इनकम टैक्स एक्ट 1961 के भाग VI A, इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C से 80U के तहत कुल इनकम ( ग्रॉस टोटल इंकम ) से टैक्स छूट के बारे में विस्तार से बताता है। इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80A के तहत मिलने वाली छूट करदाता की वार्षिक आय से ज़्यादा नहीं होनी चाहिए। धारा 80DDC के तहत व्यक्ति और HUF ( हिन्दू अविवाहित परिवार ) को कुछ विशेष बिमारी के लिए टैक्स छूट मिलती है। इसके तहत दीर्घकालीन पूंजी लाभ, धारा 111 A के तहत अल्पकालीन पूंजी लाभ, घोड़ो की दौड़ या लॉटरी से हुई कमाई 115BB के आधीन धारा 115 A, 115AB, 115AC, 115AD, 115BBA से मिली इनकम को ता छूट नहीं मिल सकती है।
धारा 115D के भाग VI A कई तरह के निवेश या भुगतान या निर्धारित खर्चों के संबंध में टैक्स छूट देने भाग है, इसमें दी गई कुछ विशेष जानकारियाँ निम्नलिखित हैं:
- धारा 80C : यह बहुत सारे इनवेस्टमेंट जैसे जीवन बीमा, PPF या होम लोन के लिए किए गए भुगतान, स्कूल में दी गई फ़ीस आदि के संबंध में छूट देता है। धारा 80 C के तहत टैक्स छूट की अधिकतम राशि 1,50,000 रू. होगी।
- धारा 80D: यह धारा स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के तहत किए गए प्रीमियम भुगतान के संबंध में टैक्स छूट देती है। टैक्स देने वाले या उसके परिवार की स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की भुगतान राशि के लिए अधिकतम 25000 रू. की टैक्स छूट और वरिष्ठ नागरिक की स्तिथि में अधिकतम 50,000 रू. के टैक्स छूट मिल सकती है।
- धारा 80 DD: किसी व्यक्ति या HUF द्वारा मेडिकल ट्रीटमेंट या विकलांग व्यक्ति के रखरखाव के लिए किए किसी भी खर्च के लिए अधिकतम 75000 रू. की टैक्स छूट देता है।
हर सैक्शन में छूट के रूप में कई प्रकार के खर्चों और निवेशों को शामिल किया गया है। इसमें शर्तें हैं जिन्हें टैक्स छूट के लिए पूरा करना होता है।
इस तरह किसी भी करदाता की नेट टैक्स्बल इंकम की गणना के लिए, इनकम टैक्स एक्ट 1961 के अध्याय VI(A) के तहत टैक्स छूट को समझना जरूरी है।
इसे विस्तार से जानने के लिए निम्नलिखित धारा 80DDB पढें और जानें यह किस तरह लागू होगी?
धारा 80DDB के अन्तर्गत टैक्स छूट
धारा 80DDB में रोगों या बिमारियों के संबंध में किए गए मेडिकल ट्रीटमेंट के खर्चों के लिए टैक्स छूट का प्रावधान है। यदि कोई व्यक्ति या HUF ( हिन्दू अविवाहित परिवार ) विशेष बिमारी के इलाज के लिये खर्च करता है तो धारा 80DDB के तहत उसे टैक्स छूट मिलती है। इसमें मेडीकल ट्रीटमेंट में किए गए खर्चों के लिए टैक्स छूट मिलती है ना कि मेडिकल इंश्योरेंस के प्रीमियम के लिए। मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम के लिए टैक्स छूट आयकर धारा 80D के तहत आती है।
धारा 80DDB के तहत कौन टैक्स माफ़ी क्लेम कर सकता है ?
धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट के लिए क्लेम केवल व्यक्ति या HUF ( हिन्दू अविवाहित परिवार ) द्वारा ही किया जा सकता हैं। इस धारा के तहत किसी कॉर्पोरेट या अन्य संस्थाओं द्वारा छूट नहीं क्लेम की जा सकती है। साथ ही इस टैक्स छूट को वही लोग क्लेम कर सकते हैं जो पिछले साल भारत देश के निवासी रहे हों। NRI (अप्रवासी भारतीयों) पर यह धारा लागू नहीं होगी।
धारा 80DDB के तहत किसके मेडिकल ट्रीटमेंट पर टैक्स माफ़ी का प्रावधान है ?
धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट केवल खर्च करने वाले व्यक्ति को ही मिलती है। निम्नलिखित स्तिथियों में भी व्यक्ति को छूट मिल सकती है ।
- व्यक्ति विशेष: व्यक्ति विशेष के मामले में, टैक्स छूट इसके या उस पर निर्भर (Dependent) में से किसी के मेडिकल पर खर्च के लिए क्लैम किया जा सकता है। यहाँ निर्भर (Dependent) का मतलब पति या पत्नी, उसके बच्चों, उसके माता पिता, भाई/बहनों आदि से है।
- HUF ( हिन्दू अविवाहित परिवार ): HUF के मामले में, उसके किसी भी सदस्य मेडीकल ट्रीटमेंट के खर्च को टैक्स छूट के लिए कवर किया जाएगा।
धारा 80DDB के तहत किस तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट आएंगे ?
धारा 80DDB कुछ विशेष मेडीकल ट्रीटमेंट पर किए गए खर्चों पर टैक्स छूट की सुविधा देती है। 11DD के तहत दी गई विशेष बीमारियां निम्नलिखित हैं।
- न्यूरोलॉजिकल रोग जिसकी पहचान एक विशेषज्ञ द्वारा की गई हो, जहां विकलांगता का स्तर 40% या उससे अधिक होने का प्रमाण दिया गया हो, इसमें शामिल हैं डिमेंशिया, डिस्टोनिया मस्कुलरम डिफॉर्मस , कोरिया मोटर न्यूरोन रोग, एटासिया, पार्किंसंन डिजीस और हेमबैलिस्म ।
- घातक कैंसर
- एड्स
- क्रोनिक रीनल फेलियर
- हेमोफिलिया या थैलेसीमिया जैसे हेमेटोलॉजिकल डिसऑनर
यह बड़ी बीमारियों और उनके मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए टैक्स छूट देती है। यह उन मेडिकल खर्चों के लिए टैक्स छूट नहीं देता जो बहुत समान होते हैं जैसे मोतियाबिंद या जो सेक्शन C में आते हैं ।
क्लेम के लिये जरूरी दस्तावेज
धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट का क्लेम करने के लिए मेडीकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता के सबूत देने होंगे । साथ ही यह प्रमाण भी देना होगा कि यह ट्रीटमेंट वास्तव में कराया गया है। इसके अलावा एक डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन भी आवश्यक हैं।
पहले सरकारी अस्पताल से इस तरह के प्रिस-क्रिपशन लेना जरूरी था लेकिन वर्ष 2016-17 से यह नियम बदल गए है। अब निजि अस्पताल के संबंधित विशेषज्ञों से मिले प्रिस-क्रिपशन से भी काम चल जाता है। नियम 11DD में निम्नलिखित बदलाव हुए हैं।
- न्यूरोलॉजिकल रोगों के मामले में डॉक्टर ऑफ मेडिसन इन न्यूरोलॉजिकल या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का ही प्रिस-क्रिपशन वैलिड होगा।
- मेलिग्नेट कैंसर के मामले में एक ऑन्कोलॉजिस्ट या उसके समकक्ष किसी डिग्री होल्डर डॉक्टर का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
- एड्स के मामले में सामान्य या आंतरिक चिकित्सा में पोस्ट ग्रैजुएशन डिग्री या समकक्ष डिग्री वाले किसी विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
- क्रोनिक रीनल फैलियर के मामले में भी डॉक्टर ऑफ नेफ्रोलॉजिस्ट , या मास्टर ऑफ चिरेगाइ (M.Ch) या उसके समकक्ष किसी डिग्री वाले डॉक्टर के प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
- अंतिम बिमारी हेमेटोलॉजिकल डिसऑर्डर के मामले में हेमेटोलॉजी या इसके समकक्ष डिग्री विशेषज्ञ का प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है।
मेडिकल फील्ड से जुड़े विशेषज्ञ का ही प्रिस-क्रिपशन वैलिड होता है। ध्यान रखें. कि ये सभी डॉक्टर या डिग्री होल्डर्स भारतीय चिकित्सा परिषद से मान्यता प्राप्त होने चाहिये।
अगर इलाज सरकारी अस्पताल में चल रहा है तो फुल टाइम काम कर रहे डॉक्टर और पोस्ट ग्रेजुएट डिग्री वाले विशेषज्ञो के प्रिस-क्रिपशन भी शामिल होंगे ।
प्रिस-क्रिपशन में क्या होना चाहिए?
