किस इनकम को सैलेरी कहा जाता है?
TDS के लिए सैलेरी को कैल्यकुलेट करने के लिए यह जानना जरूरी है कि कौन सी इनकम सैलेरी के अंतर्गत आती है। सैलेरी प्राप्त भुगतान का एक प्रकार है जो दो पक्षों (कंपंनी और कर्मचारी) के बीच एक समझौते के अनुसार, कुछ सेवाओं को बदले एक विशेष/ तय राशि के रूप में दी जाती है। यदि दो पक्ष के बीच भुगतान और सेवा को लेकर समझौता है लेकिन वो ‘नियोक्ता/ कंपंनी और कर्मचारी’ नहीं हैं, तो भुगतान दिए जाने वाली रकम को सैलैरी नहीं कहा जा सकता है:
इनमें से कुछ में टेक्नीकल या प्रोफेशनल सर्विस के लिए शुल्क (फीस), ठेकेदारों और उप-ठेकेदारों को भुगतान, डिविडेन्ट का भुगतान, सिक्योरिटी पर प्राप्त ब्याज, बैंक में जमा पर प्राप्त ब्याज, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा इकाइयों (unit) की पुनर्खरीद (repurchase) के लिए भुगतान या म्यूचुअल फंड, लॉटरी या क्रॉसवर्ड पज्जल, कमीशन और लॉटरी टिकट की बिक्री आदि जीतने पर प्राप्त पुरस्कार (prizes), बीमा इनकम कमीशन पर भुगतान, ब्रोकरेज या कमीशन, किराया आदि आते हैं।
सैलेरी पर इनकम टैक्स स्लैब-
सैलेरी पर इनकम टैक्स को जोड़ने के लिए, पहले यह जानना जरूरी हैं कि फाइनेंशियल वर्ष में भारत के इनकम टैक्स विभाग द्वारा कितना इनकम टैक्स स्लैब तय किया गया है।
2017-2018 के वर्तमान फाइनेंसियल वर्ष के लिए, टैक्स स्लैब इस प्रकार हैं:
उन व्यक्तियों के लिए जो 60 साल से कम हैं (पुरुष या महिलाएं):
- यदि इनकम 2,50,000 रु. तक है, तो इस पर कोई टैक्स नहीं है.
- यदि इनकम 2,50,000 रु.और 5,00,000 रु. के बीच है तो टैक्स की दर 5% है.
- यदि इनकम 5,00,000 रु. और 10,00,000 रु. के बीच है तो टैक्स की दर 20%है.
- यदि इनकम 10,00,000 रु. से अधिक है तो टैक्स की दर 30% है.
ऐसे व्यक्तियों के लिए जिनकी उम्र 60 से 80 वर्ष (पुरुष या महिलाएं) के बीच है, और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) के लिए है, टैक्स छूट सीमा 3,00,000 रु. तक है, उस से ज़्यादा इनकम के लिए ऊपर दी गई टैक्स दरें लागू होंगी।
जिन व्यक्तियों की उम्र 80 वर्ष से अधिक (पुरुष या महिलाएं) है, उनकी टैक्स छूट सीमा 5,00,000 रु. है और उस से ज़्यादा की इनकम के लिए ऊपर दी गई टैक्स दरें लागू हैं।
तीनों कैटेगरी के लिए, निम्नलिखत टैक्स भी लिए जाते है:
- यदि इनकम 50 लाख और 1 करोड़ है तो इनकम टैक्स पर 10% सरचार्ज लागू होगा.
- यदि इनकम 1 करोड़ से अधिक है तो तो इनकम टैक्स पर 15% सरचार्ज लागू होगा.
- ऐसे मामलों में इनकम टैक्स और सरचार्ज की राशि पर 3% का सैस लग सकता है.
सैलेरी पर इनकम टैक्स जोड़ना
सैलेरी में कई प्रकार के भत्ते होते हैं जिसे एक साथ मिलाने पर कर्मचारी की CTC बनाती है। सैलेरी में निम्नलिखित भत्ते होते हैं:-
- बेसिक सैलेरी में मकान किराया भत्ता (HRA), मेडिकल भत्ता, ट्रेवल भत्ता, ट्रांसपॉर्ट भत्ता, महंगाई भत्ता, विशेष (special) भत्ता, अन्य भत्ते शामिल हैं.
