पे स्केल कैसे काम करते हैं
पे स्केल किसी भी कंपनी/ संस्थान के लिए महत्वपूर्ण बिज़नेस प्लानिंग टूल हैं, जिससे कि वो अपने बजट के मुताबिक नए लोगों को हायर कर सकें। इसके साथ ही पे स्केल से कंपनी में ट्रांसपेरेंसी बनी रहती है जिससे कर्मचारियों को अपनी वैल्यू का पता चलता है और कंपनी जॉइन करने से पहले उन्हें अंदाज़ा रहता है कि उनको कितनी सैलरी मिल सकती है।
हालांकि किसी भी उद्योग के भीतर कोई भी कंपनी पे-स्केल स्थापित कर सकती है, लेकिन सार्वजनिक क्षेत्र के भीतर ऐसा स्थिरता को बनाए रखने और निजी क्षेत्र के साथ प्रतिस्पर्धा के लिए किया जाता है। पे स्केल से नए कर्मचारियों को पता चलता है कि उनकी कमाई कंपनी में कहाँ तक जा सकती है। कर्मचारियों को यह जानने से लाभ होता है कि किसी कंपनी के भीतर करियर ग्रोथ कितनी है और सैलरी कितनी है जिससे वे अपने करियर के लिए अधिक प्रभावी ढंग से भविष्य की योजना बना सकते हैं।
पे स्केल को कौनसे कारक प्रभावित करते हैं?
हालांकि पे स्केल को कई कारक प्रभावित कर सकते हैं जैसे- एक कर्मचारी की पे स्केल में क्या जगह है। कंपनियां/ नियोक्ता अक्सर नए और मौजूदा कर्मचारियों के लिए मुआवजे के उचित निर्धारण के लिए कुछ मानक निर्धारित करते हैं ताकि वे कंपनी के पदानुक्रम को समझ सकें और यह यकीन कर सकें कि उन्हें उनके पद और योग्यता के हिसाब से उचित सैलरी दी गई है। पे स्केल बनाते समय कंपनी/ संस्थान आमतौर पर कुछ कारकों पर विचार करती हैं:
इंडिविजुअल इंडस्ट्री
अलग- अलग इंडस्ट्री के भीतर सर्विसेज़ और प्रोडक्ट की जितनी और जिस तरह की ज़रूरत होती है उतनी ही ज़रूरत वहां कर्मचारियों और उनके स्किल्स की होती है। अधिक मांग वाले और उच्च शिक्षा की ज़रूरत वाली सेवाओं या उच्च कौशल की ज़रूरत वाले प्रो़डक्शन के लिए नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को अधिक भुगतान किया जाता है।
क्षेत्र में अनुभव
जितना ज्यादा समय आप एक ही फील्ड में काम करेंगे, आपका एक्सपीरियंस उतना ही एडवांस होगा। इससे किसी कंपनी के लिए आपकी वैल्यू भी बढ़ती है क्योंकि आपकी स्किल्स से आपकी प्रोडक्टिविटी सकारात्मक रूप से प्रभावित होती है, और आप अपनी विशेषज्ञता से कम-अनुभव वाले सहकर्मियों की मदद कर सकते हैं।
ज़िम्मेदारी का स्तर
अनुभव और ज़िम्मेदारी अक्सर एक्- दूसरे से संबंधित होते हैं। किसी कंपनी/ संस्थान में जब आप एंट्री- लेवल पोज़ीशन पर जॉइन करते हैं तो आपके पास अक्सर कम ज़िम्मेदारियां होती हैं और इसलिए, पे स्केल भी कम होता है। वहीं जिस व्यक्ति का कंपनी में 15 साल का अनुभव है तो वह एक लीडर की भूमिका में होगा और उसके पास ज़िम्मेदारी भी अधिक होगी।
शैक्षणिक योग्यता
कभी-कभी शिक्षा और ट्रेनिंग किसी भी व्यक्ति के अनुभव की कमी को पूरा कर देती है । जब आप किसी नई कंपनी या संस्थान को जॉइन करते हैं तो अपनी उच्च शैक्षणिक योग्यता से आप अधिक सैलरी प्राप्त कर सकते हैं। एडवांस शैक्षणिक डिग्री से आपको किसी कंपनी/ संस्थान में या उसी कंपनी के भीतर अधिक सैलरी या उच्च पद हासिल करने में मदद मिल सकती है और आपको उसी भूमिका में दूसरों से अलग कर सकती है।
एडवांस्ड ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन
एक बार जब आप कंपनी को जॉइन कर लेते हैं, तो ट्रेनिंग कोर्स में भाग लेने या एडवांस सर्टिफिकेट प्राप्त करने से आपकी स्किल्स को वैलिडेशन मिलेगी और इससे कंपनी/ नियोक्ता को लगेगा कि आप अपनी नौकरी के प्रति गंभीर हैं। अगर आपके पास नौकरी का कोई अनुभव नहीं है तो ट्रेनिंग और सर्टिफिकेशन के ज़रिए आप उच्च पद के लिए योग्य हो सकते हैं।
