TDS भारत सरकार द्वारा लिया जाने वाला एक टैक्स है। टैक्स जब काटा जाता है जब पैसा प्राप्तकर्ता के खाते में आता है, या फिर ट्रांजेक्शन के समय, जो भी पहले हो ।
वेतन या जीवन बीमा पॉलिसी के भुगतान के मामले में, टैक्स ट्रांजेक्शन और भुगतान के समय काट लिया जाता है। उसके बाद टैक्स काटने वाला (व्यक्ति/कंपनी) इस TDS राशि को आयकर विभाग में जमा करता है। TDS के द्वारा, आपके टैक्स का कुछ हिस्सा आयकर विभाग को खुद ही भुगतान कर दिया जाता है। इसलिए, TDS को टैक्स की चोरी को कम करने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है।
टैक्स अक्सर 1% से 10% तक की सीमा के अंदर ही काटा होता है।
TDS के जमा करने की तिथि
भुगतान की गई राशि | TDS राशि जमा करने की तिथि | |
सरकारी ऑफिस | बिना चालान के | उसी दिन |
चालान के साथ | अगले महीने की 7 तारिख को | |
नियोक्ता/कम्पनी द्वारा खुद जमा करवाने की शर्त पर | अगले महीने की 7 तारिख को | |
अन्य | मार्च के महीने में | 30 अप्रैल |
अन्य किसी महीने में | अगले महीने की 7 तारिख को |
TDS रिटर्न क्या है ?
टैक्स जमा करने के अलावा, टैक्स कटने वाले को TDS रिटर्न भी फ़ाइल करना चाहिए।
TDS रिटर्न वो स्टेटमेंट है जो आयकर विभाग को हर तीन महीनों में दी जाती है। TDS रिटर्न को समय पर जमा करना टैक्स काटने वाले के लिए आवश्यक होता है।
आपको नीचे बताई गयी जानकारी TDS रिटर्न फाइल करने के लिए जरुरी हैं:
- टैक्स काटने वाले एवं जिसका टैक्स कटा है उसका पैन कार्ड
- सरकार को आपने कितने टैक्स राशि का भुगतान किया है
- TDS चालान से सम्बंधित जानकारी
- अन्य जानकारी , अगर कोई हो तो
TDS रिटर्न फ़ाइल करने के लिए कौन योग्य है ?
TDS रिटर्न फ़ाइल करने के लिए वो कंपनी, संगठन योग्य है जिनके पास टैक्स जमा हो एवं डिडक्शन अकाउंट नंबर (TAN) हो। वो हर व्यक्ति जो आयकर अधिनियम के तहत नीचे बताई गए भुगतानों में से कोई भी एक करता है उसे TDS काटना और योग्य करना होगा:
- वेतन भुगतान के समय
- जब आपकी कमाई “सिक्योरिटीज पर इनकम ” के माध्यम से होती है
- जब आपकी कमाई लॉटरी आदि खेल से होती है
- घोड़े की रेस आदि खेल से होने वाली कमाई
- बीमा पर कमीशन के माध्यम से कमाई
- नेशनल सेविंग स्कीम आदि के द्वारा होने वाली कमाई
TDS रिटर्न फ़ाइल करना
वित्तीय वर्ष 2018-19 के TDS रिटर्न फ़ाइल करने की भुगतान तिथि नीचे दी गयी है :-
तिमाही | तिमाही की अवधि | TDS फाइल करने की आखरी तारीख |
पहली तिमाही | 1 अप्रैल से 30 जून | 31 अगस्त 2018 |
दूसरी तिमाही | 1 जुलाई से 30 सितंबर | 31 अक्टूबर 2018 |
तीसरी तिमाही | 1 अक्टूबर से 31 दिसंबर | 31 जनवरी 2019 |
चौथी तिमाही | 1 जनवरी से 31 मार्च | 31 मई 2019 |
TDS रिटर्न फॉर्म
फॉर्म न० | TDS रिटर्न फॉर्म की जानकारी |
फॉर्म 24 Q | वेतन से काटे गए TDS की स्टेटमेंट |
फॉर्म 26 Q | वेतन के अलावा बाकी सभी कमाई से सम्बंधित TDS की स्टेटमेंट |
फॉर्म 27 Q | विदेशी एवं विदेश में प्रवासी भारतीय को वेतन के अलावा किया गया किसी भी और भुगतान पर लागू होने वाले TDS की स्टेटमेंट |
फॉर्म 26 QB | अचल संपत्ति के ट्रांसफर में किये भुगतान पर TDS |
TDS रिटर्न फाइल करने के लिए कई तरह के फॉर्म का उपयोग किया जाता है, ये इस पर निर्भर करता है कि किस उद्देश्य से TDS काटा गया है। TDS रिटर्न के लिए फॉर्म न० 27A पर हस्ताक्षर होने चाहिए। ये फॉर्म तिमाही (हर तीन महीनों में) स्टेटमेंट के लिए होता है। इसमें भुगतान और काटे गए TDS की जानकारी होती है।
