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प्रोफेशन टैक्स एक इन-डायरेक्ट टैक्स होता है जो उन लोगों पर लगता है जो या तो एक पेशेवर, नौकरीपेशा है या व्यापार टैक्सता है। इनकम टैक्स को केंद्रीय सरकार द्वारा लागू किया जाता है लेकिन प्रोफेशन टैक्स राज्य सरकार या केंद्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा लगाया जाता है। अधिकतर भारत के राज्य प्रोफेशन टैक्स लगते हैं लेकिन सारे नहीं। कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्य प्रोफेशन टैक्स लगाते हैं वहीँ दिल्ली और हरयाणा में ऐसा कोई टैक्स लागू नहीं होता है।
क्योंकि ये टैक्स राज्य द्वारा लगाया जाता है, इसलिए हर राज्य में ये अलग-अलग होता है। जहाँ कुछ राज्य इस टैक्स को प्रतिशत के हिसाब से लागू करते हैं वहीँ, कुछ राज्य इस टैक्स के रूप में निर्धारित रकम लागू करते हैं। भारत के प्रमुख राज्यों में प्रोफेशन टैक्स के रेट्स निम्नलिखित हैं:
| राज्य | आय प्रति माह | टैक्स दर/टैक्स राशि (प्रति माह) |
| आंध्र प्रदेश | 15,000 रु. से कम | शून्य |
| 15000 रु. से 20,000 रु. तक | 150 रु. | |
| 20,000 रु. और उससे ज्यादा | 200 रु. | |
| गुजरात | 5,999 रु. तक | शून्य |
| 6000 रु. से 8999 रु. तक | 80 रु. | |
| 9000 रु. से 11999 रु. तक | 150 रु. | |
| 12000 रु. और उससे ज्यादा | 200 रु. | |
| कर्नाटक | 15,000 रु. तक | शून्य |
| 15,001 रु. से | 200 रु. | |
| करेला (अर्धवार्षिक आय स्लैब और अर्धवार्षिक टैक्स भुगतान) | 11,999 रु. तक | शून्य |
| 12,000 रु. से 17,999 रु. तक | 120 रु. | |
| 18,000 रु. से 29,999 रु. तक | 180 रु. | |
| 30,000 रु. से 44,999 रु. तक | 300 रु. | |
| 45,000 रु. से 59,999 रु. तक | 450 रु. | |
| 60,000 रु. से 74,999 रु. तक | 600 रु. | |
| 75,000 रु. से 99,999 रु. तक | 750 रु. | |
| 1,00,000 रु. से 1,24,999 रु. तक | 1000 रु. | |
| 1,25,000 रु. से | 1250 रु. | |
| महाराष्ट्र | 7,500 रु. तक | शून्य (आदमियों के लिए) |
| 10,000 रु. तक | शून्य (महिलाओं के लिए) | |
| 7,500 रु. से 10,000 रु. तक | 175 रु. (आदमियों के लिए) | |
| 10,000 रु. से ज़्यादा | 11 महीनों के लिए 200 रु. + 12वे महीने के लिए 300 रु. | |
| तेलंगाना | 15,000 रु. तक | शून्य |
| 15,001 रु. से 20,000 रु. तक | 150 रु. | |
| 20,0001 रु. से ज़्यादा | 200 रु. | |
| 5 साल तक (पेशेवर जैसे कानूनी चिकित्सक, सीए, आर्किटेक्ट आदि) | शून्य | |
| 5 साल के बाद (पेशेवर जैसे कानूनी चिकित्सक, सीए, आर्किटेक्ट, आदि) | 2,500 रु. (प्रति महिना) | |
| पश्चिम बंगाल | 10,000 रु. तक | शून्य |
| 10,001 रु. से 15,000 रु. तक | 110 रु. | |
| 15,001 रु. से 25,000 रु. तक | 130 रु. | |
| 25,001 रु. से 40,000 रु. तक | 150 रु. | |
| 40,001 और उसके ऊपर | 200 रु. |
प्रोफेशन टैक्स निन्लिखित लोगों के लिए लागू होता है:
स्वयं-रोज़गार (अपना बिज़नस करने वाले) व्यक्ति जो अपना पेशा या व्यापर खुद चलाते हैं इस प्रोफेशन टैक्स की सीमा में आते हैं। उन्हें खुद राज्य सरकार को ये टैक्स देना होता है। किसी भी राज्य / केंद्र शासित प्रदेश का कमर्शियल टैक्स विभाग नोडल एजेंसी होती है प्रोफेशन टैक्स लेती है। ये टैक्स व्यक्ति के साल की टैक्स योग्य आय पर निर्भर है और इसे सालाना या मासिक तौर पर भर सकते हैं। टैक्स भरने वालों को निर्धारित विभाग से (उस राज्य का) से एनरोलमेंट का प्रमाणपत्र लेना होता है।
हालाँकि, नौकरीपेशा व्यक्ति के मामले में, कंपनी को कर्मचारी की तनख्वा से हर महीने प्रोफेशन टैक्स काटना होता है (जो भी प्रोफेशनल टैक्स स्लैब लागू हो उसके हिसाब से) और उसे सरकार को जमा करना होता है। कंपनी को इसके लिए संबंधित विभाग से रजिस्ट्रेशन का प्रमाणपत्र लेना होता है।
किसी भी व्यक्ति पर एक फाइनेंशियल वर्ष में अधिकतम 2,500 रु. का प्रोफेशनल टैक्स लगाया जा सकता है।
आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 16(iii) के हिसाब से, कर्मचारी जो प्रोफेशन टैक्स देता है वो उसके कुल वेतन से काटा जा सकता है।
निम्नलिखित भारतीय राज्य और केंद्र शासित प्रदेश प्रोफेशन टैक्स लागू करते हैं:
*नागालैंड टैक्स विभाग के हिसाब से, राज्य में प्रोफेशनल टैक्स लागू है, लेकिन बाकी सबके मुताबिक, नागालैंड में कोई प्रोफेशनल टैक्स लागू नहीं होता है।
निम्नलिखित कुछ भारतीय राज्य और केंद्र शासित राज्य हैं जहाँ प्रोफेशनल टैक्स लागू नहीं होता है: