आयकर स्त्रोत (Source) पर टैक्स कटौती यानी TDS एक तरह का एडवांस टैक्स है जिसे नियोक्ता/कंपनी वेतन का भुगतान करने से पहले काटता है। सरकार व्यक्तियों एवं कंपनियों की कमाई पर TDS राजस्व के लिए लगाती है। TDS से संबंधित नियम एवं कानून भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत आते हैं, जिसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) द्वारा नियंत्रित किया जाता है।
जैसा कि आयकर स्त्रोत (Source) पर टैक्स कटौती (TDS) के नाम से ही पता चलता है कि कर्मचारियों को सैलेरी देने से पहले ही कंपनी/मालिक एवं टैक्स काटने वाले द्वारा टैक्स काट लेता है। TDS रेगुलर एवं अनियमित दोनों इन्कम पर लागू होता है । TDS हर तरह की कमाई, सैलरी, कमीशन, रेंट(किराया), प्रॉफेश्नल फीस, ब्याज आदि पर भी लागू होता है।
TDS के लाभ
TDS आपकी कमाई से ही काट लिया जाता है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि TDS का भुगतान तभी लागू होगा जब आपकी कोई कमाई एवं इनकम हो। TDS भुगतान से पहले ही काट दिया जाता है। कटौती सिर्फ उसी भुगतान पर होती है जो भुगतान नकद, चेक या क्रेडिट द्वारा किए जाते हैं। TDS के तहत काटी का गई राशि को सरकारी एजेंसियों को जमा किया जाता है। TDS भुगतान के निम्मलिखित लाभ:
- TDS भुगतान द्वारा टैक्स चोरी से बचाया जा सकता है ।
- टैक्स को समय से इकट्ठा किया जाता है ।
- बड़ी संख्या में लोग टैक्स के दायरे में आते हैं ।
- सरकार के लिए TDS द्वारा कटौती एक नियमित आय का स्त्रोत है ।
टैक्स नियमों के अनुसार TDS किन-किन पर लागू होता है
निम्नलिखित पर TDS लागू होता है:
- व्यक्ति विशेष (Individuals)
- लिमिटेड कंपनी
- संयुक्त हिन्दू परिवार (HUF)
- साझेदारी फर्म (Partnership)
- कई व्यक्तियों का संगठन
- स्थानीय प्राधिकारी वर्ग (Local Authorities)
TDS कटौती दर क्या है
वेतन, कमीशन, प्रॉफेश्नल फीस, ब्याज़, किराया आदि पर सबसे अधिक TDS कटौती की जाती है। आपका TDS कितना कटेगा यह निर्भर करता है आपकी कमाई किस तरह की है एवं कितनी है और कमाई का स्त्रोत क्या है ।
इसलिए, कई तरह की कमाई पर अलग- अलग दर से TDS काटा जाता है। TDS 1% से 30% तक काटा जाता है।
TDS कटौती की प्रणाली क्या है
जैसा कि सबको मालूम है, TDS व्यक्ति को मिलने वाले भुगतान से काटा जाता है। इसका मतलब यह है कि जो भुगतान आप प्राप्त करते हैं उसमें पहले से ही टैक्स कटौती कर दी जाती है। यह ध्यान रखना जरूरी है कि TDS काटने का हक टैक्स काटने वाला का है। उदाहरण के लिए, कंपनी कर्मचारी को सैलरी देती हैं तो TDS कटौती का हक कंपनी का है।
TDS रिटर्न की जानकारी
TDS रिटर्न संबंधित जानकारी में हर तीन महीनों के दौरान किए गए सभी ट्रांजेक्शन का रिकॉर्ड होता है। TDS रिटर्न रिपोर्ट हर तीन महीनों में फाइल होती है जो टैक्स काटने वाला/कंपनी द्वारा आयकर विभाग में जमा की जाती है। इस स्टेटमेंट में टैक्स काटने वाला/कंपनी द्वारा जमा किए गए TDS एवं आयकर अधिकारी को भुगतान किए गए TDS, पैन नंबर एवं आय संबंधित जानकारी भी होती है, साथ ही सरकार को भुगतान किए गए TDS और TDS चालान की जानकारी भी होती है।
