इनकम टैक्स रिफंड वह प्रक्रिया है जिसमें इनकम टैक्स विभाग द्वारा उस टैक्स देने वाले को वो टैक्स वापस दिया जाता है जो उसने वित्तीय वर्ष (Financial year) के दौरान ज़्यादा भर दिया था। इनकम टैक्स एक्ट 1961 की धारा 237 के अनुसार, टैक्स देने वाला व्यक्ति अधिक भुगतान की गई राशि के लिए रिफंड का दावा कर सकते हैं। सभी इनकम टैक्स रिफंड क्लेम के वैरीफिकेशन के बाद ही इनकम टैक्स विभाग द्वारा रिफंड मिलता है।
यदि कोई टैक्स देने वाला समय पर सभी निवेश के प्रमाण जमा नहीं कर पाता है, तो उस स्थिति में प्रस्तुत किए गए निवेशों के प्रमाण के आधार पर टैक्स कट जाता है, चाहें वास्तविक निवेश अधिक हो। इन स्थितियों में, जो अधिक टैक्स कट गया है सरकार से उसकी वापसी क्लेम की जा सकती है। इनकम टैक्स विभाग आपको आयकर अधिनियम की धारा 254 के तहत किसी अन्य बकाया टैक्स राशि के बदले इनकम टैक्स रिफंड को एडजस्ट करने की सुविधा भी देता है।
कैसे करें इनकम टैक्स रिफंड क्लेम
इनकम टैक्स रिफंड क्लेम करने का तरीका निम्नलिखित है:
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- इनकम टैक्स ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अपनी इनकम टैक्स रिफंड ऑनलाइन फाइल करें.
- जब आप अपने डिजिटल हस्ताक्षर के साथ ऑनलाइन रिफंड दाखिल करते हैं तो आपको एक रिफरेंस नंबर मिलता है.
- आप ऑनलाइन जनरेट किए गए ITR-V फॉर्म पर भी हस्ताक्षर करइसे तय समय में इनकम टैक्स केंद्र में जमा कर सकते हैं (रिफंड फाइलिंग के 120 दिनों के) आमतौर पर, इनकम टैक्स रिफंड दाखिल करने की तय तारीख 31 जुलाई है, जब तक कि इनकम टैक्स विभाग द्वारा बढ़ाया नहीं जाता है.
- रिफंड प्रोसेस होने तक प्रतीक्षा करें.
- ITR फाइल करने के बाद, इनकम टैक्स विभाग, रिफंड की जांच करेगा और कार्रवाई करेगा.
- भारतीय स्टेट बैंक के माध्यम से भी इनकम टैक्स रिफंड क्लेम प्रोसेस किये जाते हैं.
- रिफंड के भुगतान का तरीका इनकम टैक्स रिफंड फाइल में आपके द्वारा दी गयी जानकारी पर आधारित होता है.
- यह ESS (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम) से या डिमांड ड्राफ्ट या चेकसे हो सकता है.
- यदि आप ESS (इलेक्ट्रॉनिक क्लियरिंग सिस्टम) से रिफंड क्रेडिट चुनते हैं, तो इनकम टैक्स रिफंड फाइल में बैंक खाता न०, बैंक शाखा और IFSC कोड जैसी सभी आवश्यक जानकारी देना जरूरी है.
- यदि आप डिमांड ड्राफ्ट या चेक से रिफंड क्रेडिट चुनते हैं, तो इसे ITR फ़ाइल में लिखे आपके पते पर भेज दिया जाएगा।
- आमतौर पर, ITR ई-फाइलिंग की तारीख से रिफंड क्रैडिट में लगभग 3-6 महीने लग सकते हैं.
- यदि रिफंड ऑफलाइन भरे जाते हैं तो इसमें अधिक समय लग सकता है.
- यदि आपका टैक्स रिफंड रिकॉर्ड कहता है कि आपने अधिक भुगतान किया है, तो अधिक भुगतान की गई राशि के लिए अलग से रिफंड क्लेम करना होगा.
- यह जरुरी है कि यह अधिक टैक्स भुगतान आपके टैक्स क्रेडिट स्टेटमेंट फॉर्म 26AS में दिखे तभी आपको रिफंड मिलेगा.
इनकम टैक्स रिफंड स्टेटस ऑनलाइन कैसे ट्रैक करें
यदि 6 महीने के भीतर आपको टैक्स रिफंड नहीं मिलता है, तो NSDL वेबसाइट पर लॉग –इन करें। इनकम टैक्स रिफंड का स्टेटस/स्तिथि ट्रैक करने के लिए अपना पैन और अन्य जानकारियां भरें।
यदि स्टेटस – ‘refund had expired’ है तो-
- ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग-इन करके रिफंडको पुन जारी करने का अनुरोध करें.