TDS रिटर्न जमा करना
- वह लोग जो इलेक्ट्रॉनिक रूप से TDS जमा करने के योग्य है
आप TDS रिटर्न को इलेक्ट्रानिकली यानी की ई-TDS फ़ाइल करने के लिए योग्य हैं अगर आपकी कमाई से TDS काटा गया है।
आपको TDS को ऊपर बताई गयी भुगतान की तिथि के अंदर ही जमा करना होता है। अगर आपने समय से रिटर्न जमा नहीं करवाया तो आप पर जुर्माना भी लग सकता है। नीचे बताये गए लोग ई – TDS फ़ाइल करने के लिए योग्य है:
- जिन लोगों के खाते u/s44AB के अंदर ऑडिट हुए हैं
- जिन लोगों का काम सरकारी ऑफिस के अंदर आता है
- कोई भी कम्पनी
TDS रिटर्न फ़ाइल करने की प्रक्रिया
बिना किसी गलती के TDS रिटर्न को फ़ाइल करने के लिए नीचे बताई गयी बातों को ध्यान से पढ़ें:
- फॉर्म 27A में एक कंट्रोल चार्ट होता है जिसके सभी कॉलम को भरना जरूरी होता है। इस फॉर्म को इलेक्ट्रॉनिक रूप से दर्ज किए गए ई-TDS रिटर्न के साथ हार्ड कॉपी फॉर्म में वेरीफाई किया जाता है।
- भुगतान की गई राशि एवं TDS को सही तरीके से भरना चाहिए और उसी को इन सभी फॉर्मों में भरना है, फॉर्म नंबर 27A, फॉर्म नंबर 24, फॉर्म नंबर 26 और फॉर्म नंबर 27 शामिल हैं।
- आपको फॉर्म नंबर 27A में अपने टैक्स डिडक्शन अकाउंट नंबर (TAN) की जानकारी देनी आवश्यक है। यह ई-TDS रिटर्न के लिएभी समान रूप से ही किया जाता है। यह भारत में आयकर अधिनियम की धारा 203A के-उप-खंड (2) के तहत है।
- TDS रिटर्न फ़ाइल करते समय, सुनिश्चित करें कि TDS से संबंधित जानकारी का सही भरी गई है।
- ई-TDS रिटर्न के लिए विभाग द्वारा सुझाए गए फॉर्म का उपयोग करना अनिवार्य है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह फॉर्म भरने में आसान होता है। बैंक शाखा कोड या बीएसआर कोड की जानकारी देना आवश्यक है। यह भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बैंकों को प्रदान किया गया 7-अंक का कोड होता है।
- ई-TDS रिटर्न को ASCII फ़ॉरमेट में फ़ाइल करना चाहिए। इस फ़ॉरमेट का लाभ उठाने के लिए, आप अपनी पसंद के सॉफ़्टवेयर जैसे Computex, MS Excel या Tally का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा, आपके पास ऑनलाइन रिटर्न दाखिल करने के लिए Return prepare utility (ई-TDS RPU Light) नामक NSDL वेबसाइट पर उपलब्ध सॉफ्टवेयर का उपयोग करने का विकल्प भी होता है। यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि ऑनलाइन TDS फ़ाइल प्रारूप फ़ाइल नाम एक्सटेंशन के रूप में ’txt’ के साथ आए।
- NSDL द्वारा प्रबंधित किसी भी TIN-FC में आपक खुद से जाकर रिटर्न जमा कर सकते हैं। TIN-FC के देश भर में कई ऑफिस हैं।
- यदि रिटर्न ऑनलाइन दर्ज किए जाते हैं, तो उन्हें सीधे NSDL TIN वेबसाइट पर जमा किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में, कटौतीकर्ता को डिजिटल हस्ताक्षर के माध्यम से रिटर्न पर हस्ताक्षर करना होगा।
- रिटर्न जमा करते समय, यदि सभी जानकारी सही है तो एक आखरी में एक रसीद/टोकन नंबर जारी किया जाएगा। इस रसीद/टोकन नंबर को एक सबूत माना जाता है, यह बताते हुए कि रिटर्न फ़ाइल किया गया है। अगर आपका रिटर्न स्वीकार नहीं किया गया है, तो आपको अस्वीकार के कारणों के साथ एक गैर-स्वीकृति ज्ञापन जारी किया जाएगा।
TDS रिटर्न फाइल की मान्यता
TDS रिटर्न फाइल के वेलिडेशन की प्रक्रिया नीचे दी गई है:
- फ़ाइल में पूछी गयी जानकारी को भरें.
