आयकर अधिनियम 1939, की धारा 139, देरी से टैक्स रिटर्न भरने और विभिन्न तरह के टैक्स रिटर्न संबंधित नियमों की बात करती है। इस धारा के कई भागों में ये नियम बताए गए हैं। अगर कोई व्यक्ति या इकाई देरी से रिटर्न फाइल करती है तो वो रिटर्न धारा 139 निर्देशों के तहत फाइल होगा।
आयकर अधिनियम 1939 की धारा 139 के भाग
धारा 139 (1) – अनिवार्य और स्वैच्छिक रिटर्न्स
धारा 139 (1) के अंतर्गत, निम्नलिखित मामलों में इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य होता है:
- प्रत्येक व्यक्ति जिसकी आय टैक्स के दायरे में आती है उसे इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है।
- कोई भी निजी, सार्वजनिक, डोमेस्टिक या विदेशी कंपनी जो भारत में बिज़नस कर रही है.
- कोई भी फर्म जिसमें, एलएलपी (लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप) या अनलिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप भी शामिल है।
- कोई भी निवासी जिसकी भारत से बाहर संपत्ति हो (इसमें किसी कंपनी/फर्म में निवेश भी शामिल है) या कोई भी निवासी जिसका भारत से बैंक खाता है। इन सब मामलों में टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य है।
- प्रत्येक HUF (हिन्दू अविभाजित परिवार) , AOP (एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन्स) और BOI (बॉडी ऑफ़ इंडिविजुअल) – अगर इन सब निकाय या संस्थाओं की आय टैक्स दायरे में आती है, उन्हें इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य है।
निम्नलिखित मामलों में, इनकम टैक्स रिटर्न भरना स्वैच्छिक होता है:
- कुछ स्तिथियों में व्यक्ति या संस्थाओं का इनकम टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य नहीं होता है। ऐसे मामलों में उनके टैक्स भरने को स्वैच्छिक रिटर्न माना जाता है, जिन्हें वैध टैक्स रिटर्न की तरह देखा जाता है।
नोट: धारा 139(1C) के अंतर्गत, कुछ लोगों को टैक्स भरने से मुक्त किया जाता है। अगर ये लोग निर्धारित शर्तें पूरा करते हैं तो केंद्रीय सरकार उन्हीं टैक्स छूट देती है। धारा 139 (1C) के अंतर्गत, नोटिस जारी करने के बाद, उसे संसद के दोनों सदनों में सत्र के दौरान पेश किया जाता है। जब दोनों सदनों में पेश होने के बाद इसमें बदलाव किये जाते हैं, नोटिस अप्रभावी हो जाता है।
2) धारा 139(3) – नुकसान के मामले में इनकम टैक्स भरना
किसी व्यक्ति टैक्स भरने वाले के मामले में, अगर पिछले वित्तीय वर्ष में उसे कोई नुकसान होता है तो उसके लिए टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य नहीं होता है। वहीं, संगठनों और फर्मों के लिए नुकसान के लिए टैक्स भरना अनिवार्य होता है और इसके प्रावधान निम्नलिखित हैं:
- अगर नुकसान “प्रोफिट्स एंड गेन्स ऑफ़ बिसनेस एंड प्रोफेशन” या “कैपिटल गेन्स” के अंतर्गत आता है। तो टैक्स रिटर्न भरना अनिवार्य होता है, अगर फर्म/कंपनी ये नुकसान अगले वर्ष के लिए आगे ले जाना चाहती है तो वो इस धारा के अंतर्गत टैक्स फाइल कर सकती है। हालाँकि, आपको तय तारिख तक टैक्स रिटर्न फाइल करना होगा।
- अगर कंपनी का नुकसान “हाउस या रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी” के अंतर्गत आता है, तो नुकसान अगले वर्ष के लिए आगे ले जाया जा सकता है भले ही फिर टैक्स रिटर्न तय तारिख के बाद भरा गया हो।