- यदि रिफंड ऑफलाइन फाइल किया गया था, तो अपने इनकम टैक्स निर्धारणअधिकारी (income tax assessing officer) से संपर्क करें.
यदि स्टेटस ‘refund had returned’ है तो
- पते पर भेजे गए रिफंड चेक या डिमांड ड्राफ्ट को वापसकिया गया है या ESS के लिए दिए गए बैंक खाते की जानकारी गलत हैं.
- ऐसे मामलों में आपको फिर रिफंड के लिए अपने इनकम टैक्स निर्धारण अधिकारी (income tax assessing officer)से संपर्क करना चाहिए.
- ई-फाइलिंग के मामले में, अपने ई-फाइलिंग खाते में फिर से रिफंड करने के लिए अनुरोध करें.
यदि स्टेटस ‘refund paid’ है तो
- यह बैंकों के तरफ से की गई देरी हो सकती है.
- अपने खाता नंबर, IFSC कोड और अन्य जानकारी सही ढंग से भर कर चैक करें। अन्य के लिए SBI के संबंधित विभाग से संपर्क करें.
यदि स्टेटस ‘no demand no refund’ है तोआपका रिफंड क्लेम हो चुका है, लेकिन इनकम टैक्स विभाग ने (तथ्यों और परिस्थितियों की जांच के बाद) पाया है कि अधिक टैक्स का भुगतान नहीं किया गया था।ऐसे मामलों में आप निवेश के सभी प्रमाण जमा कर सुधार के लिए फॉर्म 16 फाइल कर सकते हैं।रिफंड क्लेम करने का एक और तरीका है, फॉर्म 30। फॉर्म 30 एक रिफंड रिक्वेस्ट फॉर्म है जिसे इनकम टैक्स विभाग को जमा करना होता है। फॉर्म 30 वित्तीय वर्ष (Financial Year) के अंत तक जमा किया जा सकता है। रिफंड क्लेम को वैरीफाई करने के लिए आपको निवेश प्रमाण और अन्य दस्तावेजों को भी जमा करना होगा।
इनकम टैक्स रिफंड के लिए योग्यता शर्तें
निम्नलिखित स्तिथियों में आप इनकम टैक्स रिफंड फाइल कर सकते हैं
- यदिआपने ज़्यादा टैक्स का भुगतान कर दिया है
- यदि आपकीकम्पनी द्वारा या आपके बैंक द्वारा (TDS) पर टैक्स काटा गया है, जो कि वास्तविक टैक्स से अधिक है
- यदि वित्तीय वर्ष के लिए आपकी टैक्स25,000 रु. बन रहा है और आपकी कम्पनी द्वारा काटा गया TDS 30,000 रु. है, तो आप अधिक राशि के लिए रिफंड क्लेम कर सकते हैं
- जब आप समय पर निवेशों की जानकारी नहीं दे पाते हैं, तो आप इनकम टैक्सविभाग को सबूत देने के बाद ही निवेश की घोषणा करने के बाद रिफंड क्लेम कर सकते हैं
- दोहरा कराधान (Double Taxation) – कुछ ऐसे देश हैं जिनका भारत सरकार से दोहरे कराधान से बचाव का समझौता हुआ है। उदाहरण के लिए, मान लें कि आप विदेश (जिसके साथ भारत में दोहरे कराधान का समझौता है) में काम कर रहे एक NRI (अप्रवासी भारतीय) हैं। आप किसी भारतीय बैंक में NRO (अनिवासी साधारण) जमा करते हैं और ऐसे निवेशपर लागू स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगाया जाएगा। बैंक आपके खाते में ब्याज जमा करने से पहले TDS काट लेते हैं। अब, यदि आप विदेशी देश के निवासी हैं तो आप अपने NRO पर भारत में काटे गए TDS पर रिफंड क्लेम कर सकते हैं।
इनकम टैक्स रिफंड क्लेम करने की समय सीमा
इनकम टैक्स वर्ष की अंतिम तिथि से एक वर्ष के भीतर ही रिफंड क्लेम किया जा सकता है। हालांकि, कुछ मामलो में इनकम टैक्स अधिकारियों को अधिकार होता है कि समय सीमा के बाद फाइल किए गए क्लेम पर विचार करें।नियम व शर्तें
- यदि लेटरिफंड के मामलों की दोबारा जांच हो तो इनकम टैक्स अधिकारी इस पर फिर से विचार कर सकते हैं.