- जानकारी भरने के बाद, इसे पोर्टल वेलिडेशन यूटिलिटी में अपडेट करें.
- NSDL कीवेबसाइट पर यह टूल आपको मुफ्त में उपलब्ध होगा.
- अगर फ़ाइल में कोई गलती पाई जाती है, तो FVU उसी के लिए एक रिपोर्ट प्रदान करेगा.
- आवश्यक बदलाव करें और FVU के माध्यम से फ़ाइल की फिर से जाँच करें.
TDS रिटर्न को देरी से फ़ाइल करने पर जुर्माना
धारा 234 EE के अनुसार, यदि निर्धारिती तिथि से पहले आप TDS रिटर्न फ़ाइल करने में असफल रहते है, तो हर दिन के हिसाब से रोज का 200 रुपये का जुर्माना तब तक लगाया जाएगा जब तक कि आप रिटर्न फ़ाइल न कर दें। हालांकि, कुल जुर्माना TDS राशि से अधिक नहीं होना चाहिए।
अगर आपने TDS फ़ाइल नहीं किया है:
अगर आप TDS फ़ाइल करने के लिए मान्य है एवं आपने रिटर्न भरने की निर्धारित तिथि से 1 वर्ष के भीतर रिटर्न दाखिल नहीं किया है या किसी व्यक्ति ने गलत जानकारी दी है, तो वह दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। लगाया गया जुर्माना 10,000 रुपये से कम नहीं होना चाहिए और 1,00,000 रुपये से अधिक नहीं होना चाहिए।
रिवाइज़्ड TDS रिटर्न
रिटर्न जमा करने के बाद, यदि कोई गलती पाई गई है, जैसे कि गलत चालान की जानकारी, गलत पैन नंबर या पैन की जानकारी नहीं दी गई है, तो सरकार के पास जमा की गई टैक्स की राशि फॉर्म 16 / फॉर्म 16 A/ फॉर्म 26AS में नहीं दिखेगी।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि टैक्स राशि को ठीक से जमा किया गया है और वह राशि फॉर्म 16 / फॉर्म 16A / फॉर्म 26AS में प्रदर्शित हो जाए उसके लिए आपको वापस से एक रिवाइज़्ड TDS रिटर्न फ़ाइल करना होगा।
रिवाइज़्ड रिटर्न को फ़ाइल करने की प्रक्रिया
नीचे वो जानकारी दी गई है जिसे आपको TDS फाइल करने से पहले जांच लेना चाहिए ताकि बिना किसी गलती के TDS रिटर्न फ़ाइल कर सकें:
- C1 करेक्शन:टैक्स काटने वाले की सही जानकारी भरें, जैसे कि का नाम और पता
- C2 करेक्शन: आप चालान से सम्बंधित जानकारी को अपडेट कर सकते हैं जिसमें विशिष्ट जानकारी जैसे चालान की राशि, बीएसआर कोड, चालान की क्रम संख्या, चालान की टेंडर तिथि आदि शामिल हैं।
- C3 करेक्शन: इसके तहत आप उसका जानकारी बदल, अपडेट कर सकते हैं जिसका टैक्स कटा है।
- C4 करेक्शन: आप पहले बताई गए वेतन सम्बंधित जानकारी को उपडेट या बदल सकते हैं।
- C5 करेक्शन: कर्मचारियों या टैक्स कटने वाले का पैन नंबर को बदला जा सकता है।
- C9 करेक्शन: इस प्रकार के तहत, आप एक नया चालान जमा कर सकते हैं और फिर आवश्यक जानकारी दे सकते हैं।
किसी भी गलती को ठीक करने के लिए रिवाइज़्ड रिटर्न को कितनी भी बार फाइल किया जा सकता है।
रिवाइज़्ड TDS रिटर्न फॉर्म को जमा करने की आवश्यक शर्तें
- रिवाइज़्ड TDS रिटर्न केवल तभी फ़ाइल किया जा सकता है जब मूल TDS रिटर्न TIN केंद्रीय प्रणाली द्वारा स्वीकार किया गया हो।