TDS रिटर्न फाइल करने की भुगतान तिथि:
वित्तीय वर्ष 2018-2019 के TDS रिटर्न फाइल करने की भुगतान तिथि नीचे दी गयी है –
तिमाही | तिमाही की अवधि | TDS फाइल करने की आखिरी तारीख |
पहली तिमाही | 1 अप्रैल 2018 से 30 जून 2018 | 31 जुलाई 2018 |
दूसरी तिमाही | 1 जुलाई 2017 से 30 सितंबर 2018 | 31 अक्टूबर 2018 |
तीसरी तिमाही | 1 अक्टूबर 2018 से 31 दिसंबर 2018 | 31 जनवरी 2019 |
चौथी तिमाही | 1 जनवरी 2019 से 31 मार्च 2019 | 31 मई 2019 |
TDS रिटर्न देरी से फाइल करना
नए नियमों के मुताबिक, जो 1 अप्रैल 2017 से लागू हुए हैं, TDS रिटर्न को देरी से फाइल करने पर 10,000 रुपए तक का जुर्माना लग सकता है। साथ ही, फॉर्म 26 Q को फाइल करने की आखिरी तारीख को भी 31 जुलाई 2018 से 31 अगस्त 2018 तक बढ़ा दिया है। फॉर्म 26 Q को देर से फाइल करने पर लगने वाला जुर्माना निम्नलिखित हैं:
ई – फाइलिंग की तारीख | ₹ 5,00,000 से कम की कुल आय | ₹ 5,00,000 से अधिक कुल आय |
31st अगस्त 2018 तक | ₹ 0 | ₹ 0 |
1 सितंबर से 31 दिसंबर 2018 तक | ₹ 1000 | ₹ 5000 |
1 जनवरी से मार्च 2019 | ₹ 1000 | ₹ 1000 |
TDS रिटर्न फॉर्म- एक नज़र
जैसा कि आपको मालूम है कि टैक्स काटने वाला कटौती का जिम्मेदार होता हैं एवं उसे TDS रिटर्न फॉर्म को भी समय से जमा कराना होता है। यह जानना जरूरी है कि हर परिस्थिति के लिए TDS फॉर्म अलग होते हैं। यह आपकी कमाई के स्त्रोत पर निर्भर करते हैं।
TDS रिटर्न फॉर्म के प्रकार | TDS रिटर्न फॉर्म की जानकारी |
फॉर्म 24 Q | वेतन से कि गई कटौती का TDS स्टेटमेंट |
फॉर्म 26 Q |
वेतन के अलावा बाकी सभी इनकम से संबंधित TDS स्टेटमेंट |
फॉर्म 27 Q | विदेशी एवं विदेश में रहने वाले भारतीयों को वेतन के अलावा की गई पेमेंट पर लागू होने वाले TDS के स्टेटमेंट |
फॉर्म 27 Q | स्त्रोत पर इकट्ठा होने वाले टैक्स का स्टेटमेंट |
फॉर्म 24 Q
- भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 192 के तहत फॉर्म 24 Q वेतन से काटे गए TDS की e-TDS रिटर्न फ़ाइल करने के लिए बनाया जाता है ।
- टैक्स काटने वाले के द्वारा हर तीन महीने (तिमाही) में जमा किया जाता है ।
- इसमें कम्पनी द्वारा कर्मियों को दी गई सैलरी और उस पर कटने वाले TDS से संबंधित जानकारी होती है ।
- इसमें 2 एग्रीमेंट होते हैं, एग्रीमेंट-1 में टैक्स काटने वाला, टैक्स देने वाला और चालान संबंधित जानकारी होती हैं। और एग्रीमेंट-2 में टैक्स देने वाले की सैलेरी संबंधित जानकारी होती हैं।
- एग्रीमेंट-1 में टैक्स काटने वाले के द्वारा, हर वित्तीय वर्ष की चारों तिमाही के लिए जमा किया जाता है।
- एग्रीमेंट-2 में फाइनेंशियल वर्ष के शुरू की 3 तिमाही में जमा करना होता है, लेकिन 4 तिमाही पूर्ण होने के बाद उसे वापस कर्मियों के पूरे वित्तीय वर्ष के वेतन से संबंधित जानकारी के साथ जमा करना होता है ।
