किस इनकम को सैलरी कहा जाता है?
TDS के लिए सैलरी को कैलकुलेट करने के लिए यह जानना ज़रूरी है कि कौन सी इनकम सैलरी के अंतर्गत आती है। सैलरी प्राप्त भुगतान का एक प्रकार है जो दो पक्षों (कंपनी और कर्मचारी) के बीच एक समझौते के अनुसार, कुछ सेवाओं को बदले एक विशेष/ तय राशि के रूप में दी जाती है। यदि दो पक्ष के बीच भुगतान और सेवा को लेकर समझौता है लेकिन वो ‘नियोक्ता/ कंपनी और कर्मचारी’ नहीं हैं, तो भुगतान दिए जाने वाली रकम को सैलरी नहीं कहा जा सकता है।
इनमें से कुछ में टेक्नीकल या प्रोफेशनल सर्विस के लिए शुल्क (फीस), ठेकेदारों और उप-ठेकेदारों को भुगतान, डिविडेन्ट का भुगतान, सिक्योरिटी पर प्राप्त ब्याज, बैंक में जमा पर प्राप्त ब्याज, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा इकाइयों (Unit) की पुनर्खरीद (Repurchase) के लिए भुगतान या म्यूचुअल फंड, लॉटरी या क्रॉसवर्ड पज्जल, कमीशन और लॉटरी टिकट की बिक्री आदि जीतने पर प्राप्त पुरस्कार (prizes), बीमा इनकम कमीशन पर भुगतान, ब्रोकरेज या कमीशन, किराया आदि आते हैं।
सैलरी पर इनकम टैक्स स्लैब
सैलरी पर इनकम टैक्स को जोड़ने के लिए, पहले यह जानना ज़रूरी हैं कि फाइनेंशियल वर्ष में भारत के इनकम टैक्स विभाग द्वारा कितना इनकम टैक्स स्लैब तय किया गया है।
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए टैक्स स्लैब इस प्रकार है:
जेनरल कैटेगरी (60 वर्ष से कम के लिए):
मौजूदा टैक्स रिज़िम | नया टैक्स रिज़िम | ||
आय स्लैब | इनकम टैक्स रेट | आय स्लैब | इनकम टैक्स स्लैब |
₹2,50,000 तक | शून्य | 0 – ₹3,00,000 | शून्य |
₹2,50,001 – ₹5,00,000 | ₹2,50,000 से अधिक पर 5% | ₹3,00,000 – ₹6,00,000 | 5% |
₹5,00,001-₹10,00,000 | ₹5,00,000 से अधिक पर ₹12,500 + 20% | ₹6,00,000 – ₹9,00,000 | 10% |
₹10,00,000 से ऊपर | ₹10,00,000 से अधिक पर ₹1,12,500 + 30% | ₹9,00,00 –₹12,00,000 | 15% |
₹12,00,000 -₹15,00,000 | 20% | ||
₹15,00,000 से अधिक | 30% |
सीनियर सीटिज़न (60 साल से अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम)
मौजूदा टैक्स रिज़िम | नया टैक्स रिज़िम | ||
आय स्लैब | इनकम टैक्स रेट | आय स्लैब | इनकम टैक्स स्लैब |
₹3,00,000 तक | शून्य | 0 – ₹3,00,000 | शून्य |
₹3,00,001 – ₹5,00,000 | ₹3,00,000 से अधिक पर 5% | ₹3,00,000 – ₹6,00,000 | 5% |
₹5,00,001-₹10,00,000 | ₹5,00,000 से अधिक पर ₹10,000 + 20% | ₹6,00,000 – ₹9,00,000 | 10% |
₹10,00,000 से ऊपर | ₹10,00,000 से अधिक पर ₹1,10,000 + 30% | ₹9,00,00 –₹12,00,000 | 15% |
₹12,00,000 -₹15,00,000 | 20% | ||
₹15,00,000 से अधिक | 30% |
सुपर सीनियर सीटिज़न (80 वर्ष या उससे अधिक)
मौजूदा टैक्स रिज़िम | नया टैक्स रिज़िम | ||
इनकम स्लैब | इनकम टैक्स रेट | इनकम स्लैब | इनकम टैक्स स्लैब |
₹5,00,000 तक | शून्य | 0 – ₹3,00,000 | शून्य |
₹5,00,001 – ₹10,00,000 | ₹5,00,000 से अधिक पर 20% | ₹3,00,000 – ₹6,00,000 | 5% |
₹10,00,000 से अधिक | ₹10,00,000 से अधिक पर ₹1,00,000 + 30% | ₹6,00,000 – ₹9,00,000 | 10% |
₹9,00,00 – ₹12,00,000 | 15% | ||
₹12,00,000 – ₹15,00,000 | 20% | ||
₹15,00,000 से अधिक | 30% |
तीनों कैटेगरी के लिए निम्नलिखित टैक्स भी लिए जाते है:
- यदि इनकम 50 लाख और 1 करोड़ है तो इनकम टैक्स पर 10% सरचार्ज लागू होगा
- यदि इनकम 1 करोड़ से अधिक है लेकिन 2 करोड़ से कम होता है तो इनकम टैक्स पर 15% सरचार्ज लागू होगा
- इनकम 2 करोड़ से 5 करोड़ के बीच होने पर इनकम टैक्स पर 25% सरचार्ज लागू होगा
- इनकम 5 करोड़ से अधिक होने पर इनकम टैक्स पर 37% (पुराना टैक्स रिज़िम) और 25% (नया टैक्स रिज़िम) सरचार्ज लागू होगा