- आप अपने TDS रिटर्न के स्टेटस को जानने के लिए NSDL वेबसाइट – https://onlineservices.tin.egov-nsdl.com/TIN/JSP/tds/linktoUnAuthorizedInput.jsp पर जाकर अपनी आवश्यक जानकारी जैसे की पैन नंबर, रसीद एवं टोकन नंबर से ट्रैक कर सकते हैं।
- रिवाइज़्ड TDS रिटर्न को सबसे नयी TDS जानकारी के साथ फ़ाइल किया जाना चाहिए। इसे TRACES वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है। स्टेटमेंट को डाउनलोड करने के लिए, मूल स्टेटमेंट का टोकन नंबर , रसीद नंबर का उल्लेख किया जाना चाहिए।
TDS रिफंड
TDS ट्रांजेक्शन के समय काटा जाने वाला टैक्स है। वर्ष के अंत में, कुल टैक्स कितना देना है इसका आकलन करते समय, काटे किए गए कुल टैक्स और जितना वास्तविक टैक्स देना है उसमें अंतर हो सकता है। अगर काटा गया टैक्स उतने से कम है जितना देना चाहिए था तो अंतर का भुगतान आपको करना पड़ेगा। दूसरी ओर, काटा गया TDS उतने से ज़्यादा है जितना देना था, तो यह आपके TDS रिफंड में शामिल हो जाएगा।
TDS रिफंड का स्टेटस
TDS रिफंड का क्या स्टेटस/स्थिति है यह आप नीचे बतायी गयी प्रक्रिया द्वारा जान सकते हैं:
- इसकी रसीद आपके रजिस्टर्ड ईमेल पर मेल भेजी जाती है.
- आप इस वेबसाइट – https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/home पर अपने पैन नंबर डालकर रिफंड का स्टेटस जान सकते हैं.
- आप CPC Bangalore – 1800-4250-0025 के टोल फ्री नंबर पर फोन करके भी स्टेटस जान सकते हैं.
TDS रिफंड की अवधि
आपके द्वारा जरुरत से अधिक जमा किया गया TDS आपको वापस (रिफंड) मिलता है । TDS रिफंड की अवधि इस बात पर निर्भर करती है की क्या आपने अपना इनकम टैक्स रिटर्न समय पर भरा है या नहीं । अगर आपने इसे समय पर भरा है तोह आपका TDS रिफंड 3 से 6 महीने के अंदर आपको मिल जाएगा ।
TDS रिफंड पर ब्याज
आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 200A के अनुसार, यदि आयकर विभाग निर्धारित समय अवधि के भीतर TDS रिफंड राशि का भुगतान नहीं करता है, तो उन्हें 6% p.a का ब्याज रिफंड की राशि पर देना होगा। इस ब्याज की गणना किसी भी फाइनेंशियल वर्ष के पहले महीने यानी अप्रैल से की जाती है। अगर TDS रिफंड देने वाले वास्तविक टैक्स से 10% कम है तो कोई ब्याज लागू नहीं होता है।
TDS के फायदे
आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार TDS रिटर्न अनिवार्य है। TDS के कुछ फायदे :-
- यह टैक्स को नियमित रूप से एकत्रित करने में मदद करता है.
- सरकार के लिए TDS एक नियमित आय का स्त्रोत है.
- TDS के माध्यम से आप एक समयमें अधिक राशि के टैक्स भुगतान के बोझ से बच सकते हैं। हर महीने TDS का भुगतान कर आपको आसानी रहती है.
- करदाता को कर भुगतान का एक आसान तरीका प्रदान करता है.