- अगर टैक्स रिटर्न में नुकसान धारा 142(1) के अंतर्गत भरा गया हो, “हाउस प्रॉपर्टी” के नुकसान के अलावा, बाकी नुकसान अगले वर्ष के लिए आगे नहीं ले जाए जा सकते। हालाँकि, ऐसे मामलों के लिए कंपनी की मशीनें या अन्य संपत्ति की कीमत कम होने के नुकसान को आगे ले जाया जा सकता है।
- अगर नुकसान को उसी साल के लिए कंपनी की किसी अन्य आय के साथ बराबर करना हो तो उसे बराबर करने की अनुमति दी जाती है भले ही रिटर्न तय तारिख के बाद भरा गया हो।
- पिछले सालों के नुकसान को आगे ले जाया जा सकता है अगर उन सालों में नुकसान का टैक्स रिटर्न तय तारिख के अंतर्गत भरा गया है और उन नुकसानों का आकलन हुआ हो।
टैक्स रिटर्न में नुकसान को दिखाने से टैक्स फायदा मिल सकता है। आप अगर टैक्स रिटर्न में नुकसान को अगले साल के लिए आगे ले जाते हैं तो अगले साल में अगर आपको कोई लाभ होता है तो उस लाभ को आप इस नुकसान से बराबर कर सकते हैं और इस तरह उस लाभ पर आपको टैक्स नहीं देना पड़ेगा।
मासिक अपना सिबिल स्कोर निशुल्क पाएं
3) धारा 139(4) – देर से इनकम टैक्स रिटर्न भरना
टैक्स देने वाले को (व्यक्ति या संस्था) तय तारीख के पहले टैक्स रिटर्न भरना होता है जैसा धारा 139 (1) में बताया हुआ है, या नोटिस में दि हुई समयसीमा में जो धारा 142 (1) के अंतर्गत जारी होता है। अगर वो ऐसा करने में नाकामयाब रहते हैं, तब भिः वो पिछले सालों का टैक्स रिटर्न भर सकते हैं लेकिन ये असेसमेंट वर्ष ख़त्म होने या असेसमेंट ऑफिसर के रिपोर्ट बनाने से पहले भरना होगा अगर इनमें से कुछ भी पहले हो जाता है तो पिछले वर्ष का टैक्स रिटर्न नहीं भरा जा सकता है।
बता दें, कि अगर आपकी कमाई टैक्स के दायरे में नहीं आती है तो तय तारिख के बाद भी ट्रक्स रिटर्न फाइल या नहीं फाइल करने पर कोर्र जुर्माना नहीं लगेगा।
4) धारा 139(5) – रिवाइज़्ड रिटर्न
अगर तय तारिख के बाद इनकम टैक्स रिटर्न भरा जाता है लेकिन बाद में करदाता ये एहसास होता है कि रिटर्न फाइल करने में गलती हो गयी है या कुछ छूट गया है तो उन गलतियों को ठीक करने के लिए आयकर अधिनयम के अंतर्गत धारा 139(5) में रिवाइज़्ड रिटर्न का प्रावधान दिया है। लेकिन, देर से भरा गया रिटर्न इस धारा के क्षेत्र से बाहर है और रिवाइज़्ड नहीं हो सकता।
रिवाइज़्ड रिटर्न कभी भी भरा जा सकता है वर्तमान वर्ष ख़त्म होने के एक साल के अंतर्गत अंतर्गत या असेसमेंट वर्ष के पूरा होने से पहले- जो भी पहले हो। एक तय समय के अंतर्गत कितनी बार भी टैक्स रिटर्न में बदलाव किया जा सकता है उसमें कोई भी रोक नहीं है।
बदलाव या to उसी मूल आयकर रिटर्न फॉर्म में किया जा सकता है या अलग फॉर्म में। एक बार धारा 139(5) के अंतर्गत नया रिटर्न फाइल होता हो जाता है, उसके बाद मूल रिटर्न जो धारा 139(1) के अंतर्गत हुआ था उसे वापस ले लिया जाता है और रिवाइज़्ड रिटर्न (बदला हुआ या नया) मान्य हो जाता है।
रिवाइज़्ड रिटर्न सिर्फ अनजाने में की हुई गलतियों के लिए होता है। धारा 139(5) खासतौर पर सिर्फ “चूक और गलत बयानों” के लिए है ना कि जानबूझकर छिपाई गई कमाई को अब दिखाने के लिए।
5) धारा 139(4a) – दान करने वाले और धार्मिक संगठनों का इनकम टैक्स रिटर्न