- सभी टैक्सपेयर्स को हेल्थ और शिक्षा सेस के रुप में 4% इनकम टैक्स का भुगतान करना पड़ता है चाहे वो किसी भी कैटेगरी में शामिल हो।
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सैलरी पर इनकम टैक्स कैसे कैलकुलेट करें
सैलरी में कई प्रकार के भत्ते होते हैं जिसे एक साथ मिलाने पर कर्मचारी की CTC बनती है। सैलरी में निम्नलिखित भत्ते होते हैं:-
- बेसिक सैलरी में मकान किराया भत्ता (HRA), मेडिकल भत्ता, ट्रैवल भत्ता, ट्रांसपोर्ट भत्ता, महंगाई भत्ता, विशेष भत्ता (Special Allowance), अन्य भत्ते शामिल हैं।
- परक्यूइसाइट में कंपंनी द्वारा सब्सिडी वाले ईंधन (Fuel) और कैंटीन की सुविधा, काम के लिए ट्रैवल और होटल खर्चा, आदि दी जाने वाले लाभ और सुविधाएं शामिल हैं।
TDS कैलकुलेशन का तरीका
टैक्स जोड़ने की बात करते समय, सबसे पहली बात यह है कि टैक्स छूट और कुछ अपवाद (Exception) मामले जो भारतीय टैक्स रिटर्न में उपलब्ध हैं। टैक्स छूट और अपवाद दोनों ही टैक्स के बोझ को कम करने और लोगों को कुछ लाभ देने के तरीके हैं।
भारत सरकार द्वारा कुछ योग्यताओं के आधार पर टैक्स छूट की अनुमति दी जाती हैं। भारत के आयकर विभाग के अनुसार, सैलरी पर TDS लगाने से पहले इन टैक्स छूट को कुल वार्षिक सैलरी पर लागू किया जाता है। और उसके बाद सैलरी की जो रकम बचती है उस पर TDS लगाया जाता है।
टैक्स छूट के लिए भारत के इनकम टैक्स विभाग द्वारा कई नियम हैं। कर्मचारियों को कंपंनी में टैक्स से छूट के लिए जरूरी प्रमाणपत्रों को देना होता है ताकि TDS को सही से जोड़ा जा सके। कंपनी की जिम्मेदारी हैं कि वह टैक्स छूट के लिए मिले दस्तावेज़ एवं सबूत के आधार पर TDS को सही जोड़े।
TDS छूट के लिए योग्य कारण
आयकर (IT) अधिनियम धारा 10A के तहत निम्नलिखित भत्तों पर TDS नहीं काटा जाता है:
- HRA: अगर कोई नौकरीपेशा व्यक्ति किराय पर रहता है और किराया देता है तो उसके वार्षिक 1,80,000 रु. तक के हाउस रेंट अलाउंस पर TDS नहीं लगाया जाएगा।
- ट्रांसपोर्ट भत्ता: परिवहन भत्ते के रूप में कर्मचारी को काम से बाहर आने जाने के लिए यह भत्ता दिया जाता है, वार्षिक 19,200 रु. तक के इस भत्ते में TDS नहीं लगता है।
- आयकर धारा 80C: आप अगर निवेश करते हैं तो इस धारा के तहत आपके 1,50,000 रु. तक के निवेश पर टैक्स छूट दी जाती है।
- पब्लिक प्रोविडेंड फंड (PPF)
- जीवन बीमापॉलिसी
- कंपनी द्वारा भविष्य निधि योगदान (EPF)
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS)
- एक निश्चित अवधि के लिए बैंक एफडी
- राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC)
- होम लोन पर टैक्स छूट
- TDS 80CCC और 80CCD के अंतगर्त: पेंशन के लिए किसी कंपनी के एन्युटी योजना में निवेश धारा 80CCD के अंतगर्त टैक्स छूट के लिए आता है और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) में योगदान के रूप में माना जाता है।
धारा 80C, 80CCC और 80CCD के अंतर्गत टैक्स बचत का क्लैम 2,00,000 रु. से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। 1.5 लाख रु. टैक्स छूट और 50,000 रु. टैक्स कटौती के लिए मान्य हैं जो कि NPS योगदान के लिए हैं।
- TDS धारा 80TTA के तहत – बैंक में बचत खाते पर मिलने वाला 10,000 रु. तक का वार्षिक ब्याज़ पर TDS छूट मिलती है।
- TDS धारा 80D के तहत – यह धारा मेडिकल खर्च और मेडिकल बीमा प्रीमियम के लिए टैक्स छूट देती है।
- मेडिकल भत्ता – कर्मचारी मेडिकल बिल जमा कर मेडिकल भत्ते पर टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
