वाली सेल्स के नंबर से बोनस राशि को कैलकुलेट करें।
- डेज़िग्नेटेड सम डिवाइडेड: बोनस के लिए कुल राशि निर्धारित करें, और इसे कर्मचारियों की संख्या से विभाजित करें।
- कितने घंटे काम किया है, उनकी संख्या: प्रत्येक कर्मचारी के कुल घंटे जोड़ें, आउर्ली रेट यानी प्रति घंटे की दर निर्धारित करने के लिए कुल बोनस को घंटों की कुल संख्या से विभाजित करें और इस दर को प्रत्येक कर्मचारी के काम किए गए घंटों की संख्या से मल्टीप्लाई करें।
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संबंधित प्रश्न (FAQs)
प्रश्न. ओवरटाइम कैलकुलेट करते समय क्या डिस्क्रेशनरी बोनस को शामिल किया जाता है?
उत्तर: डिस्क्रेशनरी बोनस को आपके ओवरटाइम पे कैलकुलेशन में शामिल नहीं किया जाता है।
प्रश्न. क्या वार्षिक बोनस डिस्क्रेशनरी होते हैं?
उत्तर: वार्षिक यानी कि जिन्हें साल के अंत में प्रदान किया जाता है, वे बोनस तब नॉन- डिस्क्रेशनरी होते हैं जब कर्मचारियों को पहले से जानकारी होती है कि उन्हें ये मिल सकता है। वहीं वार्षिक बोनस डिस्क्रेशनरी है, इसके लिए ज़रूरी है कि नियोक्ता/कंपनी की तरफ से कहीं भी इसका ज़िक्र नहीं किया गया है कि कुछ लक्ष्य पूरे करने पर बोनस का भुगतान किया जाएगा। हालांकि, अगर नियोक्ता हर साल वार्षिक बोनस देता है, तो नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस पे को उतने समय के लिए जितना बोनस द्वारा कवर किया गाया है, नॉन- एग्ज़ेम्प्ट कर्मचारियों की ओवरटाइम सैलरी में शामिल किया जाना चाहिए।
प्रश्न. नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस कौन- कौनसे होते हैं?
उत्तर: नॉन- डिस्क्रेशनरी बोनस में हायरिंग बोनस, इंसेंटिव पे प्लान, अटेंडेंस बोनस, अच्छा और सही काम करने पर मिलने वाला बोनस आदि शामिल हैं।
प्रश्न. मुझे डिस्क्रेशनरी बोनस क्यों मिला?
उत्तर: डिस्क्रेशनरी बोनस किसी कर्मचारी को तब प्रदान किया जाता है जब वह कंपनी/ संस्थान में अपने निर्धारित काम से अलग कोई काम करता है। कई कंपनियां एक साल में एक या दो बार डिस्क्रेशनरी बोनस देती हैं, लेकिन कानून में ऐसा करने के लिए कोई बाध्यता नहीं है।
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