पहले प्रिस-क्रिपशन फॉर्म 10- I में जमा होता था, अब इसे हटा दिया गया है जो 2016-17 से बदल गया है । अब इसके निम्नलिखित निर्देश है:
- रोगी का नाम
- रोगी की आयु
- बीमारी
- प्रिस-क्रिपशन देने वाले डॉक्टर का नाम, पता, व रजिस्ट्रेशन नम्बर
- यदि किसी सरकारी हॉस्पिटल में उपचार हो तो वहां का नाम व पता और प्रिस-क्रिपशन आवश्यक होंगा ।
- प्रिस-क्रिपशन में सरकारी हॉस्पिटल के डॉक्टर व इंचार्ज के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं।
सभी प्रिस-क्रिपशन को सही जानकारी के साथ ITR फाइल करने के दौरान इनकम टैक्स विभाग को जमा करें।
धारा 80DDB के तहत किस राशि को टैक्स माफ़ी में क्लेम कर सकते हैं ?
धारा 80DDB के तहत छूट क्लेम करने के लिए उस व्यक्ति की आयु मुख्य आधार है, जिसका मेडिकल ट्रीटमेंट किया गया हो।
यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो टैक्स छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि या 40,000 रु. दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
यदि किसी व्यक्ति या उस पर निर्भर (Dependent) या HUF के किसी सदस्य के मेडिकल ट्रीटमेंट पर खर्च किया जाता है, तो छूट की राशि भुगतान की गई वास्तविक राशि के एक लाख रुपए दोंनो में से जो कम हो उतनी होगी।
इस सैक्शन का उद्देश्य
वरिष्ठ नागरिकों यानी जिनकी उम्र 60 साल या उस से ज़्यादा के व्यक्ति, जिनकी नागरिकता भी भारतीय हो, ये उनसे संबंधित है।
अतिवरिष्ठ नागरिक का मतलब जिनकी आयु 80 वर्ष से ज़्यादा है, और वो भारत का नागरिक हो।
धारा 80DDB के तहत छूट का क्लेम निम्नलिखित है:
मेडिकल ट्रीटमेंट का फायदा उठाने वाले व्यक्ति की आयु | छूट की राशि ₹ |
आयु 60 वर्ष से कम | ₹ 40,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो |
वरिष्ठ नागरिक – आयु 60वर्ष या उससे ऊपर | ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो |
अति वरिष्ठ नागरिक – 80 या उससे ऊपर | ₹ 1,00,000 या वास्तविक खर्चे, दोंनो में से जो कम हो |
ध्यान रखने योग्य बातें :
- छूट का क्लेम तभी किया जाएगा जब पिछले वर्ष के दौरान किए गए खर्च वास्तविक हों।
- इसके अलावा छूट की राशि मेडिकल ट्रीटमेंट लेने वाले व्यक्ति की उम्र पर निर्भर होगी न कि क्लेम करने वाले की उर्म पर।
- धारा 80DDB के तहत छूट की राशि, भाग VI (A) के तहत कवर की गई है।
मेडिकल इंश्योरेंस होने पर कितनी मिलेगी टैक्स छूट?