- TDS धारा 80DDB के तहत – यह कुछ रोगों के उपचार में किए गए खर्च के लिए अधिकतम 40,000 रु. तक टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
कुछ अन्य उपखंड (sub section) जहां TDS लागू है –
- यदि आपकी इनकम टैक्स देने योग्य से कम है तो TDS कम हो जाता है।
- टैक्स कमी से लोगों की बचत व अन्य निवेश पैदा होने पर डिस्पोजोबल इनकम जनरेट हो जाती है।
- टैक्स योग्य इनकम में कमी से भी एक ब्रैकेट उत्पन्न हो जाता है। जिसमें व्यक्ति टैक्स देने योग्य नही होते है
- धर्म व परोपकार गतिविधियों में शामिल रहने पर छूट।
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वेतन पर TDS जमा करने तिथि
वित्त वर्ष 2024-25 में TDS रिर्टन फाइल करने की तिथि
तिमाही | तिमाही की अवधि | TDS रिटर्न की तिथि |
तिमाही 1 | 1 अप्रैल से 30 जून | 31 जुलाई,2024 |
तिमाही 2 | 1 जुलाई से 30 सितम्बर | 31 अक्तूबर, 2024 |
तिमाही 3 | 1अक्तूबर से 30 दिसम्बर | 31 जनवरी, 2025 |
तिमाही 4 | 1 जनवरी से 30 मार्च | 31 मई, 2025 |
वित्त वर्ष 2024-25 में TDS जमा/भुगतान की समय सीमा
सरकारी विभागों के लिए:
TDS | तिथि | |
1 | चालन के बिना टैक्स जमा | उसी दिन |
2 | चालन के साथ टैक्स जमा | अगले महीने 7 तारीख |
3 | कंपनी द्वारा दिए गए लाभ पर TDS | अगले महीने की 7 तारीख |
किसी भी अन्य मामलें में
TDS | भुगतान तिथि | |
1 | मार्च में टैक्स छूट पर | अगले साल की 30 अप्रैल |
2 | अन्य महीने और कंपंनी द्वारा टैक्स जमा करने का विकल्प | अगले महीने की 7 तारीख |
TDS पर सैलरी पर कैसे कैलकुलेट करें-
निम्नलिखित फ़ॉरमेट से कैलकुलेट कर सकते हैं-
सकल वार्षिक सैलरी (Gross Annual Salary)
घटाओ: धारा 10 के तहत टैक्स छूट (₹)
(यानी HRA, सुविधा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, आदि)
इसके बाद बची नेट सैलरी
जोड़ें: हाउस प्रोपर्टी से हुई कमाई
किरायें द्वारा प्राप्त कमाई (₹)
घटाओ: धारा 24 (b) के तहत टैक्स छूट
– किराय की कमाई पर 30%
– होम लोन का ब्याज़
कुल इनकम
घटाओ- भाग VIA के अंतर्गत टैक्स छूट
वो इनकम जिस पर टैक्स लगेगा
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सैलरी पर TDS का भुगतान कैसे करें?
TDS एक ऐसी प्रणाली है जहां कर्मचारी को कंपनी द्वारा भुगतान करने के समय पर इनकम टैक्स की कटौती की जाती है। काटी गई TDS राशि तय तिथियों तक सरकार को जमा की जाती है। टेक्नोलॉजी के माध्यम से सैलरी पर लगाया गया TDS ऑनलाइन भी जमा हो सकता है। इसका तरीका निम्नलिखित है:
- टैक्स के ई भुगतान के लिए NSDL की वेबसाइट पर जाएं और https://onlineservices.tin.egov-nsdl.com/etaxnew/tdsnontds.jsp पर क्लिक करें।
- TDS/TCS में “CHALLAN NO./ITNS281” को सलेक्ट करने के बाद आपको ई-भुगतान पेज पर भेजा जाएगा।
- यदि TDS काटे गए हैं, तो कंपनी द्वारा भुगतान के लिए कटौती की जाती है, तो ‘Company Deductees’ को सलेक्ट करें। अन्य मामले में, ‘Non- Company Deductees’ को सलेक्ट करें।
- अपना TAN और वर्ष दर्ज करें, जिस वर्ष के लिए भुगतान किया जाना है. पिन कोड और ‘ राज्य भरें।
- सलेक्ट करें कि काटा गया TDS भुगतान के लिए योग्य है या नहीं।
- वेतन पर TDS के भुगतान के लिए आगे की प्रक्रिया के लिए ‘Nature of Payment’ और ‘Mode of Payment को चुनें और ‘Submit’ पर क्लिक करें।
- जमा करने के बाद, एक confirmation दिखेगा। रजिस्टर्ड किए गए डेटा की पुष्टि होने पर आपको आपके बैंक के नेट बैंकिंग पोर्टल पर भेज दिया जाएगा।
- अब भुगतान करें। सफल भुगतान पर, एक चालान CIN के साथ डिस्प्ले पर आ जाएगा, भुगतान जानकारी और बैंक नाम के साथ दिया जाएगा जिसके द्वारा ई-भुगतान किया गया है। इसे भुगतान सबूत के तौर पर अपने पास रखें.