धारा 139(4a) के अंतर्गत, हर उस व्यक्ति को इनकम टैक्स रिटर्न भरना होगा जिसकी कमाई उस संपत्ति से आती है जो किसी संगठन या बाकी कानूनी दायित्व के अंतर्गत हो, चाहे वो संगठन धार्मिक हो या दान करता है यानि चेरीटेबल हो या संगठन का कुँच हिस्सा इस तरह की गतिविधियाँ करता हो, या आयकर अधिनियम की उप-धारा 2(24)(iia) के तहत कमाई स्वैच्छिक योगदान से आती है। अगर पूरी कमाई (बिना धारा 11 और 12 के प्रावधानों को प्रभाव में लाये हुए) टैक्स के दायरे में आती है तो टैक्स देना होगा।
6) धारा 139(4b)– राजनीतिक पार्टियों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न
धारा 139(4b) में, राजनीतिक दलों को इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है अगर उनकी पूरी आय टैक्स के दायरे में आती है। इस आय को जोड़ते समय आयकर अधिनियम धारा 13(a) के प्रावधानों को माना नहीं जाता है। सारे राजनीतिक दलों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी या सचिव इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है।
7) धारा 139(4c) और धारा 139(4d) – धारा 10 के अंतर्गत टैक्स छूट का दावा करने वाली संस्थाओं का आयकर रिटर्न
धारा 139(4c) और धारा(4d) को उन संस्थाओं के लिए बनाया गया है जो आयकर अधिनियम 1961, के धारा 10 के आधार पर लाभ का दावा करती हैं।
धारा 139(4c) के अंतर्गत, उन संस्थानों के लिए है जिनकी कमाई टैक्स के दायरे में आती है और उनके लिए टैक्स भरना अनिवार्य है। इसमें बाकी टैक्स छूट के फायदे शामिल नहीं हैं जिसका संस्थाएं फायदा उठाती है।
धारा 139(4सी) के अंतर्गत टैक्स रिटर्न निम्नलिखित को भरना होता है:
- हर एक समिति जो वैज्ञानिक रिसर्च में लगी हुई है
- संस्थाएं और समितियां जो धारा 10(23a)के अंतर्गत दी हुई हैं
- समाचार एजेंसी
- धारा 10(23b) के अंतर्गत दी हुई संस्थाएं
- विश्वविद्यालय, संस्थान, अन्य शैक्षणिक और चिकित्सा संस्थान, अस्पताल
जो संस्थाएं धारा 139(4c) के अंतर्गत आती हैं वो धारा 10 के निम्नलिखित अनुच्छेद के तहत टैक्स छूट के लिए दावा कर सकती हैं:
अनुच्छेद हैं: 21, 22B, 23A, 23C, 23D, 23DA, 23FB, 24, 46 और 47.
- धारा 139(4d) के अंतर्गत रिटर्न उन सारे कॉलेज, विश्वविद्यालय और संस्थायों पर लागू होता है जिन्हें इस धारा के तहत कमाई और नुकसान पर टैक्स रिटर्न भरने की ज़रुरत नहीं होती है। धारा 139(4d) आयकर की इन धाराओं के लिए लागू होता है: धारा 35(1)(ii) और धारा 35(1)(iii)।
8) धारा 139(4af)
वो निवेश फंड/कम्पनियाँ जो धारा 115ub में आती हैं, जिन्हें इस धारा के किसी प्रावधान के अंतर्गत, कमाई या नुकसान के रिटर्न फाइल करने की आवश्यकता नहीं है, वो धारा 139(4af) के अंतर्गत, हर पिछले वर्ष की अपनी कमाई या नुकसान का टैक्स रिटर्न फाइल कर सकती हैं।
9) धारा 139(9) – डिफेक्टिव टैक्स रिटर्न
धारा 139(9) के मुताबिक, वो टैक्स रिटर्न गलत होते हैं जिन्हें फाइल करते समय कुछ ज़रूरी दस्तावेज लगाए ना गए हों। अगर टैक्स अधिकारी द्वारा रिटर्न डिफेक्टिव घोषित कर दिया जाता है तो टैक्स देने वाले को इसकी सूचना दे दी जाती है। सूचना देने के दिन से 15 दिन के अंदर टैक्स देने वाले को इसे ठीक करना होता है। करदाता की ओर से निवेदन करने पर ये समयसीमा बढ़ाई भी जा सकती है।
अगर आप अपने टेक्स रिटर्न को डिफेक्टिव नहीं होने देना चाहते तो निम्नलिखित दस्तावेज लगाना ना भूलें:
- सही फॉर्म में द्वारा टैक्स रिटर्न भरना
- एक स्टेटमेंट में जिसमें टैक्स की जानकारी हो
- सारे भरे टैक्स का दावा करने वाले सुबूत – जैसे टैक्स माफ़ी का सुबूत, असेसमेंट वर्ष का टैक्स फाइल करने के लिए भुगतान.