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मार्केट बेस्ड पे स्केल
मार्केट बेस्ड पे स्केल की स्ट्रक्चर इस बात से निर्धारित होती है कि इंडस्ट्री में अन्य कंपनियां/ नियोक्ता अपने कर्मचारियों को कितना भुगतान करते हैं। मार्केट- बेस्ड पे स्केल हाल के वर्षों में सबसे अधिक लोकप्रिय रही है। यह इस रिसर्च पर आधारित होती है कि अन्य कंपनियां उसी पद के लिए कितना भुगतान कर रही हैं।
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बेसिक पे और ग्रेड पे के बीच अंतर
मान लीजिए किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी 15,600 रु.- 36,900 रु. के बीच है और ग्रेड पे 5.400 रु. है
इसका मतलब है कि किसी भी समय बेसिक पे इन्हीं राशि के बीच तय किया जाएगा। बेसिक पे जॉइन करने के शुरुआती वर्ष में 15,600 रु. और सैलरी में बढ़ोतरी होने के बाद यह 16,230 रु. और अगली बार सैलरी में वृद्धि के बाद यह 18,800 रु. होगा, आदि ।
अब इस बेसिक पे और महंगाई भत्ते (DA) में ग्रेड पे को जोड़कर ग्रॉस सैलरी बनाई जाती है। हर राज्य सरकार का DA अलग होता है. मान लीजिए यह 25,000 रु. है,
तो, मासिक वेतन = बेसिक पे + ग्रेड पे + डीए = 15600+ 5400+25000 = 46,000 रु.।
महंगाई भत्ता (DA), हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और ट्रांसपोर्ट अलाउंस (TA) की मौजूदा दर क्या है
महंगाई भत्ता (DA) | 17% |
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) | बेसिक पे की 8%, 16%, 24% (हकदारी के मुताबिक) |
ट्रांसपोर्ट अलाउंस (TA) | ₹900, ₹1350, ₹1800, ₹3600, ₹7200 (हकदारी के मुताबिक) |
पे लेवल 6 के लिए न्यूनततम ग्रॉस सैलरी की कैलकुलेशन
आइए इसे एक उदाहरण की मदद से समझते हैं। मान लीजिए मिस्टर XYZ बिहार में एबीसी कंपनी में काम करता है और उसकी बेसिक सैलरी 35,400 रु. है। यहां उसकी सैलरी के अन्य घटक हैं:
- बेसिक सैलरी: 35,400 रु.
- महंगाई भत्ता (DA): 6,018 रु. (बेसिक सैलरी का 17%)
- हाउस रेंट अलाउंस: 8,496 रु. (24% / X शहर)
- ट्रैवल अलाउंस: 4,212 रु. (लेवल-6/ए1 शहर)
- ग्रॉस सैलरी: 54,126 रु.
- एनपीएस के लिए कटौती: 4,142 रु.
- इन- हैंड सैलरी / नेट सैलरी: 49,984 रु.
यहां 7वें पे मैट्रिक्स लेवल 6 (35,400 रु. – 1,12,400 रु.) के लिए कुल न्यूनतम मासिक सैलरी की कैलकुलेशन है (6वां सीपीसी ग्रेड पे- 4,200 रु.) –
पे लेवल 6 के लिए न्यूनतम ग्रॉस सैलरी की कैलकुलेशन | |
लेवल और GP | लेवल-6 (GP-4200) |
लोकेशन | बिहार (अन्य शहर) |
बेसिक पे | ₹35,400 |
महंगाई भत्ता (DA) | ₹6,018 (बेसिक पे का 17%) |
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) | ₹2,832 (8% / अन्य शहर) |
ट्रांसपोर्ट अलाउंस (TA) | ₹2,106 (लेवल-6 / अन्य शहर) |
कुल | ₹46,356* |
*एचआरए और टीए के लिए शहरों और कस्बों के वर्गीकरण की लिस्ट में ‘Y’शहरों और अन्य स्थानों में नियुक्त व्यक्ति की न्यूनतम सैलरी।
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केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए 7वें वेतन आयोग का पे स्केल
सरकारी कर्मचारी जो 7वें वेतन आयोग के तहत आते हैं
रक्षा कर्मचारियों के लिए पे स्केल
स्ट्रक्चर | राशि |
रक्षा कर्मचारियों के लिए मिनिमम ग्रेड पे | ₹5,400 |
पे बैंड | ₹15,600 |
मिलिट्री सर्विस पे | ₹6,000 |
किट मेंटेनेंस | ₹500 |
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए पे स्केल