फॉर्म 26 Q
- यह वेतन के अलावा बाकी सभी पेमेंट से संबंधित TDS के लिए होता हैं ।
- इसे टैक्स काटने वाले के द्वारा तिमाही के आधार पर पेश किया जाता है। यह भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 200 (3 ), 193 एवं 194 के तहत TDS के लिए लागू होता है ।
- जिस इनकम पर TDS कटा हैं उस इनकम में सिक्योरिटी पर ब्याज, डिविडेंड सिक्योरिटी, प्रोफेशनल फीस, डायरेक्टर से प्राप्त मुआवजा आदि शामिल है ।
- गैर सरकारी टैक्स काटने वाले के लिए PAN देना जरूरी है। सरकारी टैक्स काटने वाले को फॉर्म पर “PAN जरूरी नहीं” लिखना होगा।
फॉर्म 27 Q
- यह विदेशी एवं विदेश में रहने वाले भारतीयों को वेतन के अलावा की गई अन्य पेमेंट के लिए लागू किया गया है ।
- इस फॉर्म को विदेशी एवं विदेश में रहने वाले भारतीय लोगों के TDS को घोषित करने के लिए भरा जाता है ।
- यह तिमाही के आधार पर जमा किया जाता है और भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 200 (3) के तहत TDS के लिए लागू होता है ।
- जिस कमाई पर TDS कटौती की जाती है उस कमाई में ब्याज, बोनस, अतिरिक्त कमाई आदि शामिल होता है ।
- गैर सरकारी टैक्स काटने वाले के लिए PAN प्रस्तुत करना अनिवार्य है। फॉर्म पर “PAN जरूरी नहीं” लिखना होगा ।
फॉर्म 27 EQ
- यह तिमाही के आधार पर स्टेटमेंट होती है जिसमें TDS से संबंधित सूचना एवं जानकारी भारतीय आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 206 C के तहत दी जाती है ।
- 27 E Q फॉर्म को तिमाही के आधार पर जमा करना होता है। इस फॉर्म में TAN जमा करना जरूरी होता है ।
- यह स्टेटमेंट TCS (जमा किया हुआ टैक्स) को दिखाने के लिए होती है, जो टैक्स विक्रेता(seller) द्वारा काटा जाता है। जब ग्राहक कोई भी सामान खरीदता है तो टैक्स विक्रेता द्वारा TDS के माध्यम से टैक्स लिया जाता है। इस टैक्स को विक्रेता द्वारा कैश, क्रेडिट, चेक, डिमांड ड्राफ्ट, या किसी और माध्यम से लिया जाता है।
- सरकारी डिडक्टर एवं कलेक्टर के अलावा सभी कॉर्पोरेट एवं गैर सरकारी डिडक्टर (कटौतीकर्ता) को इस टैक्स को प्रस्तुत करना होता है ।
- गैर सरकारी टैक्स काटने वाले के लिए PAN प्रस्तुत करना अनिवार्य है। और सरकारी को “PAN जरूरी नहीं” फॉर्म में लिखना होगा ।
TDS रिटर्न फॉर्म को कैसे डाउनलोड करें-
TDS रिटर्न फॉर्म को 4 भागों में बांटा गया है। टैक्स देने वाले को जिस कैटेगरी के तहत TDS रिटर्न फाइल करना है, उस कैटेगरी को सलेक्ट करना होता है। टैक्स देने वाला (टैक्सपेयर) निम्नलिखित तरीके से फॉर्म डाउनलोड कर सकता हैं-
- NSDL की वेबसाइट पर जाने के लिए यहाँ क्लिक करें – https://www.tin-nsdl.com/
- डाउनलोड के विकल्प पर क्लिक करें एवं E–TDS और E–TCS के विकल्प को चुनें।
- “Quarter Return” पर क्लिक करें एवं उसके बाद “Regular (नियमित)” के विकल्प को चुनें।
- उसके बाद नया पेज खुलेगा।
- अपनी आवश्यकता के अनुसार “फॉर्म” के विकल्प पर क्लिक करके TDS रिटर्न फॉर्म को चुनें|