Paisabazaar app Today!
Get instant access to loans, credit cards, and financial tools — all in one place
Our Advisors are available 7 days a week, 9:30 am - 6:30 pm to assist you with the best offers or help resolve any queries.
Get instant access to loans, credit cards, and financial tools — all in one place
Scan to download on
आयकर अधिनियम 1939, की धारा 139, देरी से टैक्स रिटर्न भरने और विभिन्न तरह के टैक्स रिटर्न संबंधित नियमों की बात करती है। इस धारा के कई भागों में ये नियम बताए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति या इकाई देरी से रिटर्न फाइल करती है तो वो रिटर्न धारा 139 निर्देशों के तहत फाइल होगा।

धारा 139 (1) के अंतर्गत, निम्नलिखित मामलों में इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य होता है:
निम्नलिखित मामलों में, इनकम टैक्स रिटर्न भरना स्वैच्छिक होता है:
नोट: धारा 139(1C) के अंतर्गत, कुछ लोगों को टैक्स भरने से मुक्त किया जाता है। अगर ये लोग निर्धारित शर्तें पूरा करते हैं तो केंद्रीय सरकार उन्हीं टैक्स छूट देती है। धारा 139 (1C) के अंतर्गत, नोटिस जारी करने के बाद, उसे संसद के दोनों सदनों में सत्र के दौरान पेश किया जाता है। जब दोनों सदनों में पेश होने के बाद इसमें बदलाव किये जाते हैं, नोटिस अप्रभावी हो जाता है।
किसी व्यक्ति टैक्स भरने वाले के मामले में, अगर पिछले वित्तीय वर्ष में उसे कोई नुकसान होता है तो उसके लिए टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य नहीं होता है। वहीं, संगठनों और फर्मों के लिए नुकसान के लिए टैक्स भरना अनिवार्य होता है और इसके प्रावधान निम्नलिखित हैं:
टैक्स रिटर्न में नुकसान को दिखाने से टैक्स फायदा मिल सकता है। आप अगर टैक्स रिटर्न में नुकसान को अगले साल के लिए आगे ले जाते हैं तो अगले साल में अगर आपको कोई लाभ होता है तो उस लाभ को आप इस नुकसान से बराबर कर सकते हैं और इस तरह उस लाभ पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
मासिक अपना सिबिल स्कोर निशुल्क पाएं
टैक्स देने वाले को (व्यक्ति या संस्था) तय तारीख के पहले टैक्स रिटर्न भरना होता है जैसा धारा 139 (1) में बताया हुआ है, या नोटिस में दि हुई समयसीमा में जो धारा 142 (1) के अंतर्गत जारी होता है। अगर वो ऐसा करने में नाकामयाब रहते हैं, तब भिः वो पिछले सालों का टैक्स रिटर्न भर सकते हैं लेकिन ये असेसमेंट वर्ष ख़त्म होने या असेसमेंट ऑफिसर के रिपोर्ट बनाने से पहले भरना होगा अगर इनमें से कुछ भी पहले हो जाता है तो पिछले वर्ष का टैक्स रिटर्न नहीं भरा जा सकता है।
बता दें, कि अगर आपकी कमाई टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो तय तारिख के बाद भी ट्रक्स रिटर्न फाइल या नहीं फाइल करने पर कोर्र जुर्माना नहीं लगेगा।
अगर तय तारिख के बाद इनकम टैक्स रिटर्न भरा जाता है लेकिन बाद में करदाता ये एहसास होता है कि रिटर्न फाइल करने में गलती हो गयी है या कुछ छूट गया है तो उन गलतियों को ठीक करने के लिए आयकर अधिनयम के अंतर्गत धारा 139(5) में रिवाइज़्ड रिटर्न का प्रावधान दिया है। लेकिन, देर से भरा गया रिटर्न इस धारा के क्षेत्र से बाहर है और रिवाइज़्ड नहीं हो सकता।
रिवाइज़्ड रिटर्न कभी भी भरा जा सकता है वर्तमान वर्ष ख़त्म होने के एक साल के अंतर्गत अंतर्गत या असेसमेंट वर्ष के पूरा होने से पहले- जो भी पहले हो। एक तय समय के अंतर्गत कितनी बार भी टैक्स रिटर्न में बदलाव किया जा सकता है उसमें कोई भी रोक नहीं है।
बदलाव या to उसी मूल आयकर रिटर्न फॉर्म में किया जा सकता है या अलग फॉर्म में। एक बार धारा 139(5) के अंतर्गत नया रिटर्न फाइल होता हो जाता है, उसके बाद मूल रिटर्न जो धारा 139(1) के अंतर्गत हुआ था उसे वापस ले लिया जाता है और रिवाइज़्ड रिटर्न (बदला हुआ या नया) मान्य हो जाता है।
रिवाइज़्ड रिटर्न सिर्फ अनजाने में की हुई गलतियों के लिए होता है। धारा 139(5) खासतौर पर सिर्फ “चूक और गलत बयानों” के लिए है ना कि जानबूझकर छिपाई गई कमाई को अब दिखाने के लिए।