- धारा 44AB के अंतर्गत जो ऑडिट हुई है उसकी रिपोर्ट, जहाँ रिटर्न भरने से पहले, रिपोर्ट बन जाती है
- अगर टैक्स देने वाला लेनदेन का हिसाब रखता है तो उसकी कॉपी.
- लाभ और नुकसान खाता, निर्माण संबंधित खाता, ट्रेडिंग खाता, बैलेंस शीट, कमाई और खर्च खाता
- पार्टनरशिप फर्मों के मामले में पार्टनर के व्यक्तिगत खाते
- AOP/ BOI के लिए, सदस्यों के व्यक्तिगत खाते
- कंपनी के मालिक के लिए, व्यक्तिगत खाता
- अगर कर देने वाले का खाता ऑडिट होता है, तब ऑडिट रिपोर्ट की कॉपी, बैलेंस शीट और ऑडिटेड होने के बाद निकला लाभ और नुकसान
- कॉस्ट ऑडिट के मामले में, प्रासंगिक रिपोर्ट
- अगर टैक्स देने वाले के पास अकाउंट बुक नहीं है तो, तब स्टेटमेंट जिसमें रसीदों का रिकॉर्ड, टर्नओवर राशि, खर्च और शुद्ध लाभ, बैंक बैलेंस, स्टॉक, नकद, देनदार और लेनदारों से संबंधित जानकारी हो.
धारा 139 के लिए तय तारीख
आयकर अधिनियम 1961, की धारा 139 में अलग-अलग उप-धाराएं हैं जो कई तरह के रिटर्न से संबंधित हैं। जैसे, व्यक्ति, संगठन और संस्थाएं का टैक्स रिटर्न, देर से भुगतान और टैक्स रिटर्न गलतियाँ आदि। इसलिए, कुछ तय तारिख इस धारा के लिए निर्धारित की जिनमें व्यक्तियों और संगठनों को टैक्स रिटर्न फाइल कर देना चाहिए। ये तारिख निम्नलिखित हैं:
- 31 जुलाई – उन सारे लोगों के लिए जिन्हें अपनी अकाउंट बुक की ऑडिट करवाने की ज़रुरत नहीं होती है उन्हें 31 जुलाई तक असेसमेंट वर्ष के लिए इनकम टैक्स रिटर्न भर देना चाहिए। इसमें निम्नलिखित व्यक्ति और संगठन शामिल हैं:
- एक व्यक्ति या कर्मचारी जिसकी तनख्वाह आती है
- एक व्यक्ति जो व्यवसाय करता है या पेशेवर है
- एक फ्रीलांसर या एक सलाहकार
- 30 सितम्बर – सारे लोग या संगठन जिनकी अकाउंट बुक की ऑडिट होती है उन्हें हर असेसमेंट वर्ष के 30 सितम्बर तक इनकम टैक्स रिटर्न भरना होता है। इस वर्ग में निम्नलिखित लोग या संगठन आ सकते हैं:
- व्यवसाय
- व्यवसाय करने वाला व्यक्ति या पेशेवर
- फर्म के साथ कम करने वाला पार्टनर या एक सलाहकार जिसे अपनी अकाउंट बुक ऑडिट करानी होती है.
धारा 139 के लिए ITR फॉर्म 7 आवश्यक है
फॉर्म ITR 7, जो आयकर विभाग द्वारा दिया जाता है उन सारे लोगों, संस्थायों और संगठनों के लिए लागू होता है जिन्हें धारा 139(4a), 139(4b), 139(4c\) और 139 (4d) के अंतर्गत टैक्स रिटर्न भरना होता है।
टैक्स देने वाले को सुझाव दिया जाता है कि वो टैक्स स्टेटमेंट और फॉर्म 27 में टैक्स भुगतान, टैक्स माफ़ी, आदि मिलाकर देख लें। ITR 7 आईटी विभाग के साथ निम्नलिखित किसी भी तरह से भरा जा सकता है:
- ऑफलाइन
- डिजिटल हस्ताक्षर का उपयोग करके इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल करना
- रिटर्न ऐसे भरना जो बार कोडेड हो
धारा 139(4e) – ये व्यापर संगठनों की आय के लिए रिटर्न प्रस्तुत करने के लिए है जिन्हें इस धारा के अंतर्गत किसी भी प्रावधान के लिए आय या नुकसान के लिए रिटर्न भरने की ज़रुरत नहीं होती है।
धारा 139(9) के अंतर्गत डिफेक्टिव रिटर्न कैसे भरते हैं?
डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस तब जारी होता है जब टैक्स देने वाले ने सारी ज़रूरी जानकारी ना भरी हो या सारे दस्तावेज़ ना दिए हों जो टैक्स रिटर्न के कानून के अंतर्गत ज़रूरी हैं। जब आयकर विभाग को कोई भी दोष मिलता है, वो आयकर अधिनियम धारा 139(9) के अंतर्गत डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस जारी करते हैं। आयकर विभाग टैक्स देने वाले को जिस दिन नोटिस जारी करता है उस दिन से 15 दिन अंदर उसे गलती सुधारनी होती है।
धारा 139(9) के अंतर्गत डिफेक्टिव रिटर्न भरने की प्रक्रिया नीचे दी हुई है-
- आयकर की वेबसाइट पर जाएंhttp://www.incometaxindiaefiling.gov.in/ और अपने यूज़र आईडी और पासवर्ड और जन्म तिथि से लॉग-इन करें.
- धारा 139(9) के अंतर्गत, नोटिस के जवाब में ई-फाइल सेक्शन पर क्लिक करिए.
- सफल सत्यापन के बाद, अगर कोई डिफेक्टिव नोटिस CPC/AO द्वारा दी गयी है, तो नयी स्क्रीन सामने आएगी.
- अपनी प्रतिकिर्या देने के लिए रेस्पोंस कॉलम के अंतर्गत, सबमिट बटन पर क्लिक करें.
- अगर कोई भी डिफेक्टिव रिटर्न AO द्वारा जारी हुआ है, तो जैसे ही आप ई-फाइल पर क्लिक करेंगे “इ-फाइल सेक्शन 139(9) के अंतर्गत नोटिस के जवाब में” एक नयी स्क्रीन सामने आएगी.
- उसके बाद ड्राप डाउन लिस्ट से ITR फॉर्म चुनें और XML फाइल लिंक करें और फिर सबमिट बटन पर क्लिक करें.
- अगर कोई डिफेक्टिव नोटिस CPC द्वारा जारी हुआ है, जैसे ही आप ई- फाइल पर क्लिक करेंगे “इ-फाइल सेक्शन 139(9) के अंतर्गत नोटिस के जवाब में” एक अलग स्क्रीन सामने आएगी.
- “हाँ”, कॉलम के अंतर्गत “क्या अप दोष के साथ सहमत हैं?” अगर आप दोष के साथ सहमत हैं तो ITR फॉर्म चुनें और XML फाइल अपलोड कर दें. अगर आप दोष के साथ सहमत नहीं हैं to “क्या अप दोष के साथ सहमत है” कॉलम में “नहीं” चुनें. ऐसे मामले में आपको निर्धारित की टिपण्णी के अंतर्गत अपनी असहमति को औचित्य साबित करना होगा.
- अगर Error Code कॉलम के अंतर्गत संख्या “31” होती है और आपने “क्या आप दोष के साथ सहमत हैं” वाले कॉलम में “नहीं” चुन लिया, तब आपको कुछ और जानकारी देनी पड़ेगी जो स्क्रीन पर पूछी जाएगी. प्रक्रिया को पूरा करने के लिए “सबमिट” पर क्लिक करें.
- सफलतापूर्वक जवाब जमा होने पर, स्क्रीन पर ‘सक्सेसफुल’ दिखाएगा.
आयकर की धारा 139 में एरर कोड
आयकर अधनियम 1961 के धारा 139 के अंतर्गत, डिफेक्टिव रिटर्न नोटिस में Error Code द्वारा गलती बताई जाती है। इसकी जानकारी निम्नलिखित है”
- Error Code 14:: जब करदाता सकल लाभ या शुद्ध लाभ में नेगेटिव राशि देता है, तब ITR दोषपूर्ण रिटर्न माना जाता है.
- Error Code 8:: जब आयकर धारा 44AD के अंतर्गत कुल आय कुल टर्नओवर से कम होती है और उसके भी करदाता ITR फॉर्म-4A भरता है तो उसे डिफेक्ट रिटर्न माना जाता है।
- Error Code 31: जब कर देने वाले की आय “व्यापर और पेशेवर लाभ” के अंतर्गत आती है, लेकिन उसने बैलेंस शीट और लाभ व नुकसान खाता नहीं भरा होता है।
- Error Code 38:: ये तब होता है जब टैक्स फाइल करते समय लिखा दिया गया हो कि टैक्स जमा करा दिया गया है लेकिन असल में ऐसा टैक्स की रकम जमा नहीं की गई हो।
[/vc_column][/vc_row]