- देरी से किए गए क्लेम के भुगतान पर कोई ब्याज नहीं दिया जाएगा.
- 6 वर्ष पूरे होने के बाद किया क्लेम मान्य नहीं है.
- रिफंड राशि एक वर्ष के लिए 50 लाख रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए.
विशेष मामलों में इनकम टैक्स रिफंड
इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 238 के तहत, यदि कोई व्यक्ति या उसका कानूनी प्रतिनिधि मृत्यु, दिवालिया,या किसी अन्य कारण से टैक्स रिफंड क्लेम नहीं करता तो वो इस रिफंड का हकदार है।यदि व्यक्ति की इनकम किसी अन्य व्यक्ति की इनकम से जोड़ी जाती है तो ऐसे मामलें मे केवल प्रमुख व्यक्ति को ही रिफंड पाने का हक होगा।
अपील पर इनकम टैक्स रिफंड
इनकम टैक्स अधिनियम 1961 की धारा 240 के अनुसार, अगर किसी इनकम टैक्स अधिकारी द्वारा ही रिफंड अपील हो तो टैक्स देने वाले की ओर से अपील करने की जरूरत नहीं होगी।यदि मूल्यांकन (Assesment) कैंसिल होने पर नए तरीके से मूल्यांकन हो रहा है तो इस दशा में भी अपील की जरूरत नहीं है।
लेट इनकम टैक्स रिफंड भुगतान पर ब्याज
इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 244A के तहत, यदि रिफंड भुगतान में कोई देरी हो तो इनकम टैक्स विभाग को 6% प्रति वर्ष की दर से ब्याज़ देना होगा।रिफंड राशि पर ब्याज़ की गणना टैक्स के भुगतान की तारीख से लेकर रिफंड के वास्तविक भुगतान की तारीख तक की जाती है।उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति असेसमेंट वर्ष 2016-17 के लिए 5,000 रु. के रिफंड का क्लेम करता है और रिफंड का भुगतान मार्च 2017 के महीने में आपको किया गया, तो रिफंड पर अप्रैल 2016 से मार्च 2017 तक ब्याज़ लगेगा।यह नोट करना आवश्यक है कि ब्याज केवल तभी दिया जाता है जब टैक्स रिफंड की राशि आपके द्वारा दिये गये टैक्स के 10% से अधिक हो।अगर देरी टैक्स देने वाले की ओर से हो तो इस देरी के लिए ब्याज का भुगतान इनकम टैक्स विभाग द्वारा नहीं किया जाएगा।
बकाया टैक्स के बदले इनकम टैक्स रिफंड काटना
इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 245 के तहत, इनकम टैक्स अधिकारी बकाया टैक्स के बदले इनकम टैक्स रिफंड काट सकते हैं। इनकम टैक्स विभाग बकाया टैक्स के बदले काटे गए टैक्स की सूचना रिफंड क्लेम के समय ही भेज देता है।
इनकम टैक्स रिफंड हेल्पलाइन
कभी कभी इनकम टैक्स रिफंड क्लेम करने में मुश्किल हो सकती है। इस को आसान बनाने के लिए इनकम टैक्स विभाग ने अपनी ग्राहक सेवा शुरू की है। करदाता इनकम टैक्स रिफंड, पुन: जारी करने और उसमें सुधार से संबंधित प्रश्नों के लिए इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं। इनकम टैक्स रिफंड हेल्पलाइन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी निम्नलिखित है:
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- संपर्क नम्बर: 18001034455 (टोल-फ्री)
- कार्य दिवस: सोमवार से शुक्रवार
- कार्य समय: 10:00 बजे से 00 बजे तक
रिफंड के बारे में कुछ आवश्यक बातें
ई-फाइलिंग में एक छोटी सी गलती आपके रिफंड अनुरोध को रद्द ये उसमें देरी कर सकता है। कुछ महत्वपूर्ण बिंदु निम्नलिखित हैं:
- यदि आप इनकम टैक्स रिफंड के जल्द से जल्द आने की उम्मीद कर रहे हैं, तो अपने रिफंड को तय तारीख़ से पहले ई-फाइल करें.
- अपना इनकम टैक्स रिफंडफाइल करने के लिए सही टैक्स फॉर्म चुनें
- सुनिश्चित करें कि टेक्स क्रेडिट स्टेटमेंट फॉर्म, फॉर्म 26AS और फॉर्म 16 की जानकारी समान है.