- परक्यूइसाइट में कंपंनी द्वारा सस्ता ईंधन(fuel) और कैंटीन की सुविधा, काम के लिए ट्रेवल और होटल खर्चा, आदि दी जाने वाले लाभ और सुविधाएं शामिल हैं।
वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए, टैक्स स्लैब इस प्रकार हैं:
- उन व्यक्तियों के लिए जो 60 साल से कम हैं (पुरुषों या महिलाओं) :-
- यदि इनकम 2,50,000 रुपए तक है, तो इस पर कोई टैक्स नहीं है।
- यदि इनकम 2,50,000 और 5,00,000 के बीच है तो टैक्स की रेट 5% है (पहले 10%)।
- यदि इनकम 5,00,000 और 10,00,000 के बीच है तो टैक्स की रेट 20%है।
- यदि इनकम 10,00,000 रुपये से अधिक है तो टैक्स की रेट 30% है।
- ऐसे व्यक्तियों के लिए जिनकी उम्र 60 से 80 वर्ष(पुरुषों या महिलाओं) के बीच है, और हिंदू अविभाजित परिवार(HUF) द्वारा टैक्स भुगतान किया जाता है उनके इनकम 3,00,000 हैं तो टैक्स में छूट, के लिए ऊपर दी गई स्लैब समान है।
- जिन व्यक्तियों की उम्र 80 वर्ष से अधिक(पुरुषों या महिलाओं) है, उनकी इनकम 5,00,000 है तो टैक्स में छूट, के लिए ऊपर दी गई स्लैब समान है।
तीनों कैटेगरी के लिए, निम्नलिखत टैक्स भी लिए जाते है-
- यदि इनकम 50 लाख और 1 करोड़ है तो इनकम टैक्स पर 10% सरचार्ज होंगे ।
- यदि इनकम 1 करोड़ से अधिक है तो तो इनकम टैक्स पर 15% सरचार्ज होंगे।
- हेल्थ और शिक्षा में इनकम टैक्स और सरचार्ज की राशि पर 4% का सैस लग सकता है।
सैलेरी पर इनकम टैक्स कैसे कैलकुलेट करें
सैलेरी में कई प्रकार के भत्ते होते हैं जिसे एक साथ मिलाने पर कर्मचारी की CTC बनाती है। सैलेरी में निम्नलिखित भत्ते होते हैं:-
- बेसिक सैलेरी में मकान किराया भत्ता (HRA), मेडिकल भत्ता, ट्रेवल भत्ता, ट्रांसपॉर्ट भत्ता, महंगाई भत्ता, विशेष(special) भत्ता, अन्य भत्ते शामिल हैं।
- परक्यूइसाइट में कंपंनी द्वारा सब्सिडी वाले ईंधन (fuel) और कैंटीन की सुविधा, काम के लिए ट्रेवल और होटल खर्चा, आदि दी जाने वाले लाभ और सुविधाएं शामिल हैं।
TDS कैलकुलेशन का तरीका
टैक्स जोड़ने की बात करते समय, सबसे पहली बात यह है कि टैक्स छूट और कुछ अपवाद (Exception) मामले भारतीय टैक्स रिटर्न में उपलब्ध हैं। टैक्स छूट और अपवाद दोनों ही टैक्स के बोझ को कम करने और लोगों को कुछ लाभ देने के तरीके हैं।
भारत सरकार द्वारा कुछ योग्यताओं के आधार पर टैक्स छूट की अनुमति दी जाती हैं। भारत के आयकर विभाग के अनुसार, सैलेरी पर TDS लगाने से पहले, इन टैक्स छूट को कुल वार्षिक सैलेरी से पर लागू कर लिया जाता है। और उसके बाद सैलरी की जो रकम बचती है उस पर TDS लगाया जाता है। टैक्स छूट के लिए भारत के इनकम टैक्स विभाग द्वारा कई नियम हैं। कर्मचारियों को कंपंनी में टैक्स से छूट के लिए जरूरी प्रमाणपत्रों को देना होता है ताकि TDS को सही से जोड़ा जा सके। कंपंनी की जिम्मेदारी हैं कि वह टैक्स छूट के लिए मिले दस्तावेज एवं सबूत के आधार पर TDS को सही जोड़े।
TDS छूट के लिए योग्य कारण
आयकर अधिनियम धारा 10 के तहत निम्नलिखित भत्तों पर TDS नहीं काटा जाता है:
- HRA: अगर कोई नौकरीपेशा व्यक्ति किराय पर रहता है और किराया देता है तो उसके वार्षिक 1,80,000 रु. तक के हाउस रेंट अलाउंस पर TDS नहीं लगाया जाएगा।
- Transport Allowance: परिवहन भत्ते के रूप में कर्मचारीको काम से बाहर आने जाने के लिए यह भत्ता दिया जाता है, वार्षिक 19,200 रू. तक के इस भत्ते में TDS नहीं लगता है।