अगर आपके मेडिकल खर्च के लिए कुछ या पूरा पैसा मेडिकल इंशोरेंस से मिला है तो उसे घटाकर ही आपको धारा 80DDB के तहत टैक्स छूट मिलेगी।
यदि क्लेम करने वाला 60,000/- रुपये मेडीकल ट्रीटमेंट पर खर्च करता है, तो वह धारा 80DDB के तहत 40,000/- रुपये की टैक्स छूट क्लेम कर सकता है। यदि इस खर्च के लिए किसी बीमा कंपनी से 30,000/- रुपये की राशि प्राप्त हुई है, तो धारा 80DDB के तहत वह जो टैक्स छूट का दावा कर सकता है वह 10,000 रु. (40,000 रु. – 30,000 रु.) होगी।
इसके अलावा यदि बीमा कंपनी से 60,000/- रु. के खर्च पर मिली राशि 50,000/- रुपये है, जो 40,000/- रु. की टैक्स छूट क्लेम करने वाले को मिलने वाली थी वो नहीं मिलेगी, क्योंकि उस से ज़्यादा उसे बीमा कंपनी से मिल चुका है। हालाँकि, इस मामले में मेडीकल ट्रीटमेंट पाने वाला व्यक्ति यदि एक वरिष्ठ नागरिक है, तो वह 1,00,000/- (वरिष्ठ नागरिक को धारा 80DDB के तहत मिलने वाली टैक्स छूट) टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकता है।
संक्षेप में:
धारा 80DDB विशेष बिमारियों के इलाज में मेडिकल खर्चों के लिए व्यक्ति विशेष और HUF को टैक्स छूट देता है। और यह छूट टैक्स में आने वाली आय (ग्रौस टैक्सेबल इनकम) पर मिलती है।
धारा 80DDB का फार्म फार्मेट:
फार्म 80DDB के तहत छूट क्लेम करने के लिए फ़ार्म भरने का तरीका निम्नलिखित हैं:
- आवेदक का नाम भरें
- आवेदक का पता और पिता का नाम भरें।
- उस व्यक्तिका नाम व पता जिस पर आवेदक निर्भर है और उसका आवेदक के साथ संबंध।
- इसके बाद, बीमारी या बीमारियों के नाम का कॉलम भरने से पहले कृपया नियम 11DD देखें।
- क्या विकलांगता 40% या रोगों और बीमारियों के लिए अधिक है या नहीं।
- सरकारी अस्पताल के नाम और पते के साथ प्रिस-क्रिप्शन देने वाले विशेषज्ञ का नाम, पता, रजिस्ट्रेशन नंबर और योग्यता दर्ज करें।
- उसके बाद हस्ताक्षर करें और चैक करेंकि जानकारी सही ढंग से भरी गयी है या नहीं । जिसके बाद उसे वेरीफाई कर दें।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए धारा 80DDB:
बजट 2018 में विशेष बीमारियों के मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए वरिष्ठ नागरिकों को धारा 80DDB के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को बढ़ाने के लिए प्रस्ताव किया गया है। धारा 80DDB विशेष बीमारियों के संबंध में व्यक्तियों और HUF को उपलब्ध कराई जाने वाली छूट देता है। धारा 80DDB के प्रावधानों में संशोधन करने का प्रस्ताव है ताकि वरिष्ठ नागरिकों और अतिवरिष्ठ नागरिकों दोनों के लिए क्रमश: 60,000 और 80,000 रुपये से 1 लाख रुपये तक की छूट की व्यवस्था की जाए।
वर्ष 2018 – 19 में धारा 80DDB में किया गया संशोधन:
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट 2018 का प्रस्ताव करते हुए वरिष्ठ नागरिकों के मेडिकल ट्रीटमेंट को ध्यान में रखते हुए टैक्स छूट को बढ़ाकर एक बड़ी राहत प्रदान की है। वित्त वर्ष ( Financial Year ) 2018-19 से वरिष्ठ नागरिक और अतिवरिष्ठ नागरिक 80DDB के तहत क्रमशः 60,000 रुपये और 80,000 रुपये से 1,00,000 रुपये की अधिकतम टैक्स छूट का लाभ उठा पाएँगे। यह संशोधन 1 अप्रैल, 2019 से लागू हुआ है और बाद में ये वर्ष 2019-20 और उसके बाद के वर्षों में भी लागू किया जाएगा।