स्ट्रक्चर | राशि |
पे स्केल | ₹29,900 से ₹1,04,400 हर महीने |
ग्रेड पे | ₹5,400 से ₹16,200 हर महीने |
प्रोबेशनरी ऑफिसर के लिए पे स्केल
स्ट्रक्चर | राशि |
बेस सैलरी | ₹27,865 |
महंगाई भत्ता (DA) | ₹10,839 |
हाउस रेंट अलाउंस (HRA) | ₹2,786 |
कुल मासिक सैलरी | ₹41,490 |
कमर्शियल क्लर्क या कमर्शियल सुपरिटेंडेंट के लिए पे स्केल
पोस्ट | पिछला भुगतान | 7वें वेतन आयोग का पे स्केल |
कमर्शियल क्लर्क | ₹6,500 प्रति माह | ₹9,300 प्रति माह |
कमर्शियल सुपरिटेंडेंट | ₹6,500 से ₹10,500 प्रति माह | ₹9,300 से ₹34,800 प्रति माह |
सीनियर कमर्शियल क्लर्क | ₹4,000 से ₹6,000 | ₹5,200 से ₹20,200 प्रति माह |
7वें वेतन आयोग के तहत जज पे स्केल
पोस्ट | पे स्केल प्रति माह |
हाई कोर्ट जज | ₹80,000 प्रति माह |
सुप्रीम कोर्ट जज | ₹90,000 प्रति माह |
हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस | ₹90,000 प्रति माह |
सुप्रीम कोर्ट का चीफ जस्टिस | ₹1 लाख प्रति माह |
जूनियर डिस्ट्रिक्ट जज | ₹12,000 प्रति माह |
सीनियर डिस्ट्रिक्ट जज | ₹21,000 प्रति माह |
सुपर टाइम स्केल डिस्ट्रिक्ट जज | ₹24,000 प्रति माह |
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संबंधित प्रश्न (FAQs)
प्रश्न. मैं अपनी नई सैलरी को कैसे कैलकुलेट करूंगी?
उत्तर: सातवें वेतन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, नीचे दिए गए निर्देशों का पालन करके कोई भी अपनी कुल सैलरी/ पे पैकेज को कैलकुलेट कर सकता है:
- ग्रेड पे के साथ आपके पे बैंड के साथ बेसिक पे की राशि को दर्ज करें
- 7वें सीपीसी की सिफारिशों के मुताबिक, अपना ट्रांसपोर्ट अलाउंस, शहर और अपने वर्तमान हाउस रेंट अलाउंस का प्रतिशत चुनें
- अंतिम स्टेप में, ”Calculate” बटन पर क्लिक करें। अब आपको सातवें वेतन आयोग के मुताबिक आपकी सैलरी की संशोधित राशि प्रदान की जाएगी। साथ ही आपको संशोधित एचआरए, कन्वेयंस अलाउंस, इंडेक्स लेवल आदि भी प्राप्त होगा।
प्रश्न. नए पे मैट्रिक्स में कौन- कौनसे कारक शामिल किए गए थे?
उत्तर: एंट्री लेवल के कर्मचारियों के लिए सामान्य पे स्ट्रक्चर, ट्रांसपेरेंट पे स्ट्रक्चर, वर्तमान ग्रेड पे स्ट्रक्चर का रैशनलाइजेशन और संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति की फ्रीक्वेंसी में बढ़ोतरी कुछ ऐसे कारक हैं जिन्हें नए पे मैट्रिक्स में शामिल किया गया है।
प्रश्न. पे स्केल को कैसे कैलकुलेट किया जाता है?
उत्तर: 7वें सीपीसी के अनुसार अपनी सैलरी को कैलकुलेट करना आसान है। मौज़ूदा बेसिक पे को 2.57 के फैक्टर से मल्टीप्लाई करके सैलरी प्राप्त की जाती है और प्राप्त आंकड़े को सभी लागू अलाउंस जैसे ट्रांसपोर्ट अलाउंस (टीए), हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए), मेडिकल अलाउंस, आदि में जोड़ा जाएगा।
प्रश्न. पे लेवल 1 के लिए न्यूनतम इन- हैंड सैलरी कितनी होती है?
उत्तर: पे मैट्रिक्स लेवल 1 के लिए न्यूनतम मासिक ग्रॉस सैलरी 23,913 रु. है जिसका 17% महंगाई भत्ता, 8% हाउस रेंट अलाउंस और ट्रांसपोर्ट अलाउंस और बेसिक सैलरी 18,000 रु. होती है।
प्रश्न. नए पे मैट्रिक्स के क्या लाभ हैं?
उत्तर: नए पे मैट्रिक्स का प्राथमिक लाभ यह है कि ग्रेड पे को समाहित कर दिया गया है और लेवल्स को अधिक युक्तिसंगत बनाया गया है। केंद्र सरकार के कर्मचारी अपने पे लेवल को चेक कर सकती हैं और अपने करियर के दौरान अपनी संभावित बढ़ोतरी को निर्धारित करने के साथ-साथ अपने मौज़ूदा स्टेटस का निर्धारण कर सकती हैं।