- आयकर धारा 80C: आप अगर निवेश करते हैं तो इस धारा के तहत आपके 1,50,000 रु. तक के निवेश पर टैक्स छूट दी जाती है।
- सामान्य भविष्य निधि (PPF)
- जीवन बीमापॉलिसी
- कंपंनी द्वारा भविष्य निधियोगदान (EPF)
- राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC)
- होम लोन पर टैक्स छूट
- TDS 80CCC और 80CCD के अंतगर्त: पेंशन के लिए किसी कंपनी के एनयुटी योजना में निवेश धारा 80CCD के अंतगर्त टैक्स छूट के लिए आता है और इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना(NPS) में योगदान के रूप में माना जाता है।
धारा 80C, 80CCC और 80CCD के अंतर्गत टैक्स बचत का क्लैम 2,00,000 रु. से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। 1.5 लाख रु. टैक्स छूट और 50,000 रु. टैक्स कटौती के लिए मान्य हैं जो कि NPS योगदान के लिए हैं।
- TDS धारा 80TTA के तहत – बैंक में बचत खाते परमिलने वाला 10,000 रु. तक का वार्षिक ब्याज़ पर TDS छूट मिलती है।
- TDS धारा 80D के तहत – यह धारा मेडिकल खर्च और मेडिकल बीमा प्रीमियम के लिए टैक्स छूट देती है।
- मेडिकल भत्ता – कर्मचारी मेडिकल बिल जमा कर मेडिकल भत्ते पर टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
- TDS धारा 80DDB के तहत – यह कुछ रोगों के उपचार में किए गए खर्च के लिए अधिकतम 40,000 रु. तक टैक्स छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।
वरिष्ठ नागरिकों और अति वरिष्ठ नागरिकों के लिए 1 लाख रु. की छूट
- TDS की धारा 80E के तहत – यह उच्च शिक्षाके लिये शिक्षा लोन के ब्याज़ के लिए टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं। ये लोन करदाता, उसके पति/पत्नी, बच्चे का भी हो सकता है।
- होम लोन पर ब्याज भुगतानके लिए- TDS की 80EE के तहत होम लोन के ब्याज़ के लिए वार्षिक 50,000 रु. तक की टैक्स छूट के लिए क्लेम किया जा सकता है।
- TDS धारा 80G, 80GGA, 80GGB और 80GGC: यह धाराएं दान देने के मामले में लागू होती हैं। 80G सामान्य दान के लिए, 80GGA ग्रामीण विकास, 80GGB वैज्ञानिकअनुसंधान (scientific research) और 80GGC राजनीतिक पार्टियों को दान देने से संबंधित है।
कुछ अन्य उपखंड(sub section) जहां TDS लागू है –
- यदि आपकी इनकम टैक्स देने योग्य से कम है तो TDS कम हो जाता है।
- टैक्स कमी से लोगों की बचत व अन्य निवेश पैदा होने पर डिस्पोजोबल इनकम जनरेट हो जाती है।
- टैक्स योग्यइनकम में कमी से भी एक ब्रैकेट उत्पन्न हो जाता है। जिसमें व्यक्ति टैक्स देने योग्य नही होते है ।
- धर्म व परोपकारगतिविधियों में शामिल रहने पर छूट ।
वित्त वर्ष 2017-18 के अनुसार स्लैब
नौकरीपेशा व्यक्ति/HUF के लिए इनकम टैक्स स्लैब
टैक्स देने वाले की आय | टैक्स रेट |
2.5 लाख रु. तक | शून्य |
2.5 लाख रु. से 5 लाख तक | 5% |
5 लाख रु. से 10 लाख रु. तक | 10% |
10 लाख रु. से अधिक होने पर | 20% |
सरचार्ज- 50 लाख से 1 करोड़ के बीच इनकम होने पर 10% और 1 करोड़ से अधिक की इनकम पर 15% सरचार्ज लगता है।
शिक्षा सैस- 3% इनकम टैक्स।
वरिष्ठ नागरिक( 60 वर्ष से 80 वर्ष तक उम्र) के लिए इनकम टैक्स स्लैब
टैक्स देने वाले की इनकम | टैक्स रेट |
3 लाख रु. तक | शून्य(nill) |
3 लाख रु. से 5 लाख रु. तक | 10% |
5 लाख रु. से 10 लाख रु. तक | 20% |
10 लाख रु. से अधिक के लिए | 30% |
सरचार्ज- 50 लाख से 1 करोड़ के बीच इनकम होने पर 10% और 1 करोड़ से अधिक की आय पर 15% सरचार्ज होता है।
शिक्षा सैस- 3% इनकम टैक्स।