धारा 139(4a) के अंतर्गत, हर उस व्यक्ति को इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा जिसकी कमाई उस संपत्ति से आती है जो किसी संगठन या बाकी कानूनी दायित्व के अंतर्गत हो, चाहे वो संगठन धार्मिक हो या दान करता है यानि चेरीटेबल हो या संगठन का कुँच हिस्सा इस तरह की गतिविधियाँ करता हो, या आयकर अधिनियम की उप-धारा 2(24)(iia) के तहत कमाई स्वैच्छिक योगदान से आती है। अगर पूरी कमाई (बिना धारा 11 और 12 के प्रावधानों को प्रभाव में लाये हुए) टैक्स के दायरे में आती है तो टैक्स देना होगा।
धारा 139(4b) में, राजनीतिक दलों को इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है अगर उनकी पूरी आय टैक्स के दायरे में आती है। इस आय को जोड़ते समय आयकर अधिनियम धारा 13(a) के प्रावधानों को माना नहीं जाता है। सारे राजनीतिक दलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी या सचिव इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है।
धारा 139(4c) और धारा(4d) को उन संस्थाओं के लिए बनाया गया है जो आयकर अधिनियम 1961, के धारा 10 के आधार पर लाभ का दावा करती हैं।
धारा 139(4c) के अंतर्गत, उन संस्थानों के लिए है जिनकी कमाई टैक्स के दायरे में आती है और उनके लिए टैक्स भरना अनिवार्य है। इसमें बाकी टैक्स छूट के फायदे शामिल नहीं हैं जिसका संस्थाएं फायदा उठाती है।
धारा 139(4सी) के अंतर्गत टैक्स रिटर्न निम्नलिखित को भरना होता है:
जो संस्थाएं धारा 139(4c) के अंतर्गत आती हैं वो धारा 10 के निम्नलिखित अनुच्छेद के तहत टैक्स छूट के लिए दावा कर सकती हैं:
अनुच्छेद हैं: 21, 22B, 23A, 23C, 23D, 23DA, 23FB, 24, 46 और 47.
वो निवेश फंड/कम्पनियाँ जो धारा 115ub में आती हैं, जिन्हें इस धारा के किसी प्रावधान के अंतर्गत, कमाई या नुकसान के रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता नहीं है, वो धारा 139(4af) के अंतर्गत, हर पिछले वर्ष की अपनी कमाई या नुकसान का टैक्स रिटर्न फाइल कर सकती हैं।
धारा 139(9) के मुताबिक, वो टैक्स रिटर्न गलत होते हैं जिन्हें फाइल करते समय कुछ ज़रूरी दस्तावेज लगाए ना गए हों। अगर टैक्स अधिकारी द्वारा रिटर्न डिफेक्टिव घोषित कर दिया जाता है तो टैक्स देने वाले को इसकी सूचना दे दी जाती है। सूचना देने के दिन से 15 दिन के अंदर टैक्स देने वाले को इसे ठीक करना होता है। करदाता की ओर से निवेदन करने पर ये समयसीमा बढ़ाई भी जा सकती है।
अगर आप अपने टेक्स रिटर्न को डिफेक्टिव नहीं होने देना चाहते तो निम्नलिखित दस्तावेज लगाना ना भूलें:
आयकर अधिनियम 1961, की धारा 139 में अलग-अलग उप-धाराएं हैं जो कई तरह के रिटर्न से संबंधित हैं। जैसे, व्यक्ति, संगठन और संस्थाएं का टैक्स रिटर्न, देर से भुगतान और टैक्स रिटर्न गलतियाँ आदि। इसलिए, कुछ तय तारिख इस धारा के लिए निर्धारित की जिनमें व्यक्तियों और संगठनों को टैक्स रिटर्न फाइल कर देना चाहिए। ये तारिख निम्नलिखित हैं:
फॉर्म ITR 7, जो आयकर विभाग द्वारा दिया जाता है उन सारे लोगों, संस्थायों और संगठनों के लिए लागू होता है जिन्हें धारा 139(4a), 139(4b), 139(4c\) और 139 (4d) के अंतर्गत टैक्स रिटर्न भरना होता है।
टैक्स देने वाले को सुझाव दिया जाता है कि वो टैक्स स्टेटमेंट और फॉर्म 27 में टैक्स भुगतान, टैक्स माफ़ी, आदि मिलाकर देख लें। ITR 7 आईटी विभाग के साथ निम्नलिखित किसी भी तरह से भरा जा सकता है:
धारा 139(4e) – ये व्यापर संगठनों की आय के लिए रिटर्न प्रस्तुत करने के लिए है जिन्हें इस धारा के अंतर्गत किसी भी प्रावधान के लिए आय या नुकसान के लिए रिटर्न भरने की ज़रुरत नहीं होती है।
डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस तब जारी होता है जब टैक्स देने वाले ने सारी ज़रूरी जानकारी ना भरी हो या सारे दस्तावेज़ ना दिए हों जो टैक्स रिटर्न के कानून के अंतर्गत ज़रूरी हैं। जब आयकर विभाग को कोई भी दोष मिलता है, वो आयकर अधिनियम धारा 139(9) के अंतर्गत डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस जारी करते हैं। आयकर विभाग टैक्स देने वाले को जिस दिन नोटिस जारी करता है उस दिन से 15 दिन अंदर उसे गलती सुधारनी होती है।
आयकर अधनियम 1961 के धारा 139 के अंतर्गत, डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस में Error Code द्वारा गलती बताई जाती है। इसकी जानकारी निम्नलिखित है”
[/vc_column][/vc_row]