- यदि टैक्स क्रेडिट की जानकारी 26AS में सही ढंग से नहीं दिखती, तो इनकम टैक्स विभाग आपके क्लेम को अस्वीकार कर सकता है.
- आपकी कम्पनी या बैंक द्वारा पैन आदि की गलत जानकारी भरने से मिसमैच की स्थिति बन सकती है.
- यह टैक्स काटने वाले के द्वारा सरकार को TDSजमा करने में देरी के कारण रिफंड में देरी हो सकती है.
- गलत बैंक खाता न०भरने पर रिफंड मिलना मुश्किल हो जाता है। इसलिए हमेशा सही-सही जानकारी भरें.
- इनकम टैक्स विभाग रिफंड का भुगतान अब सीधे करदाता के बैंक खाते में जमा करता है.
इनकम टैक्स विभाग आपके ई-फाइलिंग लॉग-इन के साथ इनकम टैक्स रिफंड के स्टेटस को ऑनलाइन ट्रैक करने की सुविधा देता है। इनकम टैक्स रिफंड के स्टेटस को ऑनलाइन ट्रैक से फाइलिंग में हुई गलतियों में सुधार करने में मदद मिलती है। इनकम टैक्स विभाग सभी जानकारियों को वैरीफाई करने के बाद रिफंड देता है
संबंधित सवाल
प्रश्न. मैं कब से इनकम टैक्स रिफंड पाने के योग्य हूँ?
उत्तर: यदि आपने चालू वित्तीय वर्ष (Financial year) में अपने वित्तीय दायित्व से अधिक टैक्स का भुगतान किया है तो आप सरकार से इनकम टैक्स रिफंड पाने के योग्य हैं। आपकी रिफंड राशि की गणना ITR फाइल करने के समय की जाएगी।
प्रश्न. अगर मैं इनकम टैक्स रिफंड चाहता हूं तो क्या टैक्स फाइलिंग जरूरी है?
उत्तर: हाँ. यदि आप वित्तीय वर्ष (Financial year) के दौरान भुगतान किए गए अधिक टैक्स के लिए रिफंड क्लेम करना चाहते हैं, तो इनकम टैक्स रिफंड फाइल करना अनिवार्य है। यदि आप लागू अवधि के लिए अपना ITR फाइल नहीं कर पाते तो आपको कोई इनकम टैक्स रिफंड नहीं मिलेगा।
प्रश्न. मुझे अपना इनकम टैक्स रिफंड कैसे मिलेगा और कब?
उत्तर: सभी ITR फॅार्म में एक फ़ील्ड होती है जिसमें आपको खाता नंबर, बैंक IFSC आदि सहित अपने बैंक आदि की जानकारी भरना जरूरी होता है। इन जानकारियों का उपयोग ऑनलाइन ट्रांसफर से आपके बैंक खाते को क्रेडिट करने के लिए किया जाता है। जब आपके इनकम टैक्स रिफंड और क्लेम को इनकम टैक्स अधिकारी वैरीफाई कर लेता है तब आपका रिफंड क्रेडिट हो जाता है।
प्रश्न. मेरे रिफंड में सरकार द्वारा देरी की गई। क्या इस देरी के लिए कोई मुआवजा है?
उत्तर: हाँ, सरकार या अधिकारियों द्वारा किसी भी देरी के लिये आप इनकम टैक्स रिफंड पर ब्याज माँग सकते है। आप लागू टैक्स वर्ष के 1 अप्रैल से उस तारीख तक 6% प्रति वर्ष के हिसाब से ब्याज प्राप्त कर सकतें है। जो कि इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 मे दिए गए नियमों के आधीन है।
प्रश्न. अपने इनकम टैक्स रिफंड फाइल का स्टेटस कैसे ट्रैक कर सकते हैं?
उत्तर: अपने इनकम टैक्स रिफंड फाइल का स्टेटस ट्रैक करने के लिए सबसे अच्छी जगह TIN वेबसाइट है। इस वेबसाइट पर स्टेटस ट्रैक करने के लिए आवश्यक जानकारी में करदाता का पैन और निर्धारण वर्ष (Assesment Year) भरना है।
प्रश्न. क्या मुझे अपनी इनकम टैक्स रिफंड पर टैक्स का भुगतान करना होगा?
उत्तर: नहीं! सभी इनकम टैक्स रिफंड के साथ-साथ रिफंड के ब्याज (यदि लागू हो) पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।