अति वरिष्ठ नागरिकों (80 वर्ष से ज़्यादा उम्र) वालो के लिए इनकम टैक्स स्लैब
टैक्स देने वाले की इनकम | टैक्स रेट |
5 लाख रु. तक | शून्य(nill) |
5 लाख रु. से 10 लाख रु. तक | 10% |
10 लाख रु. से अधिक होने पर | 20% |
सरचार्ज- 50 लाख से 1 करोड़ के बीच इनकम होने पर 10% और 1 करोड़ से अधिक की आय पर 15% सरचार्ज लगता है।
शिक्षा सैस- 3% इनकम टैक्स।
सैलेरी पर लगे TDS के जमा करने तिथि
फाइनेंशियल वर्ष 2017-18 में TDS रिर्टन फाइल करने की तिथि
तिमाही | तिमाही की अवधि | TDS रिटर्न की तिथि |
तिमाही 1 | 1 अप्रैल से 30 जून | 31 जुलाई,2017 |
तिमाही 2 | 1जुलाई से 30 सितम्बर | 31 अक्तूबर, 2017 |
तिमाही 3 | 1अक्तूबर से 30 दिसम्बर | 31 जनवरी, 2018 |
तिमाही 4 | 1 जनवरी से 30 मार्च | 31 मई, 2018 |
वित्त वर्ष 207-18 में TDS जमा करने/भुगतान की समय सीमा
सरकारी विभागों के लिए:
TDS | तिथि | |
1 | चालन के बिना टैक्स जमा | उसी दिन |
2 | चालन के साथ टैक्स जमा | अगले महीने 7 तारीख |
3 | कंपंनी द्वारा दिए गए लाभ पर TDS | अगले महीने की 7 तारीख |
किसी भी अन्य मामलें में
TDS | भुगतान तिथि | |
1 | मार्च में टैक्स छूट पर | अगले साल की 30 अप्रैल |
2 | अन्य महीने और कंपंनी द्वारा टैक्स जमा करने का विकल्प | अगले महीने की 7 तारीख |
TDS पर सैलेरी पर कैसे कैलकुलेट करें-
निम्नलिखित फ़ॉरमेट से कैलकुलेट कर सकते हैं-
सकल (Gross) वार्षिक सैलेरी ₹ ₹ ₹
घटाओ: धारा 10 के तहत टैक्स छूट ( ₹ ₹ ₹ )
(यानी HRA, सुविधा भत्ता, चिकित्सा भत्ता, आदि)
इसके बाद बची नेट सैलरी ₹ ₹ ₹
जोड़ें: हाउस प्रोपर्टी से हुई कमाई
किरायें द्वारा प्राप्त कमाई ₹ ₹ ₹
घटाओ: धारा 24 (b) के तहत टैक्स छूट
– किराय की कमाई पर 30% (₹ ₹ ₹)
– होम लोन का ब्याज़ (₹ ₹ ₹)
कुल इनकम ₹ ₹ ₹
घटाओ- भाग VIA के अंतर्गत टैक्स छूट ( ₹ ₹ ₹)
वो इनकम जिस पर टैक्स लगेगा ₹ ₹ ₹
सैलेरी पर TDS का भुगतान कैसे करें?
TDS एक ऐसी प्रणाली है जहां कर्मचारी को कंपंनी द्वारा भुगतान करने के समय पर इनकम टैक्स की कटौती की जाती है। काटी गई TDS राशि तय तिथियों तक सरकार को जमा की जाती है। टेक्नोलॉजी होने से, सैलरी पर लगाया गया TDS ऑनलाइन भी जमा हो सकता है। इसका तरीका निम्नलिखित है:
1:- टैक्स के ई भुगतान के लिए NSDL की वेबसाइट पर जाएं और https://onlineservices.tin.egov-nsdl.com/etaxnew/tdsnontds.jsp पर क्लिक करें।
2:- TDS/TCS में “CHALLAN NO./ITNS281” को सलेक्ट करने के बाद आपको ई-भुगतान पेज पर भेजा जाएगा।
3: यदि TDS काटे गए हैं, तो कंपनी द्वारा भुगतान के लिए कटौती की जाती है, तो ‘Company Deductees’ को सलेक्ट करें। अन्य मामले में, ‘Non- Company Deductees’ को सलेक्ट करें।
4: अपना TAN और वर्ष दर्ज करें, जिस वर्ष के लिए भुगतान किया जाना है. पिन कोड और ‘ राज्य भरें।
5: सलेक्ट करें कि काटा गया TDS भुगतान के लिए योग्य है या नहीं।
6: सैलेरी पर TDS के भुगतान के लिए आगे की प्रक्रिया के लिए ‘Nature of Payment’ और ‘Mode of Payment को चुनें और submit पर क्लिक करें।
7: जमा करने के बाद, एक confirmation दिखेगा। रजिस्टर्ड किए गए डेटा की पुष्टि होने पर आपको आपके बैंक के नेट बैंकिंग पोर्टल पर भेज दिया जाएगा।
8: अब भुगतान करें। सफल भुगतान पर, एक चालान CIN के साथ डिस्प्ले पर आ जाएगा, भुगतान जानकारी और बैंक नाम के साथ दिया जाएगा जिसके द्वारा ई-भुगतान किया गया है। इसे भुगतान सबूत के तौर पर अपने पास रखें।